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क्यों दूसरे राज्यों से खेलने को मजबूर हैं बिहार के खिलाड़ी? पॉलिटिक्स ने बना दी है लाचारी - SPORTS IN BIHAR

बिहार में खेल के साथ खिलवाड़ नई बात नहीं. संघों के अध्यक्ष नेता हैं और खामियाजा खिलाड़ी भुगत रहे. पटना से अविनाश की रिपोर्ट.

SPORTS IN BIHAR
बिहार में खेल के साथ राजनीति (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 30, 2025, 7:47 PM IST

पटना: बिहार में कई ऐसे खेल संघ हैं, जिनकी कमान नेताओं के हाथों में है. इसके कारण मायूस खिलाड़ी दूसरे राज्यों में अपना भविष्य तलाशते हैं. बिहार ने क्रिकेट में कई इंटरनेशनल प्लेयर दिए, लेकिन वे सभी दूसरे राज्य से खेलते हैं. विस्तार से जानें इसके पीछे का कारण..

बिहार में खेल के साथ राजनीति: बिहार में खेलों पर राजनीतिक नेताओं का दबदबा कोई आज की बात नहीं है. यह वर्षों से हो रहा है. क्रिकेट को ही लें तो आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव लंबे समय तक बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे और उनके कारण ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने बिहार को एफिलिएशन नहीं दिया.

बिहार के खेलों में हावी है पॉलिटिक्स (ETV Bharat)

क्रिकेट को पहुंचा सबसे अधिक नुकसान!: बिहार से अलग होने वाले झारखंड को मान्यता मिल गया और शायद देश में इस तरह की पहली घटना थी, जब किसी राज्य से अलग होने वाले राज्य को मान्यता दे दी गई. बिहार में क्रिकेट एसोसिएशन के बीच लड़ाई लंबे समय तक चली है. कभी चार-चार क्रिकेट एसोसिएशन बिहार में हुआ करता था.

दूसरे राज्य से क्रिकेट खेलते हैं बिहार के खिलाड़ी: पूर्व सीएम भागवत झा आजाद के बेटे और सांसद कीर्ति आजाद भी एक संगठन चलाते थे क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार. क्रिकेट एसोसिएशन की लड़ाई के कारण भी बीसीसीआई ने बिहार की मान्यता को लटकाए रखा है और इसके कारण बिहार के होनहार खिलाड़ियों को दूसरे राज्यों में क्रिकेट खेलना पड़ा.

बिहार से बाहर गए सबा करीम और ईशान किशन: बिहार के कई क्रिकेट खिलाड़ी भारतीय टीम में खेले जिसमें सबा करीम का भी नाम है और अभी ईशान किशन भी शामिल हैं, लेकिन दोनों को बिहार से बाहर ही खेलना पड़ा. लंबे इंतजार के बाद बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को मान्यता मिली भी है तो इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव के कारण खिलाड़ियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. रणजी मैच शुरू हुआ है तो उसमें भी कई तरह के आरोप लग रहे हैं.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

वैभव अभी बिहार से खेल रहे: वर्तमान में वैभव सूर्यवंशी का नाम भी तेजी से सामने आ रहा है. हालांकि वैभव अभी बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के बैनर तले ही खेल रहे हैं, लेकिन उम्र के विवाद को लेकर उनके पिता ने बयान दिया था कि उनका बेटा विवाद से दूर जाकर खेलना चाहता है. कई तरह की अटकलें भी इसको लेकर लगाई जाती रही. हालांकि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी ने फोन से हुई बातचीत में कहा कि यह सब अफवाह है वैभव बिहार में ही खेलेंगे.

टेबल टेनिस संघ पर JDU के संजय सिंह का कब्जा: प्रमुख खेलों की बात करें तो टेबल टेनिस में एक बार यहां नेशनल मैच का आयोजन हो चुका है, लेकिन JDU एमएलसी संजय सिंह, जो टेबल टेनिस अध्यक्ष हैं उनके अनुसार अब तक टेबल टेनिस में कोई बड़ा खिलाड़ी बिहार में नहीं निकल पाया है. संजय सिंह का यह जरूर कहना है कि आने वाले समय में बिहार से टेबल टेनिस में खिलाड़ी निकलेगा.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

बैडमिंटन की कमान अब्दुल बारी सिद्दीकी के पास: बैडमिंटन में भी बिहार से अब तक कोई बड़ा खिलाड़ी बाहर नहीं आ पाया है. बैडमिंटन में लंबे समय से RJD के बड़े नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी जुड़े हुए हैं. बैडमिंटन का भी राष्ट्रीय मैच यहां हो चुका है.

कबड्डी संघ के अध्यक्ष जेडीयू के विजय यादव: ले देकर कबड्डी में जरूर कुछ खिलाड़ी बिहार से निकले हैं. एशियाड गेम में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम में बिहार के राजीव कुमार भी शामिल थे. बिहार से स्मिता कुमारी, चांदनी कुमारी सहित कई खिलाड़ी कबड्डी में निकले हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है. कबड्डी संघ के अध्यक्ष जेडीयू के विजय यादव हैं.

"हम लोगों ने बिहार में वर्ल्ड वूमेंस कबड्डी प्रतियोगिता भी करवाया है और भारत बांग्लादेश मैच भी करवाया है. नेशनल के तो कई आयोजन बिहार में हो चुके हैं. हालांकि फिलहाल कबड्डी में भी बिहार का कोई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर नहीं है."- विजय कुमार, जेडीयू नेता

श्रेयसी सिंह ने निशानेबाजी में किया कमाल: निशानेबाजी में श्रेयसी सिंह का नाम जरूर लिया जा सकता है. श्रेयसी सिंह पिछले ओलंपिक में भी खेल चुकी हैं. हालांकि कोई पदक नहीं मिला. उससे पहले राष्ट्रमंडल खेल में उन्हें स्वर्ण पदक मिला था. हालांकि इस खेल पर श्रेयसी सिंह के परिवार का ही लंबे समय से कब्जा है. उनके पिता जेडीयू के सांसद रहे दिग्विजय सिंह लंबे समय तक इससे जुड़े रहे उनके निधन के बाद अभी उनके चाचा त्रिपुरारी सिंह देख रहे हैं.

हॉकी देख रहे श्रवण कुमार: बिहार हॉकी एसोसिएशन के अध्यक्ष ग्रामीण विकास मंत्री जदयू के वरिष्ठ नेता श्रवण कुमार हैं. हॉकी एसोसिएशन भी लगातार विवादों में ही रहा है. हॉकी में भी बिहार का कोई बड़ा नाम झारखंड बंटवारे के बाद सामने नहीं आया है, लेकिन श्रवण कुमार का दावा है कि आने वाले समय में हॉकी से भी बिहार के खिलाड़ी निकलेंगे.

SPORTS IN BIHAR
पाटलिपुत्र खेल परिसर (ETV Bharat)

"अभी हाल ही में राजगीर में महिला एशिया हॉकी हम लोगों ने आयोजन करवाया था, जिसमें इंडिया की जीत मिली है. इसे बिहार के खिलाड़ियों को भी काफी लाभ मिला है. अच्छे खिलाड़ियों का चयन आने वाले समय में होगा."- श्रवण कुमार,अध्यक्ष,बिहार हॉकी एसोसिएशन

"नेताओं का नहीं बिहार में खेल पर अधिकारियों का कब्जा है. नेताओं पर ठोक कर आप लोग ब्यूरोक्रेट्स को बचा देते हैं. सरकार से खेल आयोजनों पर बहुत ज्यादा मदद नहीं मिलती है. यहां तक कि बॉल बैडमिंटन को बिहार सरकार ने मान्यता तक नहीं दिया है. बिहार के सही खिलाड़ियों का चयन नहीं होता है. उन्हें दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है. यहां इंफ्रास्ट्रक्चर की भी कमी है इसलिए खेल में बड़े ऑपरेशन की जरूरत है."- नवल किशोर यादव, बीजेपी एमएलसी अध्यक्ष, बॉल बैडमिंटन

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नवल किशोर यादव, बीजेपी एमएलसी अध्यक्ष, बॉल बैडमिंटन (ETV Bharat)

'खेल और खिलाड़ियों का बढ़ाया जा रहा हौसला': वहीं बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के डीजी रविंद्रन शंकरण का कहना है कि बिहार में खेल और खिलाड़ी के लिए कई कदम उठाए गए हैं. खेल नियमावली बनाई गई है खेल छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई है. 125 छात्र को छात्रवृत्ति भी दी जा रही है. 71 खिलाड़ियों को नौकरी भी दी गई है जिसमें 21 सब इंस्पेक्टर बने हैं. पंचायत स्तर पर स्पोर्ट्स क्लब शुरू कर रहे हैं. 40000 स्कूल में 60 लाख बच्चों में टैलेंट को भी हम लोग खोज रहे हैं जो पहली बार हो रहा है.

"इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए हर प्रखंड में मिनी स्टेडियम का निर्माण हो रहा है. राजगीर में स्पोर्ट्स अकादमी, स्पोर्ट्स स्टेडियम और यूनिवर्सिटी बना है. पटना के आसपास खेल सिटी भी बनाया जा रहा है. 2028 तक हम लोगों ने ओलंपिक में खिलाड़ी भेजने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 2024 में ही यहां के खिलाड़ी ओलंपिक में खेल चुके हैं. ओलंपिक में पदक के लिए हम लोग 2036 का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. बिहार में 14 खेलों को हम लोगों ने प्राथमिकता के तौर पर रखा है और उसमें सरकार के तरफ से मदद दी जा रही है."-रविंद्र शंकरण, महानिदेशक, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण

क्या कहना है वॉलीबॉल पूर्व खिलाड़ी का : बिहार के खिलाड़ियों की मानें तो "अब स्थिति बिहार में खेल के क्षेत्र में बदल रहा है. सरकार का ध्यान गया है और इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार जोड़ दे रही है. लगातार खेल का आयोजन भी होने लगा है. हम लोगों के समय स्थिति बहुत ही खराब थी, लेकिन अब इसमें काफी सुधार हो रहा है और खेल के क्षेत्र में आने वाला समय बेहतर होने वाला है. जो भी मन लगाकर खेलेगा उसके लिए फ्यूचर बेहतर होगा."

नहीं हुआ बिहार में एक भी नेशनल गेम्स : देश में इन दिनो 38वां नेशनल गेम्स उत्तराखंड में हो रहा है. बिहार के 151 खिलाड़ी इसमें भाग लेने गए हैं, लेकिन बिहार में अब तक एक भी बार नेशनल गेम का आयोजन नहीं हुआ है क्योंकि यहां आधारभूत संरचना ही नहीं है, जिससे खेल का आयोजन हो सके. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक का कहना है कि हम लोग इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवेलप करने में लगे हैं और राष्ट्रीय खेल की दावेदारी भी करेंगे.

बिहार के इन खिलाड़ियों ने बढ़ाया मान: बिहार के कुछ खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रदर्शन से जरूर नाम कमाया है. कैरम में रश्मि कुमारी ने वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतकर बिहार का नाम रोशन किया. फुटबॉल में आरसी प्रसाद ने बेहतर खेल का प्रदर्शन कर अर्जुन अवार्ड जीता था.

कबड्डी में राजीव कुमार ने एशियाड में स्वर्ण जीतकर बिहार का नाम रोशन किया. बीजेपी विधायक श्रेयसी सिंह ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर बिहार का नाम रोशन किया. क्रिकेट में बिहार का नाम रोशन करने वालों में अमिकर दयाल, सबा करीम, ईशान किशन और अब वैभव सूर्यवंशी का नाम शामिल है.

खेल संघ और सरकार का अपना-अपना दावा: बिहार में खेल संघो का यह आरोप है कि नेशनल टूर्नामेंट कराने पर 5 से 10 लाख की राशि सरकार से मिलती है जबकि आयोजन पर खर्च 40 लाख से अधिक होता है. ऐसे में अधिकांश राशि का इंतजाम खेल संघ अपने स्तर से करता है. खेल संघ और सरकार का अपना-अपना दावा है लेकिन सच्चाई यही है कि बिहार में खेल और खिलाड़ी के साथ लगातार खिलवाड़ होते रहे हैं.

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पटना: बिहार में कई ऐसे खेल संघ हैं, जिनकी कमान नेताओं के हाथों में है. इसके कारण मायूस खिलाड़ी दूसरे राज्यों में अपना भविष्य तलाशते हैं. बिहार ने क्रिकेट में कई इंटरनेशनल प्लेयर दिए, लेकिन वे सभी दूसरे राज्य से खेलते हैं. विस्तार से जानें इसके पीछे का कारण..

बिहार में खेल के साथ राजनीति: बिहार में खेलों पर राजनीतिक नेताओं का दबदबा कोई आज की बात नहीं है. यह वर्षों से हो रहा है. क्रिकेट को ही लें तो आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव लंबे समय तक बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे और उनके कारण ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने बिहार को एफिलिएशन नहीं दिया.

बिहार के खेलों में हावी है पॉलिटिक्स (ETV Bharat)

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दूसरे राज्य से क्रिकेट खेलते हैं बिहार के खिलाड़ी: पूर्व सीएम भागवत झा आजाद के बेटे और सांसद कीर्ति आजाद भी एक संगठन चलाते थे क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार. क्रिकेट एसोसिएशन की लड़ाई के कारण भी बीसीसीआई ने बिहार की मान्यता को लटकाए रखा है और इसके कारण बिहार के होनहार खिलाड़ियों को दूसरे राज्यों में क्रिकेट खेलना पड़ा.

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टेबल टेनिस संघ पर JDU के संजय सिंह का कब्जा: प्रमुख खेलों की बात करें तो टेबल टेनिस में एक बार यहां नेशनल मैच का आयोजन हो चुका है, लेकिन JDU एमएलसी संजय सिंह, जो टेबल टेनिस अध्यक्ष हैं उनके अनुसार अब तक टेबल टेनिस में कोई बड़ा खिलाड़ी बिहार में नहीं निकल पाया है. संजय सिंह का यह जरूर कहना है कि आने वाले समय में बिहार से टेबल टेनिस में खिलाड़ी निकलेगा.

ईटीवी भारत GFX.
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बैडमिंटन की कमान अब्दुल बारी सिद्दीकी के पास: बैडमिंटन में भी बिहार से अब तक कोई बड़ा खिलाड़ी बाहर नहीं आ पाया है. बैडमिंटन में लंबे समय से RJD के बड़े नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी जुड़े हुए हैं. बैडमिंटन का भी राष्ट्रीय मैच यहां हो चुका है.

कबड्डी संघ के अध्यक्ष जेडीयू के विजय यादव: ले देकर कबड्डी में जरूर कुछ खिलाड़ी बिहार से निकले हैं. एशियाड गेम में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम में बिहार के राजीव कुमार भी शामिल थे. बिहार से स्मिता कुमारी, चांदनी कुमारी सहित कई खिलाड़ी कबड्डी में निकले हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है. कबड्डी संघ के अध्यक्ष जेडीयू के विजय यादव हैं.

"हम लोगों ने बिहार में वर्ल्ड वूमेंस कबड्डी प्रतियोगिता भी करवाया है और भारत बांग्लादेश मैच भी करवाया है. नेशनल के तो कई आयोजन बिहार में हो चुके हैं. हालांकि फिलहाल कबड्डी में भी बिहार का कोई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर नहीं है."- विजय कुमार, जेडीयू नेता

श्रेयसी सिंह ने निशानेबाजी में किया कमाल: निशानेबाजी में श्रेयसी सिंह का नाम जरूर लिया जा सकता है. श्रेयसी सिंह पिछले ओलंपिक में भी खेल चुकी हैं. हालांकि कोई पदक नहीं मिला. उससे पहले राष्ट्रमंडल खेल में उन्हें स्वर्ण पदक मिला था. हालांकि इस खेल पर श्रेयसी सिंह के परिवार का ही लंबे समय से कब्जा है. उनके पिता जेडीयू के सांसद रहे दिग्विजय सिंह लंबे समय तक इससे जुड़े रहे उनके निधन के बाद अभी उनके चाचा त्रिपुरारी सिंह देख रहे हैं.

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SPORTS IN BIHAR
पाटलिपुत्र खेल परिसर (ETV Bharat)

"अभी हाल ही में राजगीर में महिला एशिया हॉकी हम लोगों ने आयोजन करवाया था, जिसमें इंडिया की जीत मिली है. इसे बिहार के खिलाड़ियों को भी काफी लाभ मिला है. अच्छे खिलाड़ियों का चयन आने वाले समय में होगा."- श्रवण कुमार,अध्यक्ष,बिहार हॉकी एसोसिएशन

"नेताओं का नहीं बिहार में खेल पर अधिकारियों का कब्जा है. नेताओं पर ठोक कर आप लोग ब्यूरोक्रेट्स को बचा देते हैं. सरकार से खेल आयोजनों पर बहुत ज्यादा मदद नहीं मिलती है. यहां तक कि बॉल बैडमिंटन को बिहार सरकार ने मान्यता तक नहीं दिया है. बिहार के सही खिलाड़ियों का चयन नहीं होता है. उन्हें दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है. यहां इंफ्रास्ट्रक्चर की भी कमी है इसलिए खेल में बड़े ऑपरेशन की जरूरत है."- नवल किशोर यादव, बीजेपी एमएलसी अध्यक्ष, बॉल बैडमिंटन

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"इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए हर प्रखंड में मिनी स्टेडियम का निर्माण हो रहा है. राजगीर में स्पोर्ट्स अकादमी, स्पोर्ट्स स्टेडियम और यूनिवर्सिटी बना है. पटना के आसपास खेल सिटी भी बनाया जा रहा है. 2028 तक हम लोगों ने ओलंपिक में खिलाड़ी भेजने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 2024 में ही यहां के खिलाड़ी ओलंपिक में खेल चुके हैं. ओलंपिक में पदक के लिए हम लोग 2036 का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. बिहार में 14 खेलों को हम लोगों ने प्राथमिकता के तौर पर रखा है और उसमें सरकार के तरफ से मदद दी जा रही है."-रविंद्र शंकरण, महानिदेशक, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण

क्या कहना है वॉलीबॉल पूर्व खिलाड़ी का : बिहार के खिलाड़ियों की मानें तो "अब स्थिति बिहार में खेल के क्षेत्र में बदल रहा है. सरकार का ध्यान गया है और इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार जोड़ दे रही है. लगातार खेल का आयोजन भी होने लगा है. हम लोगों के समय स्थिति बहुत ही खराब थी, लेकिन अब इसमें काफी सुधार हो रहा है और खेल के क्षेत्र में आने वाला समय बेहतर होने वाला है. जो भी मन लगाकर खेलेगा उसके लिए फ्यूचर बेहतर होगा."

नहीं हुआ बिहार में एक भी नेशनल गेम्स : देश में इन दिनो 38वां नेशनल गेम्स उत्तराखंड में हो रहा है. बिहार के 151 खिलाड़ी इसमें भाग लेने गए हैं, लेकिन बिहार में अब तक एक भी बार नेशनल गेम का आयोजन नहीं हुआ है क्योंकि यहां आधारभूत संरचना ही नहीं है, जिससे खेल का आयोजन हो सके. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक का कहना है कि हम लोग इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवेलप करने में लगे हैं और राष्ट्रीय खेल की दावेदारी भी करेंगे.

बिहार के इन खिलाड़ियों ने बढ़ाया मान: बिहार के कुछ खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रदर्शन से जरूर नाम कमाया है. कैरम में रश्मि कुमारी ने वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतकर बिहार का नाम रोशन किया. फुटबॉल में आरसी प्रसाद ने बेहतर खेल का प्रदर्शन कर अर्जुन अवार्ड जीता था.

कबड्डी में राजीव कुमार ने एशियाड में स्वर्ण जीतकर बिहार का नाम रोशन किया. बीजेपी विधायक श्रेयसी सिंह ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर बिहार का नाम रोशन किया. क्रिकेट में बिहार का नाम रोशन करने वालों में अमिकर दयाल, सबा करीम, ईशान किशन और अब वैभव सूर्यवंशी का नाम शामिल है.

खेल संघ और सरकार का अपना-अपना दावा: बिहार में खेल संघो का यह आरोप है कि नेशनल टूर्नामेंट कराने पर 5 से 10 लाख की राशि सरकार से मिलती है जबकि आयोजन पर खर्च 40 लाख से अधिक होता है. ऐसे में अधिकांश राशि का इंतजाम खेल संघ अपने स्तर से करता है. खेल संघ और सरकार का अपना-अपना दावा है लेकिन सच्चाई यही है कि बिहार में खेल और खिलाड़ी के साथ लगातार खिलवाड़ होते रहे हैं.

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