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नवादा: व्रजपात से मरने वाले बच्चों के परिजनों से मिले पूर्व CM मांझी, प्रशासन की लापरवाही पर जमकर बरसे

पूर्व सीएम ने साथ ही कहा कि सरकार का नियम है कि जो पैसा लेकर घर नहीं बनाया उसके ऊपर केस होता है. उस बहाने भी वहां प्रशासन पहुंचता तो वो लोग अपनी व्यथा बताते. लेकिन जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण ऐसा हो रहा है.

पूर्व सीएम जीतन राम मांझी
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Published : Jul 28, 2019, 8:22 AM IST

नवादा: पिछले हफ्ते जिले के काशीचक थाना क्षेत्र के धानपुर गांव के महादलित बस्ती में व्रजपात से हुए सात बच्चों समेत आठ लोगों की मौत के बाद पूर्व सीएम जीतनराम मांझी पीड़ित परिजनों से मिलने पहुंचे. उन्होंने लोगों की पीड़ा सुनने के बाद नवादा सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जिला प्रशासन को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि ठनका गिरने से हुई मौत के कारण वहां के लोगों ने मांग की है कि अगर यहां स्कूल, सामुदायिक भवन या ग्राम कचहरी भी रहता तो बच्चे वहां छुप सकते थे और उनकी जान बच सकती थी.

'पढ़ाई-लिखाई का नहीं है कोई साधन'
हम अध्यक्ष ने कहा कि आजादी के सत्तर साल बाद भी 70-80 परिवार जहां एक साथ रह रहा हो, वहां एक सामुदायिक भवन न बनना आश्चर्य की बात है. जबकि वहां बिहार सरकार की काफी जमीनें पड़ी हैं. सरकार का प्रावधान है कि 40 बच्चे पर एक शिक्षक हो. यहां अस्सी घर हैं, सभी में से एक-एक बच्चे भी होंगे तो इस हिसाब से यहां सरकारी स्कूल होने चाहिए. जो कि नहीं है. यहां प्राथमिक विद्यालय नहीं होने का क्या औचित्य है? वहां पढ़ाई-लिखाई का कोई साधन नहीं है.

व्रजपात से मरनेवाले बच्चों के परिजन से मिलने पहुंचे जीतन राम मांझी

अब तक नहीं मिली इंदिरा आवास की किस्त

मांझी ने कहा कि उन लोगों ने सामुदायिक भवन और एक सरकारी स्कूल की मांग की है जो जायज है. अगर ये सारी सुविधाएं वहां होती तो शायद ये घटनाएं नहीं होती. वहीं, दूसरी बात यह है कि वहां पर लोगों को इंदिरा आवास की किस्त नहीं दी जा रही है. हमें बताया गया है कि वहां एक अशोक सिंह नाम के सरपंच के द्वारा 15-15 हजार रुपये मांगे जा रहे हैं. जिसके कारण वहां किसी का घर नहीं बना है सबके सब इन्कम्प्लीट हैं.

जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण हुई धटना

पूर्व सीएम ने साथ ही कहा कि सरकार का नियम है कि जो पैसा लेकर घर नहीं बनाया उसके ऊपर केस होता है. उस बहाने भी वहां प्रशासन पहुंचता तो वो लोग अपनी व्यथा बताते. लेकिन जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण ऐसा हो रहा है. वहां दर्जनों महिलाएं है जिनको सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन मिलना चाहिए था. उनको अभी तक कुछ नहीं मिला है. यहां के पदाधिकारी लोग बैठे-बैठे क्या करते हैं? जब हमने डीएम से कहा कि कर्मचारी को भेजकर वहां के जमीन की समस्या, इंदिरा आवास में गड़बड़ी, वृद्धा पेंशन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन और ठनका में गिरने से हुए घायल को एक भी पैसा नहीं मिला है. इसकी जांच की जाए तो, डीएम कहते हैं कि अच्छा हम देख लेते हैं मिला है कि नहीं मिला है. विचित्र बात है, इतनी बड़ी घटना हो गई और डीएम कहते हैं कि देख लेते हैं.

नवादा: पिछले हफ्ते जिले के काशीचक थाना क्षेत्र के धानपुर गांव के महादलित बस्ती में व्रजपात से हुए सात बच्चों समेत आठ लोगों की मौत के बाद पूर्व सीएम जीतनराम मांझी पीड़ित परिजनों से मिलने पहुंचे. उन्होंने लोगों की पीड़ा सुनने के बाद नवादा सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जिला प्रशासन को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि ठनका गिरने से हुई मौत के कारण वहां के लोगों ने मांग की है कि अगर यहां स्कूल, सामुदायिक भवन या ग्राम कचहरी भी रहता तो बच्चे वहां छुप सकते थे और उनकी जान बच सकती थी.

'पढ़ाई-लिखाई का नहीं है कोई साधन'
हम अध्यक्ष ने कहा कि आजादी के सत्तर साल बाद भी 70-80 परिवार जहां एक साथ रह रहा हो, वहां एक सामुदायिक भवन न बनना आश्चर्य की बात है. जबकि वहां बिहार सरकार की काफी जमीनें पड़ी हैं. सरकार का प्रावधान है कि 40 बच्चे पर एक शिक्षक हो. यहां अस्सी घर हैं, सभी में से एक-एक बच्चे भी होंगे तो इस हिसाब से यहां सरकारी स्कूल होने चाहिए. जो कि नहीं है. यहां प्राथमिक विद्यालय नहीं होने का क्या औचित्य है? वहां पढ़ाई-लिखाई का कोई साधन नहीं है.

व्रजपात से मरनेवाले बच्चों के परिजन से मिलने पहुंचे जीतन राम मांझी

अब तक नहीं मिली इंदिरा आवास की किस्त

मांझी ने कहा कि उन लोगों ने सामुदायिक भवन और एक सरकारी स्कूल की मांग की है जो जायज है. अगर ये सारी सुविधाएं वहां होती तो शायद ये घटनाएं नहीं होती. वहीं, दूसरी बात यह है कि वहां पर लोगों को इंदिरा आवास की किस्त नहीं दी जा रही है. हमें बताया गया है कि वहां एक अशोक सिंह नाम के सरपंच के द्वारा 15-15 हजार रुपये मांगे जा रहे हैं. जिसके कारण वहां किसी का घर नहीं बना है सबके सब इन्कम्प्लीट हैं.

जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण हुई धटना

पूर्व सीएम ने साथ ही कहा कि सरकार का नियम है कि जो पैसा लेकर घर नहीं बनाया उसके ऊपर केस होता है. उस बहाने भी वहां प्रशासन पहुंचता तो वो लोग अपनी व्यथा बताते. लेकिन जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण ऐसा हो रहा है. वहां दर्जनों महिलाएं है जिनको सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन मिलना चाहिए था. उनको अभी तक कुछ नहीं मिला है. यहां के पदाधिकारी लोग बैठे-बैठे क्या करते हैं? जब हमने डीएम से कहा कि कर्मचारी को भेजकर वहां के जमीन की समस्या, इंदिरा आवास में गड़बड़ी, वृद्धा पेंशन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन और ठनका में गिरने से हुए घायल को एक भी पैसा नहीं मिला है. इसकी जांच की जाए तो, डीएम कहते हैं कि अच्छा हम देख लेते हैं मिला है कि नहीं मिला है. विचित्र बात है, इतनी बड़ी घटना हो गई और डीएम कहते हैं कि देख लेते हैं.

Intro:नवादा। पिछले हफ़्ते जिले के काशीचक थाना क्षेत्र के धानपुर गांव के महादलित बस्ती में व्रजपात से हुए सात बच्चे समेत आठ लोगों की मौत के बाद पीड़ित परिजन से मिलने पहुंचे पूर्व सीएम जीतनराम मांझी लोगों की पीड़ा सुनने के बाद नवादा सर्किट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जिला प्रशासन आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि, ठनका गिरने से हुई मौत के कारण वहां के लोगों ने मांग की है अगर यहां स्कूल, सामुदायिक भवन या ग्राम कचहरी भी रहता तो बच्चे वहां छुप सकते थे। उसकी जान बच सकती थी।




Body:उन्होंने यह भी कहा कि आजादी के सत्तर साल बाद भी 70-80 परिवार जहां एक साथ रह रहा हो वहां एक सामुदायिक भवन न बनना आश्चर्य की बात है जबकि वहां बिहार सरकार की काफी जमीनें पड़ी है। सरकार का प्रावधान है कि 40 बच्चे पर एक शिक्षक हो। यहां अस्सी घर है सभी में से एक -एक बच्चे भी होंगे तो इस हिसाब से यहां सरकारी स्कूल होना चाहिए जोकि नही है। यहां प्राथमिक विद्यालय नहीं होने का क्या औचित्य है? वहां पढ़ाई लिखाई का कोई साधन नहीं है।

उनलोगों ने सामुदायिक भवन और एक सरकारी स्कूल की मांग की है जो जायज है। अगर ये सारी सुविधाएं वहां होती तो शायद ये घटनाएं नहीं होती। वहीं दूसरी बात यह है कि वहां पर लोगों को इंद्रा आवास के किश्त नहीं दिए जा रहे हैं। हमें बताया गया है कि वहां एक अशोक सिंह नाम के सरपंच के द्वारा 15-15 हजार रुपये मांगे जा रहे हैं। उसका कहना है कि हम लेकर आये हैं तो 15-15 हजार दो। जिसके कारण वहां किसी का घर नहीं बना है सबके सब इन्कम्प्लीट है।

सरकार का नियम है कि जो पैसा लेकर घर नहीं बनाया उसके ऊपर केस होता है। उस बहाने भी वहां प्रशासन पहुंचते तो वो लोग अपनी व्यथा बताते। कहने ल मतलब है कि जिला प्रशासन के निग्लेशि के कारण ऐसा हो रहा है। वहां दर्जनों महिलाएं है जिसको सामाजिक सुरक्षा के तहत पेंशन मिलना चाहिए था उनको अभी तक कुछ नहीं मिला है। यहाँ के पदाधिकारी लोग बैठे -बैठे क्या करते हैं? जब हमने डीएम से कहा कि कर्मचारी को भेजकर वहां के जमीन की समस्या, इंद्रा आवास में गड़बड़ी, वृद्धा पेंशन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन और ठनका में गिरने से हुए घायल को एक भी पैसा नहीं मिला है जबकि नियम है उसे देख लिया जाए तो डीएम कहते हैं अच्छा हम देख लेते हैं मिला है कि नहीं मिला है। विचित्र बात है। इतनी बड़ी घटना हो गई और डीएम कहते हैं कि देख लेते हैं।




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