नवादा: जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कुछ ऐसे गांव हैं, जहां के लोग अपनी मेहनत से फल-फूल उगा रहे हैं. इस क्षेत्र में बंजर जमीन होने के कारण लोग सब्जी और अनाज के लिए तरसते थे. मगर ग्राम निर्माण मंडल के सहयोग और लोगों की कड़ी मेहनत ने इस समस्या से भी निजात पा लिया.
50 एकड़ में हो रही खेती
जिला मुख्यालय से करीब 60 किमी दूर पहाड़ियों और जंगलों के बीच बसे झारणवां, रानीगदर और दनियां गांव में लोग अपनी मेहनत से 50 एकड़ में फसल उगा रहे हैं. दरअसल, पहाड़ी और जंगलों से घिरा इलाका होने के कारण यहां के लोग पानी को रोक नहीं पाते थे. इसके कारण यहां के लोगों को फसल उगाने में काफी परेशानी होती थी.
श्रमदान के लिए किया प्रोत्साहित
यही नहीं, उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र होने के कारण इन लोगों को किसी प्रकार की सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही थी. इन परेशानियों को देखते हुए ग्राम निर्माण मंडल, सेखोदेवरा आश्रम के लोगों ग्रामिणों के बीच एक नई उम्मीद जगाई. उन्होंने लोगों को श्रमदान के लिए प्रोत्साहित किया.
पहाड़ पर बनाया बांध
इससे प्रेरित होकर लोगों ने अपने श्रमदान से पहाड़ पर बड़ा बांध बांधकर आहार का निर्माण किया. इसके बाद से वहां पहाड़ के पानी का संचयन होना शुरू हो गया. अब स्थिति ऐसी है हो गई कि जहां लोगों को एक एकड़ में भी ठीक से फसल लगाने के लिए वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता था, आज वहां खेते लहलहा रही है.
क्या कहते हैं किसान
रानीगदर के सुरेंद्र कुमार के अनुसार ये सारी मेहनत आश्रम के सहयोग से संभव हुआ. आश्रम के लोगों की मदद से यहां पानी का संचयन किया जा सका. उन्होंने नये-नये पेड़ पौधे लगाकर ग्रामिणों को खेती करने की ट्रेनिंग दी. इसका ही नतीजा है कि आज सभी ग्रामिण 50 एकड़ में फसल उगा रहे हैं.
फसलों और सब्जियों की खेती
लोग यहां धान-गेहूं के साथ-साथ फल-फूल की भी खेती करने लगे हैं. इसमें लौकी, टमाटर, भिंडी, गोभी, करेला, बैगन प्याज, लहसुन, खीरा, मिर्च और ककड़ी का फसल शामिल है. फलों में यहां अमरूद, आम के कई किस्म के पौधे लगाये गये हैं.