नवादाः जिले में मकर संक्रांति को लेकर तिलकुट की डिमांड भी बढ़ने लगी है. जिसे देखते हुए कारोबारी तिलकुट बनाने में जुट गए हैं. कारीगर दिन-रात तिलकुट बनाने में लगे हुए हैं. शहरों में इसकी दुकानें सज गई हैं, जिसकी खुशबू चारों ओर फैलने लगी है.
ठंड के मौसम में देता है गर्माहट
दरअसल ठंड के मौसम में शरीर में गर्माहट लाने के लिए तिल काफी उपयोगी माना जाता है. इसलिए ठंड में तिलकुट की बिक्री काफी बढ़ जाती है. लोग ठंड में तिलकुट खाना अच्छा समझते हैं. तिलकूट खरीदने आये लोगों का कहना है कि यहां ठंड काफी बढ़ी हुई है. बड़े-बुजुर्ग कहते हैं, तिलकुट खाने से शरीर में काफी गर्माहट बनी रहती है. इसलिए तिलकुट खरीदने आये हैं.
तिलकुट के बिना दही चूड़े का स्वाद अधूरा
नवादा में तिलकुट के सबसे पुराने दुकानों में एक श्री गया की तिलकुट दुकान पर लोगों की भीड़ लगने लगी है. मकर संक्रांति में तो बिना तिलकुट के दही चूड़े का स्वाद अधूरा माना जाता है. नवादा में श्री गया तिलकुट भंडार के नाम की यह दुकान काफी प्रसिद्ध है.
मशहूर है श्री गया की तिलकुट दुकान
तिलकूट कारोबारी बताते हैं कि पैसे कमाने की चाह में लगभग पांच दशक पहले उनके परिवार ने नवादा में गया का तिलकुट बनाना शुरू किया. बाद में वो अपनी मेहनत की बदौलत नवादा में तिलकुट उद्योग स्थापित करने में कामयाब हो गए. आज नवादा में श्री गया का तिलकुट काफी मशहूर है.
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कई राज्यों में जाता है नवादा का तिलकुट
कारोबारी ने बताया कि ठंड में तिलकुट की डिमांड काफी बढ़ जाती है. यहां का तिलकुट उत्तर बिहार, झारखंड, बंगाल और उड़ीसा तक जाता है. ठंड में डिमांड इतनी बढ़ जाती है कि हम लोग उसे पूरा ही नहीं कर पाते हैं.
तिल से तैयार होता है तिलकुट
बता दें कि तिलकूट खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, उतनी ही इसे बनाने में मेहनत लगती है. इसको बनाने के लिए सभी सामग्री गरम-गरम ही रहना चाहिए. जैसे गुड़ या शक्कर की चाशनी, गरम तिल आदि, तिल को कूटकर गरम-गरम चाशनी में मिलाकर तिलकुट तैयार किया जाता है.