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बिहार: गुमनामी में तन्हा सो रहा कश्मीर का आखिरी सुल्तान, सरकारी रहनुमाओं का वर्षों से इंतजार - Muharram special

नालंदा में कश्मीर के आखिरी सुल्तान युसूफ शाह चक की कब्र है. सरकारी उदासीनता के कारण युसूफ शाह चक के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. इतिहास के पन्नों में अमर हो चुके राजा की कब्र अपनी तन्हाई की दास्तां चीख-चीखकर सुना रही है.

देखें ये खास रिपोर्ट
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Published : Aug 29, 2020, 10:57 PM IST

नालंदा: ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाने वाले नालंदा में कई ऐसी धरोहरें भी हैं, जो गुमनामी के अंधेरे में खो रही हैं. सरकारी उदासीनता के कारण ये बदहाली की कगार पर पहुंच चुकी हैं. ऐसी ही एक धरोहर कश्मीर के आखिरी राजा से जुड़ी हुई है. यहां इस्लामपुर प्रखंड के बेशवक गांव में कश्मीर पर हुकूमत कर चुके सुल्तान युसूफ शाह चक अपनी कब्र में आराम फरमा रहे हैं. लेकिन उन्हें देखने वाला कोई नहीं.

बेशवक गांव में कश्मीर के आखिरी बादशाह युसूफ शाह चक की कब्र बनी हुई है. बदरंग और जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी कब्र की बाउंड्री वॉल और आसपास उगी हरी घास इस धरोहर की बदहाली बताने के लिए काफी है. ऐतिहासिक स्थल का विकास न होना इसे पर्यटन के नजरिये से उस मुकाम तक नहीं ले जा सका, जिसका ये स्थल हकदार था.

देखें ये खास रिपोर्ट

चक वंश के राजा...
कौन हैं राजा युसूफ शाह चक, ये शायद इस पर्यटन स्थल की बदहाली की वजह से ज्यादा कोई नहीं जानता. मुगलों के कश्मीर से पहले वहां की स्वतंत्र रियासत के आखिरी सुल्तान युसूफ शाह 'चक' वंश के शासक थे. इन्होंने 1578 से 1586 ईसवी तक कश्मीर पर हुकूमत की.

लगी है शिलापट्ट
लगा है शिलापट्ट

अकबर ने कर लिया था कैद
1586 को मुगल बादशाह अकबर ने राजा युसूफ शाह चक को कैद कर लिया. अकबर ने उन्हें 30 महीने तक कैद में रखा. इसके बाद मुगल बादशाह ने उन्हें निर्वासित कर दिया. अकबर ने अपने सेनापति मानसिंह के सहायक के तौर पर कश्मीर के आखिरी राजा को एक विशेष ओहदे के रूप में 500 मनसब देकर नालंदा भेजा.

इतिहास के ये पन्ने
इतिहास के पन्नों में युसूफ शाह चक का जिक्र किया गया है. अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी के साथ-साथ पांडुलिपि फारसी में बहारिस्तान-ए-शाही में उनका जिक्र है. मध्ययुगीन ये दस्तावेज कश्मीर की राजनीतिक उठापटक के गवाह हैं. इनके मुताबिक युसूफ जब अपने विद्रोही सामंतों से बहुत परेशान हो गए, तो उन्होंने 1980 को अकबर से मदद मांगी.

बादशाह युसूफ शाह चक की कब्र
बादशाह युसूफ शाह चक की कब्र

समझौते से नाराज हुए अकबर
मदद करने के लिए अकबर ने राजा मान सिंह को युसूफ के पास भेजा. लेकिन मुगल सेना, जब तक कश्मीर पहुंचती युसूफ शाह चक और उनके विद्रोही सामंत अब्दाल भट्ट के बीच समझौता हो गया. इसके परिणाम स्वरूप मुगल सेना को कश्मीर के बाहर से ही लौटना पड़ा. इससे अकबर युसूफ से बेहद नाराज हो गए.

फिर कर लिया कैद
1586 को अकबर के आदेश पर राजा भगवान सिंह ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया. इस आक्रमण के बाद युसूफ और भगवान सिंह के बीच समझौता हो गया. समझौते के बाद युसूफ शाह चक को लाहौर में अकबर के सामने पेश किया गया. अपनी नाराजगी दिखाते हुए अकबर ने कश्मीर के सुल्तान को कैद कर लिया.

यहां सोया है बादशाह का पूरा परिवार
यहां सोया है बादशाह का पूरा परिवार

अकबर के लिए लड़ते हुए पड़ गए थे बीमार
अकबर के लिए लड़ते हुए ओडिशा पर फतह हासिल कर युसूफ शाह चक की तबीयत खराब हो गई. इसके चलते 1592 में उनकी मौत हो गई. दस्तावेजों के मुताबिक शाह के शव को बेशवक लाने में दो महीने का समय लगा और उन्हें यहीं दफना दिया गया. ऐसा कहा जाता है कि शाह की याद में यहां बहुत बड़े बगीचे का निर्माण भी करवाया गया था.

दफ्न है पूरा खानदान
युसूफ शाह चक की कब्र के साथ कई कब्रें हैं. स्थानीय मौलाना के मुताबिक ये कब्रें उनके खानदान की हैं. मां को छोड़कर यहां उनकी पत्नी हब्बा खातून, भाई और बेटे की कब्र हैं. ये कब्र राजा के चारों ओर हैं. यहां उनका पूरा का पूरा खानदान दफ्न है.

मिल चुकी है भगवान बुद्ध की प्रतिमा...
वहीं, बेशवक में अब वो बगीचा नहीं है. हालांकि, स्थानीय लोगों की माने तो यहां बोरिंग के समय भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी मिल चुकी है. लोगों का कहना है कि सरकार को इस ऐतिहासिक स्थल के बारे में सोचना चाहिए. पुरातत्व विभाग को इस बारे में पूरी जानकारी है. बावजूद इसके किसी प्रकार का कोई निर्माण कार्य नहीं करवाया गया है. जो बाउंड्री वॉल थी. वो भी जर्जर हो चुकी है. यहां निर्माण कार्य होना चाहिए और इसके बारे में आम जनता को ज्यादा से ज्यादा अवगत कराना चाहिए.

राजा को रहनुमाओं का इंतजार
कश्मीर के शंहशाह तो कब्र में आराम फराम रहे हैं. गहरी नींद में सो गए हैं. लेकिन, अब के सियासी रहनुमाओं को इस ओर कौन लाएगा. उन्हें कौन बताएगा कि खंडहर में तब्दील हुए किसी राजा के कब्र की देखभाली की जाए. उसे टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर डेवलप किया जाए.

नालंदा: ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाने वाले नालंदा में कई ऐसी धरोहरें भी हैं, जो गुमनामी के अंधेरे में खो रही हैं. सरकारी उदासीनता के कारण ये बदहाली की कगार पर पहुंच चुकी हैं. ऐसी ही एक धरोहर कश्मीर के आखिरी राजा से जुड़ी हुई है. यहां इस्लामपुर प्रखंड के बेशवक गांव में कश्मीर पर हुकूमत कर चुके सुल्तान युसूफ शाह चक अपनी कब्र में आराम फरमा रहे हैं. लेकिन उन्हें देखने वाला कोई नहीं.

बेशवक गांव में कश्मीर के आखिरी बादशाह युसूफ शाह चक की कब्र बनी हुई है. बदरंग और जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी कब्र की बाउंड्री वॉल और आसपास उगी हरी घास इस धरोहर की बदहाली बताने के लिए काफी है. ऐतिहासिक स्थल का विकास न होना इसे पर्यटन के नजरिये से उस मुकाम तक नहीं ले जा सका, जिसका ये स्थल हकदार था.

देखें ये खास रिपोर्ट

चक वंश के राजा...
कौन हैं राजा युसूफ शाह चक, ये शायद इस पर्यटन स्थल की बदहाली की वजह से ज्यादा कोई नहीं जानता. मुगलों के कश्मीर से पहले वहां की स्वतंत्र रियासत के आखिरी सुल्तान युसूफ शाह 'चक' वंश के शासक थे. इन्होंने 1578 से 1586 ईसवी तक कश्मीर पर हुकूमत की.

लगी है शिलापट्ट
लगा है शिलापट्ट

अकबर ने कर लिया था कैद
1586 को मुगल बादशाह अकबर ने राजा युसूफ शाह चक को कैद कर लिया. अकबर ने उन्हें 30 महीने तक कैद में रखा. इसके बाद मुगल बादशाह ने उन्हें निर्वासित कर दिया. अकबर ने अपने सेनापति मानसिंह के सहायक के तौर पर कश्मीर के आखिरी राजा को एक विशेष ओहदे के रूप में 500 मनसब देकर नालंदा भेजा.

इतिहास के ये पन्ने
इतिहास के पन्नों में युसूफ शाह चक का जिक्र किया गया है. अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी के साथ-साथ पांडुलिपि फारसी में बहारिस्तान-ए-शाही में उनका जिक्र है. मध्ययुगीन ये दस्तावेज कश्मीर की राजनीतिक उठापटक के गवाह हैं. इनके मुताबिक युसूफ जब अपने विद्रोही सामंतों से बहुत परेशान हो गए, तो उन्होंने 1980 को अकबर से मदद मांगी.

बादशाह युसूफ शाह चक की कब्र
बादशाह युसूफ शाह चक की कब्र

समझौते से नाराज हुए अकबर
मदद करने के लिए अकबर ने राजा मान सिंह को युसूफ के पास भेजा. लेकिन मुगल सेना, जब तक कश्मीर पहुंचती युसूफ शाह चक और उनके विद्रोही सामंत अब्दाल भट्ट के बीच समझौता हो गया. इसके परिणाम स्वरूप मुगल सेना को कश्मीर के बाहर से ही लौटना पड़ा. इससे अकबर युसूफ से बेहद नाराज हो गए.

फिर कर लिया कैद
1586 को अकबर के आदेश पर राजा भगवान सिंह ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया. इस आक्रमण के बाद युसूफ और भगवान सिंह के बीच समझौता हो गया. समझौते के बाद युसूफ शाह चक को लाहौर में अकबर के सामने पेश किया गया. अपनी नाराजगी दिखाते हुए अकबर ने कश्मीर के सुल्तान को कैद कर लिया.

यहां सोया है बादशाह का पूरा परिवार
यहां सोया है बादशाह का पूरा परिवार

अकबर के लिए लड़ते हुए पड़ गए थे बीमार
अकबर के लिए लड़ते हुए ओडिशा पर फतह हासिल कर युसूफ शाह चक की तबीयत खराब हो गई. इसके चलते 1592 में उनकी मौत हो गई. दस्तावेजों के मुताबिक शाह के शव को बेशवक लाने में दो महीने का समय लगा और उन्हें यहीं दफना दिया गया. ऐसा कहा जाता है कि शाह की याद में यहां बहुत बड़े बगीचे का निर्माण भी करवाया गया था.

दफ्न है पूरा खानदान
युसूफ शाह चक की कब्र के साथ कई कब्रें हैं. स्थानीय मौलाना के मुताबिक ये कब्रें उनके खानदान की हैं. मां को छोड़कर यहां उनकी पत्नी हब्बा खातून, भाई और बेटे की कब्र हैं. ये कब्र राजा के चारों ओर हैं. यहां उनका पूरा का पूरा खानदान दफ्न है.

मिल चुकी है भगवान बुद्ध की प्रतिमा...
वहीं, बेशवक में अब वो बगीचा नहीं है. हालांकि, स्थानीय लोगों की माने तो यहां बोरिंग के समय भगवान बुद्ध की प्रतिमा भी मिल चुकी है. लोगों का कहना है कि सरकार को इस ऐतिहासिक स्थल के बारे में सोचना चाहिए. पुरातत्व विभाग को इस बारे में पूरी जानकारी है. बावजूद इसके किसी प्रकार का कोई निर्माण कार्य नहीं करवाया गया है. जो बाउंड्री वॉल थी. वो भी जर्जर हो चुकी है. यहां निर्माण कार्य होना चाहिए और इसके बारे में आम जनता को ज्यादा से ज्यादा अवगत कराना चाहिए.

राजा को रहनुमाओं का इंतजार
कश्मीर के शंहशाह तो कब्र में आराम फराम रहे हैं. गहरी नींद में सो गए हैं. लेकिन, अब के सियासी रहनुमाओं को इस ओर कौन लाएगा. उन्हें कौन बताएगा कि खंडहर में तब्दील हुए किसी राजा के कब्र की देखभाली की जाए. उसे टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर डेवलप किया जाए.

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