नालंदा : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले में शिक्षा व्यवस्था के दावों की पोल खुल गई. बरामदे में जमीन पर बैठाकर बिहार बोर्ड की 9वीं से 12वीं तक की परीक्षा ली जा रही है. तस्वीरें सिलाव के गांधी उच्च विद्यालय की हैं. जहां 1150 बच्चों का सेंटर दिया गया है. लेकिन स्कूल में बेंच की कमी होने की वजह से इन छात्रों को जमीन पर बैठकर परीक्षा देनी पड़ रही है.
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जमीन पर बैठकर छात्र दे रहे परीक्षा : यही नहीं जो बेंच पर बैठे हैं उनके साथ भी ज्यादती हो रही है. एक ही बेंच पर 4-4 परीक्षार्थियों को बैठाकर परीक्षा ली जा रही है. इस बारे में जब स्कूल की प्राचार्य रेणु कुमारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि कमरे की संख्या महज 8 है जबकि सेंटर पर एक हजार एक सौ पचास विद्यार्थी परीक्षा दे रहे हैं. स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति तो सुधर गई लेकिन अभी भी संसाधनों का अभाव है.
केके पाठक के निरीक्षण का ये निकला नतीजा? : वीडियो में देखा जा सकता है कि जिस तरह से छात्र-छात्राएं परीक्षा दे रहीं हैं उस तरह से आम दिनों में भी बच्चे ऐसे बैठकर पढ़ाई नहीं करते होंगे. सवाल इस बात का है कि जब स्कूल में 1150 छात्रों का नामांकन हुआ है तो इतने छात्रों को बैठने के इंतजाम शिक्षा विभाग के द्वारा क्यों नहीं किए गए. जब केके पाठक स्कूल-स्कूल घूम रहे थे तो अफसर किस बात का निरीक्षण कर रहे थे? इसका जवाब अभिभावक और आसपास की जनता जानना
''हमारे विद्यालय में 1150 छात्र परीक्षा दे रहे हैं. कमरे कम होने और कुर्सी बेंच की कमी के कारण ये बच्चे जमीन पर बैठकर परीक्षा दे रहे हैं.''- रेणु कुमारी, प्राचार्य, गांधी उच्च विद्यालय
कैसे होगी नकल विहीन परीक्षा? : गौरतलब है कि शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक ने शिक्षा विभाग पर लगाम कसकर उसे सुधारने का काम किया. कई दिनों तक निरीक्षण किया बावजूद इसके शिक्षा विभाग ने जमीन पर संसाधन नहीं सुधारे. यही कारण है कि छात्रों को जमीन पर बैठकर ही परीक्षा देना पड़ रहा है. पास-पास बैठने की वजह से छात्र-छात्राएं नकल करके लिखने में भी कामयाब हो रहे हैं.