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दीपावली विशेष : बिहार के इस मंदिर में लड्डू चढ़ाने के लिए भक्त लगाते हैं लाखों की बोली - Jal Mandir Pawapuri

नालंदा का एक ऐसा मंदिर जहां दिवाली की सुबह लड्डू की बोली लगती है. देसी घी से बने लड्डू को बनाने के लिए राजस्थान और महाराष्ट्र से हलवाई पहुंचे हुए हैं. क्या है इस मंदिर की विशेषता जानने के लिए पढ़ें और देखें स्पेशल रिपोर्ट-

जल मंदिर पावापुरी
जल मंदिर पावापुरी
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Published : Oct 22, 2022, 11:59 PM IST

Updated : Oct 23, 2022, 6:08 AM IST

नालंदा: बिहार का नालंदा कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को समेटे हुए है. उन्ही में से एक है जैन धर्मावलंबियों के आस्था का केंद्र पावापुरी. नालंदा जिला मुख्यालय से लगभग 11 किलोमीटर दूर स्थित जैनों का पवित्र जल मंदिर (Jal Mandir Pawapuri) है जिसके दर्शन के लिए श्रद्धालु दू- दूर से आते हैं. इसका महत्व हर साल दीपावली के मौके पर और भी बढ़ जाता है. इस दिन भगवान महावीर का 2548वां निर्वाण दिवस है. इस मौके पर मंदिर में विशेष पूजा की जाती है. खास तरह का आयोजन होता है जिसमें शामिल होने के लिए कई देशों से श्वेतांबर और दिगंबर जैन अनुयायी यहां पहुंचते हैं. इस उपलक्ष्य में पावापुरी में एक बड़ा मेला भी लगता है.

ये भी पढ़ें- जैनियों के तीर्थस्थल मधुबन में भगवान पार्श्वनाथ का निर्वाण महोत्सव, चढ़ाया गया 2300 किलोग्राम का लड्डू

दीपावली की सुबह लगती है लड्डू की बोली: जिस दिन दीपावली होती है यानी कार्तिक मास की अमावस्या की मध्य रात को भगवान महावीर का परिनिर्वाण हुआ था. इसी के उपलक्ष्य में हर साल जल मंदिर में दीपोत्सव होता है. इस दौरान इसे देखने के लिए जैन धर्मावलंबी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. इस जल मंदिर में लड्डू चढ़ाने की भी परंपरा है. मंदिर में लड्डू चढ़ाने के लिए दोनों श्वेतांबर और दिगंबर श्रद्धालुओं के बीच बोली लगती है . जो भी श्रद्धालु सबसे ज्यादा बोली लगाता है उसे मंदिर में लड्डू चढ़ाने का मौका दिया जाता है.

खास तरीके से बनता है लड्डू: मंदिर में एक किलो से लेकर 51 किलो का लाडू चढ़ता है. भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के दिन लड्डू चढ़ाने की परंपरा है. इसके लिए खास तौर पर कारीगर दूसरे प्रदेशों से पहुंचते हैं. इस बार ये कारीगर राजस्थान और महाराष्ट्र से लड्डू बनाने के लिए आए हुए हैं. जैन श्वेताम्बर और दिगंबर प्रबंधन की निगरानी में शुद्ध देसी घी का लड्डू बनाया जाता है. जैन श्रद्धालु लड्डू को अपने माथे पर लेकर निर्वाण स्थली से लेकर अंतिम संस्कार भूमि तक जाते हैं. उसी जगह ये जल मंदिर बना हुआ है. वहीं उसे अर्पित किया जाता है.

लगता है दीपावली मेला: पावापुरी में निर्वाण महोत्सव को लेकर दीपावली मेला भी लगता है. दिवाली के दिन बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालु रथ यात्रा में शामिल होते हैं. इसमें चांदी के रथ पर भगवान महावीर को लेकर पावापुरी के ही अलग-अलग जैन मंदिरों में भ्रमण कराया जाता है. अंत में पावापुरी निर्वाण स्थान जल मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है. मंदिर की भव्यता ऐसी है कि हर कोई यहां पहुंचकर शांति का अनुभव करता है. चारों तरफ जल से घिरा हिस्सा और बीच में पावापुरी का जल मंदिर.

2548वां निर्वाण महोत्सव: इस महोत्सव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले दिन यानि 23 को शामिल होंगे. कोरोना काल के दो साल बाद इस मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. जिसको लेकर ज़िला प्रशासन की ओर से सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है. जलमंदिर भगवान महावीर की निर्वाण स्थली के रूप में जाना जाता है. लगभग 84 बीघे के तालाब के बीचों बीच सफेद संगमरमर का मंदिर दिखाई देता है. सफेद रंग शांति का अहसास करवाता है. इस मंदिर में भगवान महावीर और उनके दो शिष्यों की चरण पादुका रखी हुईं हैं. एक तरह से पूरे विश्व में रह रहे जैनियों के लिए यह क्षेत्र किसी मक्का की तरह है.

नालंदा: बिहार का नालंदा कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को समेटे हुए है. उन्ही में से एक है जैन धर्मावलंबियों के आस्था का केंद्र पावापुरी. नालंदा जिला मुख्यालय से लगभग 11 किलोमीटर दूर स्थित जैनों का पवित्र जल मंदिर (Jal Mandir Pawapuri) है जिसके दर्शन के लिए श्रद्धालु दू- दूर से आते हैं. इसका महत्व हर साल दीपावली के मौके पर और भी बढ़ जाता है. इस दिन भगवान महावीर का 2548वां निर्वाण दिवस है. इस मौके पर मंदिर में विशेष पूजा की जाती है. खास तरह का आयोजन होता है जिसमें शामिल होने के लिए कई देशों से श्वेतांबर और दिगंबर जैन अनुयायी यहां पहुंचते हैं. इस उपलक्ष्य में पावापुरी में एक बड़ा मेला भी लगता है.

ये भी पढ़ें- जैनियों के तीर्थस्थल मधुबन में भगवान पार्श्वनाथ का निर्वाण महोत्सव, चढ़ाया गया 2300 किलोग्राम का लड्डू

दीपावली की सुबह लगती है लड्डू की बोली: जिस दिन दीपावली होती है यानी कार्तिक मास की अमावस्या की मध्य रात को भगवान महावीर का परिनिर्वाण हुआ था. इसी के उपलक्ष्य में हर साल जल मंदिर में दीपोत्सव होता है. इस दौरान इसे देखने के लिए जैन धर्मावलंबी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. इस जल मंदिर में लड्डू चढ़ाने की भी परंपरा है. मंदिर में लड्डू चढ़ाने के लिए दोनों श्वेतांबर और दिगंबर श्रद्धालुओं के बीच बोली लगती है . जो भी श्रद्धालु सबसे ज्यादा बोली लगाता है उसे मंदिर में लड्डू चढ़ाने का मौका दिया जाता है.

खास तरीके से बनता है लड्डू: मंदिर में एक किलो से लेकर 51 किलो का लाडू चढ़ता है. भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के दिन लड्डू चढ़ाने की परंपरा है. इसके लिए खास तौर पर कारीगर दूसरे प्रदेशों से पहुंचते हैं. इस बार ये कारीगर राजस्थान और महाराष्ट्र से लड्डू बनाने के लिए आए हुए हैं. जैन श्वेताम्बर और दिगंबर प्रबंधन की निगरानी में शुद्ध देसी घी का लड्डू बनाया जाता है. जैन श्रद्धालु लड्डू को अपने माथे पर लेकर निर्वाण स्थली से लेकर अंतिम संस्कार भूमि तक जाते हैं. उसी जगह ये जल मंदिर बना हुआ है. वहीं उसे अर्पित किया जाता है.

लगता है दीपावली मेला: पावापुरी में निर्वाण महोत्सव को लेकर दीपावली मेला भी लगता है. दिवाली के दिन बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालु रथ यात्रा में शामिल होते हैं. इसमें चांदी के रथ पर भगवान महावीर को लेकर पावापुरी के ही अलग-अलग जैन मंदिरों में भ्रमण कराया जाता है. अंत में पावापुरी निर्वाण स्थान जल मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है. मंदिर की भव्यता ऐसी है कि हर कोई यहां पहुंचकर शांति का अनुभव करता है. चारों तरफ जल से घिरा हिस्सा और बीच में पावापुरी का जल मंदिर.

2548वां निर्वाण महोत्सव: इस महोत्सव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले दिन यानि 23 को शामिल होंगे. कोरोना काल के दो साल बाद इस मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. जिसको लेकर ज़िला प्रशासन की ओर से सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है. जलमंदिर भगवान महावीर की निर्वाण स्थली के रूप में जाना जाता है. लगभग 84 बीघे के तालाब के बीचों बीच सफेद संगमरमर का मंदिर दिखाई देता है. सफेद रंग शांति का अहसास करवाता है. इस मंदिर में भगवान महावीर और उनके दो शिष्यों की चरण पादुका रखी हुईं हैं. एक तरह से पूरे विश्व में रह रहे जैनियों के लिए यह क्षेत्र किसी मक्का की तरह है.

Last Updated : Oct 23, 2022, 6:08 AM IST
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