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नालंदा: खतरे में है सरस्वती नदी का अस्तित्व, लाखों खर्च करने के बावजूद सूख चुकी है नदी

मुक्तिधाम के पास से गुजरती गोदावरी नदी के संगम से निकली सरस्वती नदी का अपना प्राकृतिक भूगर्भ जल स्रोत है. वहीं आज सरस्वती नदी का अस्तित्व खतरे में हैं.

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Published : Aug 5, 2020, 8:29 PM IST

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नालंदा: पर्यटन स्थल राजगीर को एक ऐतिहासिक स्थल के साथ-साथ धार्मिक स्थल के रूप में भी जाना जाता है. यहां अनेक ऐसे स्थल हैं जहां देश और विदेश के लोग पहुंचकर ना सिर्फ दर्शन करते हैं बल्कि पुण्य भी प्राप्त करते हैं. उन्हीं में से एक है सरस्वती नदी. मुक्तिधाम के समीप से गुजरती गोदावरी नदी के संगम से निकली सरस्वती नदी का अपना प्राकृतिक भूगर्भ जल स्रोत है. वहीं आज सरस्वती नदी का अस्तित्व खतरे में हैं.

राजगीर में यह नदी एक नाले का स्वरूप ले चुकी है. यह नदी आज लगभग सूख चुकी है. करीब 2 वर्ष पूर्व सरकार का नदी के महत्व को देखते हुए ध्यान आकृष्ट हुआ था. जिसके बाद नदी के अस्तित्व को बचाने और इसके सौंदर्यीकरण का काम शुरू कराया गया था. जल संसाधन विभाग के माध्यम से नदी का सौन्दर्यकरण कराया गया. लाखों रुपये इस पर खर्च भी किए गए. लेकिन दो साल बाद इस नदी का आज फिर से वही हाल है.

पेश है रिपोर्ट

मलमास मेले में पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु
बता दें कि हर 3 साल पर राजगीर में मलमास मेला का आयोजन होता है. इस मलमास मेला में लाखों की संख्या में हिंदू श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और एक महीना तक गर्म पानी में स्नान कर पुण्य की प्राप्ति करते हैं. इस दौरान साधु संत भी पहुंचते है और शाही स्नान करते है. इस शाही स्नान में प्रथम स्थान सरस्वती नदी का है. वहां स्नान करने के बाद ही कुंड और धारा में लोग स्नान करने के लिए जाते हैं.

लॉकडाउन के कारण हुई देरी
वहीं पंडा कमेटी के प्रवक्ता सुधीर कुमार उपाध्याय ने बताया कि सरस्वती नदी को लेकर पंडा कमेटी भी चिंतित है. पंडा कमेटी की ओर से इस बार प्रयास किया जा रहा है कि इसका सौन्दर्यकरण किया जाए. साथ ही एक सरस्वती माता की मूर्ति स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया था लेकिन लॉकडाउन के कारण इसके काम पर देरी हो रही है.

नालंदा: पर्यटन स्थल राजगीर को एक ऐतिहासिक स्थल के साथ-साथ धार्मिक स्थल के रूप में भी जाना जाता है. यहां अनेक ऐसे स्थल हैं जहां देश और विदेश के लोग पहुंचकर ना सिर्फ दर्शन करते हैं बल्कि पुण्य भी प्राप्त करते हैं. उन्हीं में से एक है सरस्वती नदी. मुक्तिधाम के समीप से गुजरती गोदावरी नदी के संगम से निकली सरस्वती नदी का अपना प्राकृतिक भूगर्भ जल स्रोत है. वहीं आज सरस्वती नदी का अस्तित्व खतरे में हैं.

राजगीर में यह नदी एक नाले का स्वरूप ले चुकी है. यह नदी आज लगभग सूख चुकी है. करीब 2 वर्ष पूर्व सरकार का नदी के महत्व को देखते हुए ध्यान आकृष्ट हुआ था. जिसके बाद नदी के अस्तित्व को बचाने और इसके सौंदर्यीकरण का काम शुरू कराया गया था. जल संसाधन विभाग के माध्यम से नदी का सौन्दर्यकरण कराया गया. लाखों रुपये इस पर खर्च भी किए गए. लेकिन दो साल बाद इस नदी का आज फिर से वही हाल है.

पेश है रिपोर्ट

मलमास मेले में पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु
बता दें कि हर 3 साल पर राजगीर में मलमास मेला का आयोजन होता है. इस मलमास मेला में लाखों की संख्या में हिंदू श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और एक महीना तक गर्म पानी में स्नान कर पुण्य की प्राप्ति करते हैं. इस दौरान साधु संत भी पहुंचते है और शाही स्नान करते है. इस शाही स्नान में प्रथम स्थान सरस्वती नदी का है. वहां स्नान करने के बाद ही कुंड और धारा में लोग स्नान करने के लिए जाते हैं.

लॉकडाउन के कारण हुई देरी
वहीं पंडा कमेटी के प्रवक्ता सुधीर कुमार उपाध्याय ने बताया कि सरस्वती नदी को लेकर पंडा कमेटी भी चिंतित है. पंडा कमेटी की ओर से इस बार प्रयास किया जा रहा है कि इसका सौन्दर्यकरण किया जाए. साथ ही एक सरस्वती माता की मूर्ति स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया था लेकिन लॉकडाउन के कारण इसके काम पर देरी हो रही है.

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