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अपनी असफलता को बनाया कामयाबी का हथियार.. ऐसे बना 'मैट्रिक फेल चाय वाला'

पास और फेल होना जिंदगी के दो पहलू हैं. कुछ फेल होकर टूट जाते हैं और कुछ जिंदगी जीने का सबक सीख लेते हैं. उन्हीं में से एक हैं पंकज शर्मा ऊर्फ 'नालंदा का मैट्रिक फेल चाय वाला'. उन्होंने क्यों इस तरह का नाम चुना इसके पीछे की क्या है कहानी जानने के लिए पढ़ें Nalanda News

Matric Fail Chai Wala
Matric Fail Chai Wala
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Published : Jan 5, 2023, 5:22 PM IST

Updated : Jan 6, 2023, 12:25 PM IST

नालंदा का मैट्रिक फेल चाय वाला

नालंदा : हर फील्ड में सफल होने के लिए हर कोई हाड़तोड़ मेहनत करता है. सफलता हर व्यक्ति की प्रेरणा होती है, लेकिन बिहार के नालंदा के रहने वाले पंकज शर्मा ने अपनी असफलता को ही जिंदगी जीने और रोजगार का जरिया बना लिया और दुकान का नाम रख लिया 'मैट्रिक फेल चाय वाला' (Nalanda Matric Fail Chai Wala).

ये भी पढ़ें- अब पटना में 'रग्बी चाय वाला' : नेशनल खेल ग्राउंड से टी स्टॉल तक का सफर

मैट्रिक फेल चाय वाला नाम रखने के पीछे की कहानी: दरअसल, पिता की बीमारी और आर्थिक तंगी की वजह से पंकज ने नालंदा में एक चाय की दुकान खोली. लेकिन उसके नाम को लेकर पशोपेश में पड़ गए. उन्होंने सोचा कि वो मैट्रिक फेल हैं तो क्यों न 'मैट्रिक फेल चायवाला' नाम को ही अपने दुकान का नाम रख लिया जाए. डेढ़ साल पहले पंकज ने टी स्टॉल का नाम तो सोच लिया लेकिन दूसरों की सलाह से संकोच में पड़ गए.

''हम सोचे कि फेल तो हम हैं ही, मेरे दिमाग में कोई नाम नहीं सूझ रहा था. फिर सोचे की फेल नाम से ही टी स्टॉल की शुरूआत कर देते हैं. हमे बहुत लोगों ने एडवाज दिया कि 'मैट्रिक फेल' नाम मत रखो. फेलियर लिखना गलत होता है. मैने सोचा कि फेलियर हैं तो लिखने में क्या गलत है. ये तो रियलिटी है. मैने इसलिए ये नाम रख लिया.''- पंकज शर्मा, मैट्रिक फेल चाय वाला

'फेल होना भी एक सबक': 'असफल आदमी कभी सफल नहीं होता' की सलाह ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया. फिर पंकज ने हौसला रखते हुए हकीकत को अपना बिजनस मॉडल बना लिया. उनका कहना था कि हकीकत यही है कि वो 2019 में मेट्रिक फेल हैं. पंकज ने दूसरों की सलाह को दरकिनार करते हुए अपने दुकान का नाम 'मैट्रिक फेल' तय कर लिया.

डेढ़ साल पहले खोला टी स्टॉल: शानू ऊर्फ पंकज शर्मा सबसे पहले इसकी शुरुआत सोहसराय के जलालपुर से किया. जिसके बाद वहां से उसे हटा दिया गया. फिर सरकारी बस पड़ाव काशितकिया मोहल्ले में खोली, वहां एक साल तक टी स्टॉल चली बाद में उसे भी वहां से हटा दिया गया. फिलहाल उनका टी स्टॉल का नया पता भराव स्थित एलआईसी ऑफिस के बगल हैं.

मिल रहा ग्राहकों का अच्छा रिस्पॉन्स: 'मैट्रिक फेल चाय वाला' को लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. इसीलिए यहां खूब भीड़ होती है. पंकज ने बताया कि वो स्टॉल चलाने के साथ ही वो कंप्यूटर से रिलेटेड कुछ टेक्निकल डिग्री भी ले रहे हैं. इसी तरह से लोगों का प्यार मिला तो इस स्टॉल को और बढ़ाऊंगा. जिसमें चाय के दूसरे फ्लेवर और फ़ास्ट फ़ूड जैसे खाने पीने की चीज़ों को भी रखूंगा.

''यहां सब जगह से बेहतर चाय पीने को मिल रहा है. स्वाद और पैसा दोनों अभी के हिसाब से ठीक है. ₹7 में कुल्हड़ का चाय सभी जगह से कम है.''- अनूप कुमार, ग्राहक

अनोखे नाम ने दिलाई कईयों को पहचान: बिहार में अनोखे नाम से चाय दुकान खोलने की बाढ़ सी आई हुई है. ग्रेजुएट चायवाली की सफलता और एमबीए चायवाला की कामयाबी को देखते हुए नालंदा में 'मैट्रिक फेल चायवाला' नाम ग्राहकों की जुबान पर चढ़ चुका है. फिलहाल, आमदनी बढ़ने से 'मैट्रिक फेल चाय वाला' पंकज जिंदगी के इम्तहान में 'पास' हो गया.

नालंदा का मैट्रिक फेल चाय वाला

नालंदा : हर फील्ड में सफल होने के लिए हर कोई हाड़तोड़ मेहनत करता है. सफलता हर व्यक्ति की प्रेरणा होती है, लेकिन बिहार के नालंदा के रहने वाले पंकज शर्मा ने अपनी असफलता को ही जिंदगी जीने और रोजगार का जरिया बना लिया और दुकान का नाम रख लिया 'मैट्रिक फेल चाय वाला' (Nalanda Matric Fail Chai Wala).

ये भी पढ़ें- अब पटना में 'रग्बी चाय वाला' : नेशनल खेल ग्राउंड से टी स्टॉल तक का सफर

मैट्रिक फेल चाय वाला नाम रखने के पीछे की कहानी: दरअसल, पिता की बीमारी और आर्थिक तंगी की वजह से पंकज ने नालंदा में एक चाय की दुकान खोली. लेकिन उसके नाम को लेकर पशोपेश में पड़ गए. उन्होंने सोचा कि वो मैट्रिक फेल हैं तो क्यों न 'मैट्रिक फेल चायवाला' नाम को ही अपने दुकान का नाम रख लिया जाए. डेढ़ साल पहले पंकज ने टी स्टॉल का नाम तो सोच लिया लेकिन दूसरों की सलाह से संकोच में पड़ गए.

''हम सोचे कि फेल तो हम हैं ही, मेरे दिमाग में कोई नाम नहीं सूझ रहा था. फिर सोचे की फेल नाम से ही टी स्टॉल की शुरूआत कर देते हैं. हमे बहुत लोगों ने एडवाज दिया कि 'मैट्रिक फेल' नाम मत रखो. फेलियर लिखना गलत होता है. मैने सोचा कि फेलियर हैं तो लिखने में क्या गलत है. ये तो रियलिटी है. मैने इसलिए ये नाम रख लिया.''- पंकज शर्मा, मैट्रिक फेल चाय वाला

'फेल होना भी एक सबक': 'असफल आदमी कभी सफल नहीं होता' की सलाह ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया. फिर पंकज ने हौसला रखते हुए हकीकत को अपना बिजनस मॉडल बना लिया. उनका कहना था कि हकीकत यही है कि वो 2019 में मेट्रिक फेल हैं. पंकज ने दूसरों की सलाह को दरकिनार करते हुए अपने दुकान का नाम 'मैट्रिक फेल' तय कर लिया.

डेढ़ साल पहले खोला टी स्टॉल: शानू ऊर्फ पंकज शर्मा सबसे पहले इसकी शुरुआत सोहसराय के जलालपुर से किया. जिसके बाद वहां से उसे हटा दिया गया. फिर सरकारी बस पड़ाव काशितकिया मोहल्ले में खोली, वहां एक साल तक टी स्टॉल चली बाद में उसे भी वहां से हटा दिया गया. फिलहाल उनका टी स्टॉल का नया पता भराव स्थित एलआईसी ऑफिस के बगल हैं.

मिल रहा ग्राहकों का अच्छा रिस्पॉन्स: 'मैट्रिक फेल चाय वाला' को लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. इसीलिए यहां खूब भीड़ होती है. पंकज ने बताया कि वो स्टॉल चलाने के साथ ही वो कंप्यूटर से रिलेटेड कुछ टेक्निकल डिग्री भी ले रहे हैं. इसी तरह से लोगों का प्यार मिला तो इस स्टॉल को और बढ़ाऊंगा. जिसमें चाय के दूसरे फ्लेवर और फ़ास्ट फ़ूड जैसे खाने पीने की चीज़ों को भी रखूंगा.

''यहां सब जगह से बेहतर चाय पीने को मिल रहा है. स्वाद और पैसा दोनों अभी के हिसाब से ठीक है. ₹7 में कुल्हड़ का चाय सभी जगह से कम है.''- अनूप कुमार, ग्राहक

अनोखे नाम ने दिलाई कईयों को पहचान: बिहार में अनोखे नाम से चाय दुकान खोलने की बाढ़ सी आई हुई है. ग्रेजुएट चायवाली की सफलता और एमबीए चायवाला की कामयाबी को देखते हुए नालंदा में 'मैट्रिक फेल चायवाला' नाम ग्राहकों की जुबान पर चढ़ चुका है. फिलहाल, आमदनी बढ़ने से 'मैट्रिक फेल चाय वाला' पंकज जिंदगी के इम्तहान में 'पास' हो गया.

Last Updated : Jan 6, 2023, 12:25 PM IST
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