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नालंदा: कराटे का प्रशिक्षण देकर लड़कियों को आत्मनिर्भर बना रहीं शीतल खड्गे

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Published : Sep 18, 2019, 10:22 AM IST

Updated : Sep 18, 2019, 11:15 AM IST

शीतल खड्गे बिहार शरीफ के नालंदा हेल्थ क्लब में करीब 10 सालों से नालंदा के बच्चों को प्रशिक्षण देने का काम कर रही हैं. शीतल अब तक 1000 से अधिक बच्चों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना चुकी हैं.

कराटे का प्रशिक्षण देकर लड़कियों को बना रही आत्मनिर्भर

नालंदा: शीतल खड्गी एक ऐसी महिला जो लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने की ट्रेनिंग दे रही हैं. शीतल खड्गे को वीमेन बेस्ट फाइटर ऑफ बिहार के खिताब से नवाजा जा चुका है. शीतल खड्गे आज बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जूडो कराटे का प्रशिक्षण दे रही हैं.

कराटे का प्रशिक्षण दे रहीं शीतल खड्गे.

नेपाल के काठमांडू की रहने वाली शीतल खड्गे की 18 साल पहले बिहारशरीफ के संजय खड्गे से शादी हुई थी. शादी के बाद इन्होंने अपने पति संजय खड्गे से जूडो कराटे का प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण प्राप्त करने के इन्हें ब्लैक बेल्ट डॉन 4 भी दिया गया. अपने मेहनत और परिश्रम के बल पर इन्होंने महज कुछ ही समय में ही जुडो कराटे में महारत हासिल कर ली.

10 सालों से दे रही ट्रेनिंग
बिहारशरीफ के नालंदा हेल्थ क्लब में करीब 10 सालों से नालंदा के बच्चों को प्रशिक्षण देने का काम कर रही हैं. शीतल अबतक 1000 से अधिक बच्चों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाने का काम कर चुकी हैं. शीतल खड्गे के बेटे सोजल खड्गे ने भी मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण प्राप्त किया है. सोजल ने बिहार में आयोजित होने वाले विभिन्न प्रतियोगिता में भाग लेकर मेडल जीता है.

nalnda
शीतल खड्गे, ट्रेनर

आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश
प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्राओं का कहना है कि आत्मनिर्भर बनने के लिए मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग जरूरी है. खासकर लड़कियों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देना बहुत जरूरी है. छात्राओं ने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के लिए स्कूल, कॉलेज में भी इसकी व्यवस्था होने की मांग की है. प्रशिक्षण प्राप्त कर रही छात्राओं का सपना है कि वे देश के लिए ओलंपिक में भाग ले और मेडल जीतें.



नालंदा: शीतल खड्गी एक ऐसी महिला जो लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने की ट्रेनिंग दे रही हैं. शीतल खड्गे को वीमेन बेस्ट फाइटर ऑफ बिहार के खिताब से नवाजा जा चुका है. शीतल खड्गे आज बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जूडो कराटे का प्रशिक्षण दे रही हैं.

कराटे का प्रशिक्षण दे रहीं शीतल खड्गे.

नेपाल के काठमांडू की रहने वाली शीतल खड्गे की 18 साल पहले बिहारशरीफ के संजय खड्गे से शादी हुई थी. शादी के बाद इन्होंने अपने पति संजय खड्गे से जूडो कराटे का प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण प्राप्त करने के इन्हें ब्लैक बेल्ट डॉन 4 भी दिया गया. अपने मेहनत और परिश्रम के बल पर इन्होंने महज कुछ ही समय में ही जुडो कराटे में महारत हासिल कर ली.

10 सालों से दे रही ट्रेनिंग
बिहारशरीफ के नालंदा हेल्थ क्लब में करीब 10 सालों से नालंदा के बच्चों को प्रशिक्षण देने का काम कर रही हैं. शीतल अबतक 1000 से अधिक बच्चों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाने का काम कर चुकी हैं. शीतल खड्गे के बेटे सोजल खड्गे ने भी मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण प्राप्त किया है. सोजल ने बिहार में आयोजित होने वाले विभिन्न प्रतियोगिता में भाग लेकर मेडल जीता है.

nalnda
शीतल खड्गे, ट्रेनर

आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश
प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे छात्राओं का कहना है कि आत्मनिर्भर बनने के लिए मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग जरूरी है. खासकर लड़कियों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देना बहुत जरूरी है. छात्राओं ने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के लिए स्कूल, कॉलेज में भी इसकी व्यवस्था होने की मांग की है. प्रशिक्षण प्राप्त कर रही छात्राओं का सपना है कि वे देश के लिए ओलंपिक में भाग ले और मेडल जीतें.



Intro:नालंदा। शीतल खड्गी एक ऐसा नाम बन चुका है जिसके पहचान की अब जरूरत नहीं है । वीमेन बेस्ट फाइटर ऑफ बिहार के किताब से नवाजा जा चुका शीतल खड्गी आज बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जूडो कराटे का प्रशिक्षण दे रही है। मूलत नेपाल के काठमांडू की रहने वाली शीतल खड्गी की 18 वर्ष पूर्व बिहारशरीफ के संजय खड्गी से शादी हुई थी। शादी के बाद इन्होंने अपने पति संजय खड्गी से जूडो कराटे का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद इन्होंने ब्लैक बेल्ट डॉन 4 प्राप्त किया। अपने मेहनत और परिश्रम के बल पर इन्होंने महज कुछ ही समय में ही जुडो कराटे में महारत हासिल की और आलम यह है कि करीब 10 वर्षों से बे खुद बच्चों को प्रशिक्षण देने का काम कर रही हैं।


Body:बिहार शरीफ के नालंदा हेल्थ क्लब में करीब 10 वर्षों से नालंदा के बच्चों को प्रशिक्षण देने का काम कर रही हैं । अब तक 1000 से अधिक बच्चों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाने का काम कर चुकी हैं। इनका पुत्र सोजल खड्गी भी अपने माता-पिता के राह पर चलते हुए मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण प्राप्त किया है और कई मेडल भी जीतने का काम किया है । बिहार में आयोजित होने वाले विभिन्न प्रतियोगिता में भाग लेकर मेडल जीतने का काम किया है। यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं छात्राओं का भी कहना है कि आत्म निर्भर बनने के लिए मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग जरूरी है । खासकर लड़कियों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग जरूर करनी चाहिए । मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के लिए स्कूल, कॉलेज में भी व्यवस्था होने की मांग भी की गई।
प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं छात्राओं का सपना है कि वे देश के लिए ओलंपिक में भाग ले और मेडल जीतने का काम करें।
बाइट। शीतल खड्गी, ट्रेनर
बाइट। दिव्यानी कुमारी, छात्रा
बाइट। रिद्धि राज, छात्रा


Conclusion:
Last Updated : Sep 18, 2019, 11:15 AM IST
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