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NDA सरकार का एक साल पूरा, सुबह में दिया था इस्तीफा फिर शाम में नीतीश कुमार बन गए थे मुख्यमंत्री - BIHAR POLITICS

पिछले साल नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए का दामन थामा और सत्ता बदल गई. हालांकि कुर्सी नीतीश के पास ही रही.

सीएम नीतीश कुमार
सीएम नीतीश कुमार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 28, 2025, 8:13 PM IST

पटना: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार का एक वर्ष पूरा हो गया है. महागठबंधन से अलग होकर नीतीश कुमार ने 28 जनवरी 2022 को एनडीए के साथ नई सरकार बनाई थी. नीतीश कुमार ने कई बार सत्ता में रहने के लिए विभिन्न राजनीतिक समीकरणों को अपनाया है. यह घटना बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई थी. जिसने बिहार की राजनीतिक समीकरणों को बदलने का काम किया.

महागठबंधन से नीतीश अलग: नीतीश कुमार ने महागठबंधन के 17 महीने की सरकार के CM पद से इस्तीफा देने का फैसला किया. इसके साथ ही एक बार फिर से एनडीए में उनकी वापसी का रास्ता साफ हुआ और बीजेपी ने अपना समर्थन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दिया. 28 जनवरी के सुबह नीतीश कुमार ने राजभवन जाकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और बीजेपी के समर्थन पत्र भी सौपा. 28 जनवरी की शाम को ही नीतीश कुमार ने बीजेपी के सहयोग से 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

NDA सरकार का एक साल पूरा (ETV Bharat)

राजद के निशाने पर नीतीश: 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे और सरकार बनाई थी, लेकिन 1 साल बाद ही दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ने लगी और नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हुए थे. उसी समय लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार को पलटू राम कहा था. 2024 जनवरी में एक बार फिर से नीतीश कुमार राजद को छोड़ कर बीजेपी का साथ हुए.

नौकरी एवं रोजगार पर अनबन: आरजेडी इस बार 17 महीने के शासन काल को तेजस्वी यादव के शासन काल में प्रचारित करने लगी बिहार में हुए नौकरी एवं रोजगार के मुद्दे पर नीतीश कुमार से बड़ा कद तेजस्वी का बनाने का प्रयास होने लगा. राजद के निशाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से आए.

तेजस्वी यादव से मिलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
तेजस्वी यादव से मिलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (ETV Bharat)

इंडिया गठबंधन पर बीजेपी का निशाना: नीतीश कुमार के नेतृत्व में पिछले 1 वर्षों से बिहार में एनडीए की सरकार चल रही है. बीजेपी के साथ फिर से सरकार बनाने की नीतीश कुमार के फैसले को बीजेपी इंडिया गठबंधन की आखिरी कील के रूप में बता रहा है. बीजेपी प्रवक्ता मनीष पांडेय का कहना है कि 1 वर्ष होने को है जब नीतीश कुमार जी ने इंडी गठबंधन के ताबूत की पहली कील गाड़ी थी.

इंडी गठबंधन आपस में ही उलझ गए: उन्होंने कहा कि एक साल हो गए नीतीश कुमार जी को अलग हुए इंडी गठबंधन से और इन 1 वर्षों में वह बच्चा जो जन्म के ठीक बात कुपोषण का शिकार हो गया. आज जहां पूरे देश में इंडी गठबंधन के नेता आपस में ही एक नेता दूसरे को गालियां दे रहे हैं, यह कह रहे हैं कि वह गठबंधन तो सिर्फ लोकसभा चुनाव तक ही सीमित था.

पटना में आरजेडी नेता के साथ मंच पर तेजस्वी यादव
पटना में आरजेडी नेता के साथ मंच पर तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

"बिहार में तेजस्वी यादव विचलित दिख रहे हैं उनको लग रहा है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में अब वह क्या करेंगे. कांग्रेस को लग रहा है कि उनकी क्या होगी. यह कांग्रेस, राजद, वामपंथी दलों के नेता को 2025 में अपने भविष्य की चिंता हो रही है."-मनीष पांडेय प्रवक्ता भाजपा

नौजवानों के चेहरे पर मुस्कुराहट दी: 1 साल पहले नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने की कसक आज भी राजद नेताओं में देखने को मिल रही है. राजद प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है बिहार में महागठबंधन सरकार थी उसने नौकरी और रोजगार दिया था. उसने नौजवानों के चेहरे पर मुस्कुराहट दी नौजवानों के भविष्य को बेहतर बनाया था.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

"पिछले साल आज ही के दिन जो नफरत फैलाने वाली शक्तियां उसने रोजगार नौकरी पर एक राजनीति करने वाली महागठबंधन सरकार को साजिश का शिकार बनाया. साजिश का शिकार बना करके नौजवानों के चेहरे पर जो मुस्कुराहट आया था जो उनके भविष्य बेहतर हुए थे उनको रोकने का काम किया. तेजस्वी प्रसाद यादव का जो संकल्प था जो सोच था कि हम बिहार को बेहतर तरीके से आगे बढ़ने का काम करेंगे, लेकिन सारे आयाम को कहीं ना कहीं नफरत फैलाने वाले से क्यों नहीं रोकने का काम किया है."- एजाज अहमद, प्रवक्ता आरजेडी

बिहार में शांति और खुशहाली: नीतीश कुमार के आरजेडी से दूसरी बार अलग होने के सवाल पर जेडीयू ने राजद की कार्यशैली पर ही सवाल उठाया. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि लालू प्रसाद एवं राबड़ी देवी के 15 वर्षों के शासन काल में पूरे बिहार के आम जनता के पीठ में खंजर भोंकने का काम लगातार किया जा रहा था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 20 वर्षों के शासनकाल के इतिहास में आज पूरे बिहार में शांति है खुशहाली है विकास है तरक्की है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (ETV Bharat)

"राष्ट्रीय जनता दल अपने आदतन आचरण से कभी परिवर्तन नहीं लाने वाली है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो-दो बार शासन में आने का अवसर दिया. लेकिन फिर भी राष्ट्रीय जनता दल अपने आचरण में कोई भी परिवर्तन नहीं कर सका. इसलिए आज जनता पर झूठा इल्जाम आरोप लगा रही है. राजद के चरित्र में कोई परिवर्तन नहीं होने वाला."-अरविंद निषाद प्रवक्ता जेडीयू

नीतीश ने रखी पटना में इंडी गठबंधन की नींव: 1 साल पहले नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी पर वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का मानना है कि राजनीतिक रूप से उनकी समझ से यह जरूरी था. यह बात सही है कि नीतीश ने ही इसी पटना में इंडी गठबंधन की नींव रखी थी. लेकिन यदि सबसे पहले किसी ने इंडी गठबंधन से बाहर निकलने का काम किया तो वह भी नीतीश कुमार थे.

पटना में परिवार के साथ लालू प्रसाद यादव
पटना में परिवार के साथ लालू प्रसाद यादव (ETV Bharat)

नीतीश के कद का नेता नहीं: सुनील पांडेय ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार में संस्कृत राजनीतिक नेता के तौर पर जाने जाते हैं. यह व्यवहार उन पर जरूर दाग लगता है इसमें दो राय नहीं है. लेकिन मेरा सवाल यह भी है कि आखिर नीतीश ही क्यों जरूरी है किसी भी गठबंधन के लिए. यह बिहार के विपक्षी पार्टियों को सोचने की जरूरत है. मेरा मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने मुख्यमंत्री पद पर बने रहते हैं विपक्षी आरजेडी या बीजेपी पार्टी बदलती है. इन दोनों राजनीतिक दलों के लिए नीतीश कुमार क्यों जरूरत है आखिर इन दोनों राजनीतिक दलों में नीतीश कुमार के कद का कोई बड़ा नेता क्यों नहीं उभर कर सामने आ रहा है.

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पटना: बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार का एक वर्ष पूरा हो गया है. महागठबंधन से अलग होकर नीतीश कुमार ने 28 जनवरी 2022 को एनडीए के साथ नई सरकार बनाई थी. नीतीश कुमार ने कई बार सत्ता में रहने के लिए विभिन्न राजनीतिक समीकरणों को अपनाया है. यह घटना बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई थी. जिसने बिहार की राजनीतिक समीकरणों को बदलने का काम किया.

महागठबंधन से नीतीश अलग: नीतीश कुमार ने महागठबंधन के 17 महीने की सरकार के CM पद से इस्तीफा देने का फैसला किया. इसके साथ ही एक बार फिर से एनडीए में उनकी वापसी का रास्ता साफ हुआ और बीजेपी ने अपना समर्थन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दिया. 28 जनवरी के सुबह नीतीश कुमार ने राजभवन जाकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और बीजेपी के समर्थन पत्र भी सौपा. 28 जनवरी की शाम को ही नीतीश कुमार ने बीजेपी के सहयोग से 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

NDA सरकार का एक साल पूरा (ETV Bharat)

राजद के निशाने पर नीतीश: 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे और सरकार बनाई थी, लेकिन 1 साल बाद ही दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ने लगी और नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हुए थे. उसी समय लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार को पलटू राम कहा था. 2024 जनवरी में एक बार फिर से नीतीश कुमार राजद को छोड़ कर बीजेपी का साथ हुए.

नौकरी एवं रोजगार पर अनबन: आरजेडी इस बार 17 महीने के शासन काल को तेजस्वी यादव के शासन काल में प्रचारित करने लगी बिहार में हुए नौकरी एवं रोजगार के मुद्दे पर नीतीश कुमार से बड़ा कद तेजस्वी का बनाने का प्रयास होने लगा. राजद के निशाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से आए.

तेजस्वी यादव से मिलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
तेजस्वी यादव से मिलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (ETV Bharat)

इंडिया गठबंधन पर बीजेपी का निशाना: नीतीश कुमार के नेतृत्व में पिछले 1 वर्षों से बिहार में एनडीए की सरकार चल रही है. बीजेपी के साथ फिर से सरकार बनाने की नीतीश कुमार के फैसले को बीजेपी इंडिया गठबंधन की आखिरी कील के रूप में बता रहा है. बीजेपी प्रवक्ता मनीष पांडेय का कहना है कि 1 वर्ष होने को है जब नीतीश कुमार जी ने इंडी गठबंधन के ताबूत की पहली कील गाड़ी थी.

इंडी गठबंधन आपस में ही उलझ गए: उन्होंने कहा कि एक साल हो गए नीतीश कुमार जी को अलग हुए इंडी गठबंधन से और इन 1 वर्षों में वह बच्चा जो जन्म के ठीक बात कुपोषण का शिकार हो गया. आज जहां पूरे देश में इंडी गठबंधन के नेता आपस में ही एक नेता दूसरे को गालियां दे रहे हैं, यह कह रहे हैं कि वह गठबंधन तो सिर्फ लोकसभा चुनाव तक ही सीमित था.

पटना में आरजेडी नेता के साथ मंच पर तेजस्वी यादव
पटना में आरजेडी नेता के साथ मंच पर तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

"बिहार में तेजस्वी यादव विचलित दिख रहे हैं उनको लग रहा है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में अब वह क्या करेंगे. कांग्रेस को लग रहा है कि उनकी क्या होगी. यह कांग्रेस, राजद, वामपंथी दलों के नेता को 2025 में अपने भविष्य की चिंता हो रही है."-मनीष पांडेय प्रवक्ता भाजपा

नौजवानों के चेहरे पर मुस्कुराहट दी: 1 साल पहले नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने की कसक आज भी राजद नेताओं में देखने को मिल रही है. राजद प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है बिहार में महागठबंधन सरकार थी उसने नौकरी और रोजगार दिया था. उसने नौजवानों के चेहरे पर मुस्कुराहट दी नौजवानों के भविष्य को बेहतर बनाया था.

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

"पिछले साल आज ही के दिन जो नफरत फैलाने वाली शक्तियां उसने रोजगार नौकरी पर एक राजनीति करने वाली महागठबंधन सरकार को साजिश का शिकार बनाया. साजिश का शिकार बना करके नौजवानों के चेहरे पर जो मुस्कुराहट आया था जो उनके भविष्य बेहतर हुए थे उनको रोकने का काम किया. तेजस्वी प्रसाद यादव का जो संकल्प था जो सोच था कि हम बिहार को बेहतर तरीके से आगे बढ़ने का काम करेंगे, लेकिन सारे आयाम को कहीं ना कहीं नफरत फैलाने वाले से क्यों नहीं रोकने का काम किया है."- एजाज अहमद, प्रवक्ता आरजेडी

बिहार में शांति और खुशहाली: नीतीश कुमार के आरजेडी से दूसरी बार अलग होने के सवाल पर जेडीयू ने राजद की कार्यशैली पर ही सवाल उठाया. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि लालू प्रसाद एवं राबड़ी देवी के 15 वर्षों के शासन काल में पूरे बिहार के आम जनता के पीठ में खंजर भोंकने का काम लगातार किया जा रहा था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 20 वर्षों के शासनकाल के इतिहास में आज पूरे बिहार में शांति है खुशहाली है विकास है तरक्की है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (ETV Bharat)

"राष्ट्रीय जनता दल अपने आदतन आचरण से कभी परिवर्तन नहीं लाने वाली है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो-दो बार शासन में आने का अवसर दिया. लेकिन फिर भी राष्ट्रीय जनता दल अपने आचरण में कोई भी परिवर्तन नहीं कर सका. इसलिए आज जनता पर झूठा इल्जाम आरोप लगा रही है. राजद के चरित्र में कोई परिवर्तन नहीं होने वाला."-अरविंद निषाद प्रवक्ता जेडीयू

नीतीश ने रखी पटना में इंडी गठबंधन की नींव: 1 साल पहले नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी पर वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का मानना है कि राजनीतिक रूप से उनकी समझ से यह जरूरी था. यह बात सही है कि नीतीश ने ही इसी पटना में इंडी गठबंधन की नींव रखी थी. लेकिन यदि सबसे पहले किसी ने इंडी गठबंधन से बाहर निकलने का काम किया तो वह भी नीतीश कुमार थे.

पटना में परिवार के साथ लालू प्रसाद यादव
पटना में परिवार के साथ लालू प्रसाद यादव (ETV Bharat)

नीतीश के कद का नेता नहीं: सुनील पांडेय ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार में संस्कृत राजनीतिक नेता के तौर पर जाने जाते हैं. यह व्यवहार उन पर जरूर दाग लगता है इसमें दो राय नहीं है. लेकिन मेरा सवाल यह भी है कि आखिर नीतीश ही क्यों जरूरी है किसी भी गठबंधन के लिए. यह बिहार के विपक्षी पार्टियों को सोचने की जरूरत है. मेरा मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने मुख्यमंत्री पद पर बने रहते हैं विपक्षी आरजेडी या बीजेपी पार्टी बदलती है. इन दोनों राजनीतिक दलों के लिए नीतीश कुमार क्यों जरूरत है आखिर इन दोनों राजनीतिक दलों में नीतीश कुमार के कद का कोई बड़ा नेता क्यों नहीं उभर कर सामने आ रहा है.

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