नालंदा: देश का अगला राष्ट्रपति (President Election 2022) कौन होगा? इसको लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच की जंग तेज हो चुकी है. विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर यशवंत सिन्हा नाम घोषित किया गया है. ऐसे में आज हम आपको बताने वाले हैं कि यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha Nalanda Connection) का नालंदा से क्या रिश्ता है. भले ही नालंदा उनकी जन्मस्थली या कर्मभूमि नहीं रही हो लेकिन यहां से उनका बहुत पुराना नाता है.
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नालंदा में यशवंत सिन्हा का पुश्तैनी मकान: दरअसल यशवंत सिन्हा का पुश्तैनी घर नालंदा (Yashwant Sinha Ancestral House In Nalanda) जिला के अस्थावां प्रखंड अंतर्गत ओंदा गांव (Onda Village Nalanda) में है, जो आज भी मौजूद है. लेकिन आज यह मकान जर्जर अवस्था में है. मकान की हालत देख कर कहना गलत नहीं होगा कि यशवंत सिन्हा शायद ही यहां आए हों. ग्रामीण भी कहते हैं कि आजतक उन्होंने यशवंत सिन्हा से न तो मुलाकात की है और नाही कभी वो इस गांव में ही आए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि हमारे पूर्वज बताते थे कि यशवंत सिन्हा के पूर्वज यहीं के निवासी थे. इस नाते यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने को लेकर ओंदा गांव में खुशी का माहौल है.
'दूर रहकर भी गांव को नहीं भूले' : ग्रामीणों का कहना है कि भले ही तीन चार पीढ़ी पहले ही यशवंत सिन्हा के पूर्वज गांव से जा चुके थे लेकिन सत्ता में रहने के दौरान यशवंत सिन्हा कभी इस गांव को भूले नहीं. इस तरह के योग्य व्यक्ति को राष्ट्रपति बनने का मौका मिलता है तो हमारे साथ साथ सभी देशवासियों के लिए गौरव की बात है. स्थानीय लोगों ने बताया की अटल बिहारी बाजपेयी के शासनकाल में वे वित्त मंत्री थे और उनके ही प्रयास से बिहार शरीफ से शेखपुरा के लिए एक रेल लाइन बनायी गयी जो कि ओंदा होते हुए गुजरी. वर्तमान में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस वक्त रेल मंत्री थे. ये उन्हीं की देन है कि उनके गांव ओंदा से रेल लाइन गुजर रही है. जिसका 75% काम पूरा हो चुका है.
यशवंत सिन्हा का बेमिसाल सफर: आपको बता दें कि बिहार-कैडर के आईएएस अधिकारी यशवंत सिन्हा का जन्म बिहार में ही हुआ था. यशवंत सिन्हा ने 1984 में प्रशासनिक सेवा छोड़ दी थी और जनता पार्टी में शामिल हो गए थे. जनता पार्टी के नेता चंद्रशेखर उन्हें पसंद करते थे. सिन्हा ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री और समाजवादी दिग्गज कर्पूरी ठाकुर के प्रधान सचिव के रूप में भी काम किया था. सिन्हा 1988 में राज्यसभा के सदस्य बने. चंद्रशेखर सहित कई विपक्षी नेताओं ने 1989 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस से मुकाबला करने के लिए जनता दल के गठन के लिए हाथ मिलाया. बाद में सिन्हा ने अपने राजनीतिक गुरु की राह पर चलते हुए वी. पी. सिंह सरकार को गिराने के लिए जनता दल को तोड़ दिया था. अपनी मेहनत के दम पर यशवंत सिन्हा ने बुलंदियों को छूआ है. उनकी मेहनत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कभी वे दुमका के जिलाधिकारी थे वहीं अब विपक्ष ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है.
"यशवंत सिन्हा के बारे में अपने पूर्वजों से सुना था. जब वो आईएएस बने तो गांव में उनका नाम सभी के जुबान पर था. यहां उनका आना जाना कभी नहीं हुआ. ऐसे योग्य व्यक्ति को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया है इसको लेकर पूरे गांव में खुशी है. उन्होंने और सीएम दोनों ने क्षेत्र के विकास के लिए काफी काम किया है."- विनोद कुमार सिन्हा, यशवंत सिन्हा के रिश्तेदार