नालंदाः अपने अनूठे फैसले के लिये नामचीन किशोर न्याय परिषद (Juvenile Justice Board) के प्रधान न्यायाधीश मानवेन्द्र मिश्रा ने सनातन संस्कृति का उदाहरण देकर एक अहम फैसला सुनाया है. अपने फैसले में मिठाई चोरी के आरोपी बच्चे को दोषमुक्त करार करते हुए कहा कि- 'जब भगवान श्री कृष्ण (God Shri Krishna) की माखन चोरी बाल लीला हो सकती है. तो बालक की मिठाई चोरी को भी अपराध नहीं माना जाना चाहिए.'
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मानवेंद्र मिश्रा ने अपने आदेश में कहा कि हमें बच्चों के मामले में सहिष्णु और सहनशील होना पड़ेगा. उनकी कुछ गलतियों को समझना पड़ेगा कि आखिर बच्चों में भटकाव किस परिस्थिति में आया. एक बार हम बच्चे की मजबूरी, परिस्थिति, सामाजिक स्थिति को समझ जाएं, तो उनके इन छोटे अपराधों पर विराम लगाने के लिए समाज स्वयं आगे आने और मदद के लिए तैयार हो जाएगा.
उन्होंने यह भी कहा कि हमारी सनातन संस्कृति में भगवान की बाल लीला को दर्शाया गया है. भगवान श्री कृष्ण दूसरों के घर से माखन चुरा कर खा लेते थे. मटकी भी फोड़ देते थे. उस समय इस वक्त का समाज रहता तो बाललीला की कथा ही नहीं होती.
उन्होंने अपने आदेश में यह भी कहा कि पड़ोसी को भूख लगी है, बीमार है, लाचार है. तो बजाय सरकार को कोसने के पहले हमें अपने सामर्थ्य के अनुसार पहल करनी होगी. यह जानते हुए कि बच्चा ननिहाल आया हुआ है. मिठाई खा लिया तो उन्हें बच्चा समझ कर बात खत्म करनी चाहिए थी.
बता दें कि आरोपी किशोर अपने ननिहाल घूमने आया था. भूख लगने पर वह पड़ोस की मामी के घर घुस गया था. फ्रीज खोल कर उसमें रखी सारी मिठाई खा गया. फ्रिज के ऊपर एक मोबाइल रखा था जिसे लालचवश लेकर निकल गया. मोबाइल से गेम खेल रहा था. उसी वक्त मामी ने उसे पकड़कर पुलिस को सौंप दिया. बाल कल्याण पदाधिकारी ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है कि भूख के कारण वादिनी के घर में घुस गया था.
काउंसलिंग के दौरान किशोर ने JJB ((Juvenile Justice Board) को बताया कि उसके पिता बस ड्राइवर थे. दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई है. तबसे वे लगातार बेड पर हैं. मां मानसिक रूप से बीमार है. परिवार में कोई कमाने वाला नहीं है. आर्थिक स्थिति खराब रहने के कारण मां का इलाज कराया नहीं जा रहा. नाना और मामा की मृत्यु हो चुकी है. नानी काफी वृद्ध है, उसने यह भी कहा कि उसके माता-पिता कोर्ट आने में लाचार हैं, अब आगे से ऐसा नहीं करेगा.
बिहार किशोर न्यायालय अधिनियम 2017 के तहत पुलिस को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के बजाय डेली जनरल डायरी में दर्ज करना चाहिए था. जेजेबी जज मानवेंद्र मिश्रा ने अपने आदेश में कहा कि यदि अपराध साधारण प्रकृति का है और केवल किशोर द्वारा किए जाने की पुष्टि हो तो ऐसे मामले में एफआईआर दर्ज नहीं होता.
उन्होंने जिला बाल संरक्षण इकाई को आरा के बाल संरक्षण इकाई से संपर्क कर यह सुनिश्चित करने को कहा कि किशोर सुरक्षित रहे. दुर्व्यवहार या अभाव के कारण से अपराध करने के लिए मजबूर ना हो. साथ ही योजना तैयार करें, जिससे किशोर की भलाई हो, मूलभूत आवश्यकताएं पूरी हो. भोजन के अभाव में पुनः अपराध करने को विवश ना हो. इस विधि विरुद्ध अपराध के लिए किसी प्रकार की सजा दिए जाने से ज्यादा संरक्षण और मदद की जरूरत है.
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