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नालंदा: जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से चरमराई स्वास्थ्य सेवाएं

हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि जब तक हमारा स्टाइपेंड नहीं बढ़ जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. जूनियर डॉक्टर अपनी मांग पर अड़े हैं. लगातार वह अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल
जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल
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Published : Dec 27, 2020, 2:38 PM IST

नालंदा: स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर पूरे बिहार के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दिया है. रवीवार को पांचवें दिन भी नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी वार्ड के पास डटे रहे. डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

मांगें पूरी होने तक हड़ताल
हड़ताल कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि जब तक हमारा स्टाइपेंड नहीं बढ़ाया जाएगा. तब तक हम कोई भी काम नहीं करेंगे परिणाम चाहे कुछ भी हो. वहीं, सीनियर डॉक्टर कहते हैं कि हम इलाज करने को तैयार हैं और जूनियर डॉक्टर कहते हैं कि हम इलाज में बाधा नहीं पहुंचा रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही हैं. ऐसे में मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मरीजों की परेशानी देख अस्पताल के अधीक्षक और डॉक्टर मूकदर्शक बने हैं. सीनियर डॉक्टर के होते हुए भी अस्पताल में सभी मरीजों की सेवा ठप है. ऐसे में मरीजों के परिजनों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल
बता दें कि बिहार के सारे मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी और इमरजेंसी वार्ड ड्यूटी का पूरी तरह से बहिष्कार किया. बिहार में कुल नौ सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल हैं. जहां के जूनियरों ने डॉक्टर बुधवार की सुबह से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी. हालांकि, जूनियर डॉक्टरों ने कोरोना मरीजों के इलाज की ड्यूटी को हड़ताल से बाहर रखा है. यह डॉक्टर स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की मांग को लेकर हड़ताल पर गए हैं.

nalanda
मरीज

नालंदा: स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर पूरे बिहार के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दिया है. रवीवार को पांचवें दिन भी नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी वार्ड के पास डटे रहे. डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

मांगें पूरी होने तक हड़ताल
हड़ताल कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि जब तक हमारा स्टाइपेंड नहीं बढ़ाया जाएगा. तब तक हम कोई भी काम नहीं करेंगे परिणाम चाहे कुछ भी हो. वहीं, सीनियर डॉक्टर कहते हैं कि हम इलाज करने को तैयार हैं और जूनियर डॉक्टर कहते हैं कि हम इलाज में बाधा नहीं पहुंचा रहे हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही हैं. ऐसे में मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मरीजों की परेशानी देख अस्पताल के अधीक्षक और डॉक्टर मूकदर्शक बने हैं. सीनियर डॉक्टर के होते हुए भी अस्पताल में सभी मरीजों की सेवा ठप है. ऐसे में मरीजों के परिजनों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल
बता दें कि बिहार के सारे मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी और इमरजेंसी वार्ड ड्यूटी का पूरी तरह से बहिष्कार किया. बिहार में कुल नौ सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल हैं. जहां के जूनियरों ने डॉक्टर बुधवार की सुबह से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी. हालांकि, जूनियर डॉक्टरों ने कोरोना मरीजों के इलाज की ड्यूटी को हड़ताल से बाहर रखा है. यह डॉक्टर स्टाइपेंड में बढ़ोतरी की मांग को लेकर हड़ताल पर गए हैं.

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