नालंदा: पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही ने शनिवार को जिले के व्यवहार न्यायालय के नए भवन का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि केसों के निस्तारण में कई पीढ़ियां गुजर जाती है. ऐसे में वक्त की पाबंदी में केसों को समेटना जरूरी है.
न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही ने कहा कि नालंदा ज्ञान की भूमि रही है. हजारों वर्ष पूर्व यहां न्यायप्रिय सभ्यता थी, इसकी मूल वजह अध्ययन और अभ्यास थी. आज अधिवक्ता और न्यायाधीश को अध्ययन और अभ्यास की आवश्यकता है. जूनियर अधिवक्ता को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञान को प्राप्त करने के लिए अपने सीनियर अधिवक्ता को आदर देना सीखें.
लोगों को न्यायिक व्यवस्था पर है भरोसा
पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आज की तारीख में कानून व्यवस्था में जितनी भी विसंगतियां दिखाई जाती है, इसके बावजूद हमारे देश के नागरिक न्यायिक व्यवस्था में सुदृढ़ विश्वास रखते हैं. उसी विश्वास और आस्था के बल पर आपकी कर्तव्य परायणता की परीक्षा होती है. उन्होंने अधिवक्ताओं को मुकदमों में तारीख पर तारीख न लेने की सलाह दी.
'पुराने केसों दें प्राथमिकता'
वहीं, निरीक्षी न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय ने कहा कि अगर अधिवक्ता तय कर लें कि पुराने मुकदमे को प्राथमिकता देनी है. केसों को समाप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प लें, फिर किसी भी हाल में मुकदमा 10 से 15 साल लंबित नहीं रहेगा.