नालंदा: एक ओर जहां सूबे में घुड़सवार प्रतियोगिता विलुप्त होने के कगार पर है, वहीं, दूसरी ओर अभी भी इस तरह के प्रतियोगिताओं को लेकर नए जेनरेशन के लोगों में उत्सुकता देखने को मिल रही है. नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ प्रखंड के ऊपरावा गांव (Horse Racing In Upperwa Village Nalanda) के ग्रामीणों के द्वारा विलुप्त हो रहे घुड़दौड़ प्रतियोगिता (Horse Racing Competition In Nalanda) को जीवित करने के लिए हर साल 26 जनवरी के दिन बड़े पैमाने पर घुड़दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है.
इस बार भी 26 जनवरी के दिन घुड़दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन ऊपरावा गांव के मैदान में किया जाएगा. घुड़दौड़ प्रतियोगिता के आयोजन कर रहे लोभी यादव ने बताया कि, यह घुड़दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन इस गांव में पुरखों के जमाने से किया जा रहा है. इस घुड़दौड़ प्रतियोगिता में सिर्फ नालंदा जिला ही नहीं बल्कि इसके अलावा बिहार राज्य के कोने-कोने के घुड़सवार भाग लेते हैं. इस प्रतियोगिता को लेकर अभी से ही नालंदा जिले के कोने कोने से घुड़सवारों का आना शुरू हो गया है.
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गणतंत्र दिवस के मौके पर होने वाले घुड़दौड़ प्रतियोगिता की तैयारी जोरों से की जा रही है. सभी घुड़सवार मैदान में अपने अपने ट्रायल को देना शुरू कर दिया है. ग्रामीणों ने बताया कि, इस प्रतियोगिता का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ विलुप्त हो रहे घुड़दौड़ को बढ़ावा देना है. इस प्रतियोगिता में फर्स्ट, सेकंड और थर्ड घुड़सवार को इनाम भी दिया जाता है. घुड़दौड़ का एक लंबा और विशिष्ट इतिहास है और प्राचीन काल से दुनिया भर की सभ्यताओं में इसका अभ्यास किया जाता रहा है. पुरातात्विक रिकॉर्ड बताते हैं कि, घुड़दौड़ प्राचीन ग्रीस, प्राचीन रोम, बेबीलोन, सीरिया और मिस्र में हुई थी.
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