नालंदा: पिछले वर्ष ही कोरोना काल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बिहार के सभी स्वास्थ्य उपकेंद्र को ठीक कर ग्रामीण स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करने का निर्देश दिया गया था. बावजूद इसके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले में कई ऐसे स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं, जो जीर्ण शीर्ण अवस्था में चल रहे हैं. कहीं मकान गिर गया है तो, कहीं भूसे के ढेर के बीच स्वास्थ्य उपकेंद्र चलाया जा रहा है.
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कमरे में पुआल का ढेर
बिहारशरीफ मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर कोरई पंचायत स्थित महानंनदपुर के स्वास्थ्य उपकेंद्र को देख कर ही सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के लोगों को किस तरह की स्वास्थ्य सुविधा मिलती होगी. कमरा है पर वह भी जीर्ण शीर्ण, न दरवाजा है, न खिड़की है. इसके अलावे गंदगी का अंबार है, तो एक कमरे में पुआल का ढेर रखा हुआ है.
कई लोगों ने की लिखित शिकायत
ग्रामीण ने बताया कि देख-रेख के अभाव में यह स्वास्थ्य उपकेंद्र जीर्ण-शीर्ण हो गया है. यहां न तो डॉक्टर आते हैं, न ही कोई स्वास्थ्य कर्मी. जिसके कारण इस पंचायत के करीब दर्जनों गांव के करीब 5 हजार की आबादी को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. मुखिया प्रतिनिधि हक्कू पासवान ने बताया कि इसके लिए कई बार डीएम, एसडीओ, मंत्री विधायक समेत कई लोगों से लिखित शिकायत की गई है. बावजूद इसके किसी ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
नालंदा के सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि पूर्व से ही इस स्थल को हेल्थ एंड वेलेनेस सेंटर में तब्दील करने की योजना थी. जिसके लिए सरकार को पत्र लिखा गया है. वहीं चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी के नहीं आने पर के बारे में बताया कि इसकी जांच की जाएगी. मामला चाहे जो भी हो लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले के स्वास्थ्य उपकेंद्र का जब यह हाल है तो, अन्य जिलों का क्या हाल होगा.