नालंदा: बिहार के नालंदा जिले के अस्थावां के एक युवक की नौकरी असम राइफल्स में लग गई थी. उसे मार्च में ज्वाइन करता था, लेकिन 12 साल पहले किए एक जुर्म के चलते उसका करियर शुरू होने से पहले ही मंझधार में फंस गया था. युवक पर 2009 में मारपीट करने का केस दर्ज हुआ था. असम राइफल्स में ज्वाइन करने के लिए कैरेक्टर सर्टिफिकेट की जरूरत थी. कोर्ट ने दोषमुक्त हुए बिना उसे नौकरी मिलना संभव न था.
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5 दिन में पूरी की सुनवाई
ऐसे में युवक के लिए सिविल कोर्ट बिहारशरीफ के जज मानवेंद्र मिश्र किसी तारणहार की तरह सामने आए. किशोर न्याय परिषद् के अध्यक्ष मानवेंद्र मिश्र ने मात्र 5 दिन में सुनवाई पूरी की और युवक को दोषमुक्त कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने एसपी को आचरण प्रमाण पत्र में इस मामले का उल्लेख नहीं करने का निर्देश दिया. गौरतलब है कि अगर युवक के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी का उल्लेख उसके आचरण प्रमाण पत्र में कर दिया जाता तो वह देश सेवा से वंचित हो जाता. जज मानवेंद्र मिश्र ने पहले भी इस तरह के फैसले किए हैं. उनके फैसलों के चलते कई किशोर अपराध की दुनिया छोड़ समाज की मुख्य धारा से जुड़ चुके हैं.
पानी निकासी के लिए हुई थी मारपीट
युवक के खिलाफ जिस मामले में केस दर्ज किया गया था वह जुलाई 2009 का है. चापाकल के पानी निकास को लेकर दो पक्षों के बीच मारपीट हुई थी. इसमें युवक और उसके परिवार के सभी सदस्यों के खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. उस समय इसकी उम्र 14 साल थी. 12 साल तक कोर्ट का चक्कर लगाने के साथ-साथ किशोर ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. उसने सेना में जाने के लिए कठिन मेहनत की और इसका फल है कि उसका चयन असम राइफल्स में राइफलमैन के रूप में हुआ.