नालंदा: केंद्र सरकार की ओर से वैसे तो इस साल कई बच्चों को पुस्कार देकर सम्मानित किया गया. लेकिन सरकार ने नालंदा के रहुई थाना अंतर्गत पेसौर गांव में दो बच्चियों को आग में जलने से बचाने वाले 15 वर्षीय अमित राज की ओर ध्यान नहीं दिया. परिजनों के मुताबिक इस घटना में अमित राज बुरी तरह से झुलस गया था. जिसे तुरंत बिहारशरीफ रेफर किया गया. जहां स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए दिल्ली सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहीं, इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
वीरता पुरस्कार देने की मांग
परिजनों के मुताबिक अमित की मौत हो गई, लेकिन अपनी जान देकर जो उसने दो जिंदगियां बचाई हैं उसकी बहादुरी की चर्चा जोरो पर है. उसके माता पिता जहां बेटे के मौत से दुखी हैं वहीं दूसरी ओर उन्हें इस बात का गर्व भी हैं कि हमारा बेटा सैनिक का स्कूल का छात्र था. लेकिन उसने एक सैनिक की तरह वीरता का परिचय देते हुए अपनी जान पर खेलकर दो बच्चियों की जिंदगी को बचायी है. ऐसे में उन्होंने कहा कि हमारे बेटे को भी सरकार वीरता पुरस्कार से नवाजे. अमित राज के चाचा दिनेश कुमार सिन्हा जहां अपने पोते की मौत से दुखी हैं. वहीं, दूसरी ओर इस बात का मलाल भी है कि सरकारी महकमा इस घटना के बाद जांच के लिए गांव में आया लोगों से इसकी जानकारी प्राप्त की, लेकिन अभी तक किसी प्रकार का मदद नहीं की गई है.
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'हम सबको अपने भाई पर नाज है. जिसने अपनी जान की बाजी लगाकर दो जिंदगियां बचाई है. हमारे भाई के प्रति अगर कोई मदद ही करना चाहे उसे शौर्य का पुरस्कार दिया जाए हमें किसी प्रकार के आर्थिक मदद की आवश्यकता नहीं है.'- राखी कुमारी, अमित की बहन
इस बार इन 3 को मिला है वीरता पुरस्कार
बता दें कि राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार की शुरुआत भारतीय बाल कल्याण परिषद की ओर से 1957 में की गई थी. 5 साल से लेकर 18 साल तक के बच्चों को इस पुरस्कार से नवाजा जाता है. इस बार बिहार की ज्योति समेत 3 को यह पुरस्कार मिला है.