नालंदा: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने राजगीर मलमास मेले को स्थगित करने की सहमति प्रदान कर दी है. इसके साथ ही यह पहला मौका है जब राजगीर मलमास मेले के आयोजन पर रोक लग गया है. बता दें कि कोरोना के प्रकोप को देखते हुए राजगीर मलमास मेले को स्थगित करने की अपील की गई थी.
मलमास मेला स्थगित
गृह मंत्रालय भारत सरकार के अनलॉक 4 के लिए जारी आदेश के आलोक में 21 सितंबर से किसी भी तरह के धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक सेवा, समागम, अनुष्ठान में अधिकतम 100 व्यक्तियों के समागम की अनुमति है. मलमास मेले के आयोजन में राज्य एवं राज्य के बाहर के लाखों की संख्या में श्रद्धालु और संतो का आगमन होता है. मलमास मेला का धार्मिक महत्व कुम्भ मेले की तरह ही होता है. मलमास मेले में सामूहिक स्नान की धार्मिक मान्यता है. वर्तमान में कोविड-19 के संक्रमण की स्थिति गंभीर बनी हुई है. ऐसी स्थिति में सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन संभव नहीं हो सकेगा. इन्हीं तथ्यों के आधार पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में मलमास मेले को स्थगित कर दिया.
मलमास मेले का महत्व
बता दें कि हर 3 साल पर राजगीर में मलमास मेले का आयोजन किया जाता है. मलमास जिसे अधिक मास भी कहते हैं. इसका सनातन धर्म में विशेष महत्व है. मलमास इस बार 18 सितंबर से है जो कि एक महीने तक चलेगा. राजगीर में लगने वाले मलमास मेले में देश के कोने-कोने से साधु संत का आगमन होता है और इस दौरान शाही स्नान का विशेष महत्व होता है. मेले के दौरान विभिन्न प्रकार के झूले और थिएटर लगाए जाते है. जिसमें मनोरंजन के साथ-साथ खानपान की व्यवस्था होती है. इसके अलावा यह राजगीर वासियों की आमदनी का प्रमुख जरिया भी होता है. ऐसे में मलमास मेले के स्थगित होने से लोगों में मायूसी देखी जा रही है.