नालंदाः हर पांच साल पर सरकारें बदल जाती हैं. लेकिन नहीं बदलती है तो जिले और गांव की तस्वीर. आज हम आपको एक ऐसे गांव की तस्वीर दिखाएंगे जिसकी बदहाल तस्वीर में आज तक सुधार नहीं हुआ. यहां लोग आज भी झुग्गी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं.
CM के गृह जिले का हाल
सरकार तो गरीबों के उत्थान की बड़ी-बड़ी बातें करती है. इनके लिए भी कई योजनाएं चलाने की घोषणा की गई है. लेकिन जमीनी स्तर पर आज भी कई इलाकों में गरीबों के लिए कोई काम नहीं हो सका है. बिहारशरीफ के मीरदाद मोहल्ला इसका जीता जागता सबूत है. हैरत की बात तो ये है कि ये इलाका सुशासन बाबू कहलाने वाले सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला में पड़ता है.
नहीं मिला सरकारी योजना का लाभ
यहां रहने वालों लोगों के पास ना तो घर है, ना ही शौचालय और ना ही बच्चों के पढ़ने के लिये स्कूल. ये लोग किसी तरह अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. मजदूरी और रिक्शा चलाकर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. मीरदाद मोहल्ला में दर्जनों परिवार ऐसे हैं, जो कई दशक से पुश्त-दर-पुश्त झुग्गी झोपड़ी में ही रह रहे हैं. इनको सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिल सका है.
50 साल से हैं बेघर
बताया जाता कि करीब दो दर्जन से अधिक परिवार के लोग रेलवे की जमीन पर तंबू गाड़कर रह रहे हैं. इनका कहना है कि वे लोग 50 साल से इसी तरह रह रहे हैं. सरकार ने एक बार सर्वे भी कराया लेकिन उसके बाद भी कोई लाभ नहीं मिल सका. सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के दिनों में होती है, जब बारिश होती है तो सर छुपाना भी मुश्किल हो जाता है.
हर संभव मदद का आश्वासन
पूछे जाने पर जिलाधिकारी योगेन्द्र सिंह ने इस मामले की जांच कराने की बात कही है. उन्होंने कहा कि सरकार के जरिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ इन्हें जरूर मिलेगा. इन लोगों को किसी प्रखंड या अनुमंडल का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. विशेष कैम्प लगाकर हर संभव मदद की जाएगी. बच्चों को आंगनबाड़ी या पास के स्कूल में टैग कर दिया जाएगा.