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नालंदा: झुग्गी झोपड़ी में बसे हैं लोग, सालों से ऐसे ही जिंदगी बसर करने को हैं मजबूर

इस इलाके में करीब दो दर्जन से अधिक परिवार के लोग रेलवे की जमीन पर तंबू गाड़ कर रह रहे हैं. लेकिन आज तक इनकी सुध लेने कोई अधिकारी नहीं पहुंचा.

झुग्गी झोपड़ी में खेलते बच्चे
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Published : May 29, 2019, 3:03 PM IST

नालंदाः हर पांच साल पर सरकारें बदल जाती हैं. लेकिन नहीं बदलती है तो जिले और गांव की तस्वीर. आज हम आपको एक ऐसे गांव की तस्वीर दिखाएंगे जिसकी बदहाल तस्वीर में आज तक सुधार नहीं हुआ. यहां लोग आज भी झुग्गी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं.

CM के गृह जिले का हाल
सरकार तो गरीबों के उत्थान की बड़ी-बड़ी बातें करती है. इनके लिए भी कई योजनाएं चलाने की घोषणा की गई है. लेकिन जमीनी स्तर पर आज भी कई इलाकों में गरीबों के लिए कोई काम नहीं हो सका है. बिहारशरीफ के मीरदाद मोहल्ला इसका जीता जागता सबूत है. हैरत की बात तो ये है कि ये इलाका सुशासन बाबू कहलाने वाले सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला में पड़ता है.

poor people
झुग्गी झोपड़ी में बसी महिलाएं

नहीं मिला सरकारी योजना का लाभ
यहां रहने वालों लोगों के पास ना तो घर है, ना ही शौचालय और ना ही बच्चों के पढ़ने के लिये स्कूल. ये लोग किसी तरह अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. मजदूरी और रिक्शा चलाकर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. मीरदाद मोहल्ला में दर्जनों परिवार ऐसे हैं, जो कई दशक से पुश्त-दर-पुश्त झुग्गी झोपड़ी में ही रह रहे हैं. इनको सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिल सका है.

झुग्गी झोपड़ी में बसे लोग और बयान देते डीएम

50 साल से हैं बेघर
बताया जाता कि करीब दो दर्जन से अधिक परिवार के लोग रेलवे की जमीन पर तंबू गाड़कर रह रहे हैं. इनका कहना है कि वे लोग 50 साल से इसी तरह रह रहे हैं. सरकार ने एक बार सर्वे भी कराया लेकिन उसके बाद भी कोई लाभ नहीं मिल सका. सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के दिनों में होती है, जब बारिश होती है तो सर छुपाना भी मुश्किल हो जाता है.

poor people
झुग्गी झोपड़ी का नाजारा

हर संभव मदद का आश्वासन
पूछे जाने पर जिलाधिकारी योगेन्द्र सिंह ने इस मामले की जांच कराने की बात कही है. उन्होंने कहा कि सरकार के जरिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ इन्हें जरूर मिलेगा. इन लोगों को किसी प्रखंड या अनुमंडल का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. विशेष कैम्प लगाकर हर संभव मदद की जाएगी. बच्चों को आंगनबाड़ी या पास के स्कूल में टैग कर दिया जाएगा.

नालंदाः हर पांच साल पर सरकारें बदल जाती हैं. लेकिन नहीं बदलती है तो जिले और गांव की तस्वीर. आज हम आपको एक ऐसे गांव की तस्वीर दिखाएंगे जिसकी बदहाल तस्वीर में आज तक सुधार नहीं हुआ. यहां लोग आज भी झुग्गी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं.

CM के गृह जिले का हाल
सरकार तो गरीबों के उत्थान की बड़ी-बड़ी बातें करती है. इनके लिए भी कई योजनाएं चलाने की घोषणा की गई है. लेकिन जमीनी स्तर पर आज भी कई इलाकों में गरीबों के लिए कोई काम नहीं हो सका है. बिहारशरीफ के मीरदाद मोहल्ला इसका जीता जागता सबूत है. हैरत की बात तो ये है कि ये इलाका सुशासन बाबू कहलाने वाले सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला में पड़ता है.

poor people
झुग्गी झोपड़ी में बसी महिलाएं

नहीं मिला सरकारी योजना का लाभ
यहां रहने वालों लोगों के पास ना तो घर है, ना ही शौचालय और ना ही बच्चों के पढ़ने के लिये स्कूल. ये लोग किसी तरह अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. मजदूरी और रिक्शा चलाकर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. मीरदाद मोहल्ला में दर्जनों परिवार ऐसे हैं, जो कई दशक से पुश्त-दर-पुश्त झुग्गी झोपड़ी में ही रह रहे हैं. इनको सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिल सका है.

झुग्गी झोपड़ी में बसे लोग और बयान देते डीएम

50 साल से हैं बेघर
बताया जाता कि करीब दो दर्जन से अधिक परिवार के लोग रेलवे की जमीन पर तंबू गाड़कर रह रहे हैं. इनका कहना है कि वे लोग 50 साल से इसी तरह रह रहे हैं. सरकार ने एक बार सर्वे भी कराया लेकिन उसके बाद भी कोई लाभ नहीं मिल सका. सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के दिनों में होती है, जब बारिश होती है तो सर छुपाना भी मुश्किल हो जाता है.

poor people
झुग्गी झोपड़ी का नाजारा

हर संभव मदद का आश्वासन
पूछे जाने पर जिलाधिकारी योगेन्द्र सिंह ने इस मामले की जांच कराने की बात कही है. उन्होंने कहा कि सरकार के जरिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ इन्हें जरूर मिलेगा. इन लोगों को किसी प्रखंड या अनुमंडल का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. विशेष कैम्प लगाकर हर संभव मदद की जाएगी. बच्चों को आंगनबाड़ी या पास के स्कूल में टैग कर दिया जाएगा.

Intro:नालंदा। सरकार द्वारा गरीबो के उत्थान की बड़ी बड़ी बातें कही जाती है। गरीबो के लिए योजना चलाये जाने की घोषणा होती है लेकिन ज़मीनी स्तर पर आज भी कई इलाकों में गरीबो के लिए कोई काम नही हो सका है। नतीजतन गरीब लोग आज भी झुगी झोपड़ी में रहने को विवश है। इन लोगो के पास ना तो घर है, ना ही शौचालय और ना ही बच्चो के पढ़ने के लिये स्कूल को व्यवस्था। किसी प्रकार जीवन गुजार रहे है। जीविकोपार्जन के लिए मजदूरी, रिक्शा चला कर अपना व अपने परिवार का पेट भर रहे है। बिहारशरीफ के मीरदाद मोहल्ला में ऐसे ही दर्ज़नो परिवार के लोग है जो को कई दशक से पुस्त दर पुस्त झुगी झोपड़ी में रह रहे है। इनके लिये सरकार की कोई योजना का लाभ नही मिल सका है।


Body:बताया जाता कि करीब दो दर्ज़न के अधिक परिवार के लोग रेलवे की जमीन पर अपना तंबू गाड़ कर रहने को विवश है। इनका कहना है कि वे लोग 50 साल से अधिक से इसी प्रकार रह रहे है। सरकार द्वारा एक बार सर्वे भी कराया गया लेकिन उसके बाद भी कोई लाभ नही मिल सका। न लोगो को सरकार की कोई योजना का लाभ नही मिल पा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना हो, शौचालय योजना हो या अन्य कोई योजना अब तक इन लोगो को नही मिल सका है। सबसे ज्यादा परेशानी बरसात के दिनों में होती है जब बारिश होता है जो सर छुपाना भी मुश्किल हो जाता है। किसी प्रकार पन्नी का इस्तेमाल कर बचने की कोशिश की जाती है।


Conclusion:जिलाधिकारी योगेन्द्र सिंह ने इस मामले की जांच कराने की बात कही और कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना का लाभ जरूर मिलेगा।इन लोगो को कोई प्रखंड या अनुमंडल का चक्कर नही लगाना पड़ेगा विशेष कैम्प लगा कर हर संभव मदद किया जाएगा। बच्चो को आंगनबाड़ी या पास के स्कूल में टैग कर दिया जाएगा।
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