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Nalanda Apple Cultivation: नालंदा में पहली बार सेब की खेती, एक एकड़ में हो रहा प्रयोग, देखें VIDEO

बिहार के नालंदा में पहली बार सेब की खेती हो रही है. सोहडीह निवासी अनिल कुमार 1 एकड़ में हरिमन-99 प्रजाति के 400 पौधाें पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो जिले वासियों को हिमाचल और कश्मीर के सेब जैसी क्वालिटी और सस्ते दाम पर उपलब्ध होगा. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : May 3, 2023, 11:57 PM IST

Updated : May 4, 2023, 10:25 PM IST

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बिहार के नालंदा में पहली बार सेब की खेती

नालंदाः बिहार के नालंदा में सेब की खेती पहली बार देखने को मिली है. नालंदा के सोहडीह निवासी अनिल कुमार ने सेब की खेती की शुरुआत की है. अनिल कुमार करीब 1 एकड़ में हरिमन-99 प्रजाति के 400 पौधाें पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. विभाग भी बिहार में इसकी खेती पर प्लान तैयार कर रहा है. जबकि नालंदा में इसकी खेती शुरू कर दी गई है. जिसमें 200 पेड़ में फल लगना शुरू हो गया है और अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो जिले वासियों को हिमाचल और कश्मीर जैसी क्वालिटी वाला सेब सस्ते दामों पर उपलब्ध होगा.

यह भी पढ़ेंः Patna news: बेरा-बर्राज का काम अधर में लटका, किसान कैसे करेंगे खेती.. संघर्ष समिति का विरोध मार्च

जैविक फसल के रूप में उत्पादनः सेब को पूरी तरह से जैविक फसल के रूप में उत्पादन करने की तैयारी चल रही है. इसके लिए पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद तैयार किया गया है. किसान अनिल कुमार ने बताया कि 6 एकड़ में उद्यानिक फसल लगाने की तैयारी की जा रही है. जिसमें एक एकड़ में सिर्फ सेब के ही पौधे लगाए गए हैं. करीब 200 पौधों पर ट्रायल किया जा रहा है. सफल होने के बाद सेब की खेती का और विस्तार किया जाएगा. उद्यानिक फसल लगाने के साथ-साथ इस जगह को फार्म हाउस के रूप में भी डेवलप किया जा रहा है. सिंचाई के लिए उद्यान विभाग के सहयोग से ड्रिप सिस्टम लगाया गया है. इसके बाद मल्चर लगाने की तैयारी चल रही है. ताकि खर-पतवार की समस्या से निजात मिल सके.

200 पौधा से सेब की खेती का ट्रायलः हरिमन-99 प्रजाति के 200 पौधा से सेब की खेती का ट्रायल किया जा रहा है. किसान से बताया कि हिमाचल प्रदेश से पौधे मंगाए हैं. पौधे पर करीब दो लाख़ रुपए का खर्च हुआ है. उन्होंने बताया कि शुरू से खेती करते आए हैं, लेकिन सब्ज़ी की खेती ज्यादातर जगहों किसान करते आ रहे हैं. इसलिए कुछ अलग करने का सोचा और सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी इकट्ठा की. फिर वहां से हरिमन 99 सेब की जानकारी प्राप्त हुआ. फिर हरिमन प्रसाद हिमाचल के किसान ने इजाद किया था जिसके बाद इसका प्रयोग उन्होंने शुरू किया.

यह फसल गर्म प्रदेशों के लिए हैः किसान ने सफ़लता हासिल होने के बाद गर्म प्रदेशों में भी इसके उपज के बारे बताया और बिहार के नालंदा में शुरू किया गया है. यह प्रजाति गर्म प्रदेशों के लिए ही तैयार किया गया है. यह 45-48 डिग्री तापमान पर तैयार हो जाता है. करीब ढाई साल में पौधा फल देने लगेगा. सबसे बड़ी बात है कि जून-जुलाई माह में फल तैयार हो जाएगा. कीमत भी अच्छी मिलेगी. फल को सुरक्षित रखने के लिए पैक हाउस भी तैयार किया जा रहा है.

6 एकड़ में अन्य उद्यानिक फसल लगायाः उन्होंने बताया कि सेब के अलावा 6 एकड़ में अन्य उद्यानिक फसल लगाया जा रहा है. पूरे प्रोजेक्ट में सेब के साथ-साथ वर्तमान में ताइवान व्हाइट व पिंकी प्रजाति के अमरूद, एपल बेर, अनार लगाया गया है. इसके अलावा डेढ़-डेढ़ एकड़ में संतरा और नींबू का पौधा भी लगाया जाएगा. कुछ दिनों के अंदर पौधा आ जाएगा. इसमें रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का प्रयोग किया जाएगा, ताकि फल स्वादिष्ट के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हो.

"किसी भी फसल का उत्पादन के लिए जानकारी सबसे जरूरी है. जानकारी के अभाव में ही किसान कुछ नया करने से पीछे हट जाते हैं. उनके मन में नुकसान होने का डर बना रहता है. कीटनाशक की दुकान से सफर शुरू किया और आज उद्यानिक फसल की ओर अपना कदम बढ़ा रहे हैं. पूरी उम्मीद है कि सफलता मिलेगी. अगर यह प्रयोग सफल रहा तो आगे इसकी खेती में बढ़ोतरी की जाएगी." -अनिल कुमार, किसान

बिहार के नालंदा में पहली बार सेब की खेती

नालंदाः बिहार के नालंदा में सेब की खेती पहली बार देखने को मिली है. नालंदा के सोहडीह निवासी अनिल कुमार ने सेब की खेती की शुरुआत की है. अनिल कुमार करीब 1 एकड़ में हरिमन-99 प्रजाति के 400 पौधाें पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. विभाग भी बिहार में इसकी खेती पर प्लान तैयार कर रहा है. जबकि नालंदा में इसकी खेती शुरू कर दी गई है. जिसमें 200 पेड़ में फल लगना शुरू हो गया है और अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो जिले वासियों को हिमाचल और कश्मीर जैसी क्वालिटी वाला सेब सस्ते दामों पर उपलब्ध होगा.

यह भी पढ़ेंः Patna news: बेरा-बर्राज का काम अधर में लटका, किसान कैसे करेंगे खेती.. संघर्ष समिति का विरोध मार्च

जैविक फसल के रूप में उत्पादनः सेब को पूरी तरह से जैविक फसल के रूप में उत्पादन करने की तैयारी चल रही है. इसके लिए पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद तैयार किया गया है. किसान अनिल कुमार ने बताया कि 6 एकड़ में उद्यानिक फसल लगाने की तैयारी की जा रही है. जिसमें एक एकड़ में सिर्फ सेब के ही पौधे लगाए गए हैं. करीब 200 पौधों पर ट्रायल किया जा रहा है. सफल होने के बाद सेब की खेती का और विस्तार किया जाएगा. उद्यानिक फसल लगाने के साथ-साथ इस जगह को फार्म हाउस के रूप में भी डेवलप किया जा रहा है. सिंचाई के लिए उद्यान विभाग के सहयोग से ड्रिप सिस्टम लगाया गया है. इसके बाद मल्चर लगाने की तैयारी चल रही है. ताकि खर-पतवार की समस्या से निजात मिल सके.

200 पौधा से सेब की खेती का ट्रायलः हरिमन-99 प्रजाति के 200 पौधा से सेब की खेती का ट्रायल किया जा रहा है. किसान से बताया कि हिमाचल प्रदेश से पौधे मंगाए हैं. पौधे पर करीब दो लाख़ रुपए का खर्च हुआ है. उन्होंने बताया कि शुरू से खेती करते आए हैं, लेकिन सब्ज़ी की खेती ज्यादातर जगहों किसान करते आ रहे हैं. इसलिए कुछ अलग करने का सोचा और सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी इकट्ठा की. फिर वहां से हरिमन 99 सेब की जानकारी प्राप्त हुआ. फिर हरिमन प्रसाद हिमाचल के किसान ने इजाद किया था जिसके बाद इसका प्रयोग उन्होंने शुरू किया.

यह फसल गर्म प्रदेशों के लिए हैः किसान ने सफ़लता हासिल होने के बाद गर्म प्रदेशों में भी इसके उपज के बारे बताया और बिहार के नालंदा में शुरू किया गया है. यह प्रजाति गर्म प्रदेशों के लिए ही तैयार किया गया है. यह 45-48 डिग्री तापमान पर तैयार हो जाता है. करीब ढाई साल में पौधा फल देने लगेगा. सबसे बड़ी बात है कि जून-जुलाई माह में फल तैयार हो जाएगा. कीमत भी अच्छी मिलेगी. फल को सुरक्षित रखने के लिए पैक हाउस भी तैयार किया जा रहा है.

6 एकड़ में अन्य उद्यानिक फसल लगायाः उन्होंने बताया कि सेब के अलावा 6 एकड़ में अन्य उद्यानिक फसल लगाया जा रहा है. पूरे प्रोजेक्ट में सेब के साथ-साथ वर्तमान में ताइवान व्हाइट व पिंकी प्रजाति के अमरूद, एपल बेर, अनार लगाया गया है. इसके अलावा डेढ़-डेढ़ एकड़ में संतरा और नींबू का पौधा भी लगाया जाएगा. कुछ दिनों के अंदर पौधा आ जाएगा. इसमें रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का प्रयोग किया जाएगा, ताकि फल स्वादिष्ट के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हो.

"किसी भी फसल का उत्पादन के लिए जानकारी सबसे जरूरी है. जानकारी के अभाव में ही किसान कुछ नया करने से पीछे हट जाते हैं. उनके मन में नुकसान होने का डर बना रहता है. कीटनाशक की दुकान से सफर शुरू किया और आज उद्यानिक फसल की ओर अपना कदम बढ़ा रहे हैं. पूरी उम्मीद है कि सफलता मिलेगी. अगर यह प्रयोग सफल रहा तो आगे इसकी खेती में बढ़ोतरी की जाएगी." -अनिल कुमार, किसान

Last Updated : May 4, 2023, 10:25 PM IST
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