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VIDEO: ढोल-बाजे के साथ बाबा मणिराम के दरबार में पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी, समाधि पर चढ़ाया लंगोट

नालंदा में बाबा मणिराम (Baba Maniram Of Bihar Sharif) की समाधि पर लगने वाले लंगोट मेले में भक्तों का उत्साह देखते ही बनता है, अब तक यहां पांच हजार से ज्यादा लोग पहुंच चुके हैं और संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. परंपरा के अनुसार पुलिस प्रशासन के अधिकारी ने भी ढोल बाजे के साथ बाबा की समाधि पर हाजरी दी और उन्हें लंगोट अर्पण किया.

बिहार शरीफ में लंगोट मेला का आयोजन
बिहार शरीफ में लंगोट मेला का आयोजन
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Published : Jul 15, 2022, 8:06 AM IST

Updated : Jul 15, 2022, 8:47 AM IST

नालंदाः दो साल कोरोना काल के बाद इस साल बिहारशरीफ के बाबा मणिराम की समाधि पर सात दिवसीय लंगोट मेला (Langot Fair In Nalanda) बुधवार से शुरू हो चुका है, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपनी मुरादें लेकर पहुंच रहे हैं. इस बीच गुरुवार को जिला और पुलिस प्रशासन (Administration reached at baba Maniram samadhi) ने भी बाबा की समाधि पर हाजिरी दी और उन्हें लंगोट अर्पण किया. इस मौके पर पुलिस अधिकारियों ने जिलावासियों के लिए सुख, समृद्धि और अमन की कामना की.

ये भी पढ़ेंः एक पैर पर खड़े होकर रमेश कर रहे तपस्या, बोले- 'जब तक लालू ठीक नहीं हो जाते ऐसे ही रहूंगा'

बाजे गाजे के साथ निकला भव्य लंगोट जुलूसः जिला और पुलिस प्रशासन के लोग बाजे गाजे के साथ भव्य लंगोट जुलूस निकालकर बाबा की समाधि पर पहुंचे. इससे पहले बिहारशरीफ अनुमंडल कार्यालय परिसर से उप विकास आयुक्त, अनुमंडल पदाधिकारी समेत अन्य अधिकारी लंगोट माथे पर रखकर बिहार थाना परिसर पहुंचे. बिहार थाना पहुंचकर परंपरा के अनुसार अधिकारियों ने यहां भी लंगोट को अपने माथे पर लेकर थाना परिसर का भ्रमण किया. इसके बाद लंगोट जुलूस अंबेर चौक, हॉस्पिटल मोड़, भरावपर, गगनदीवान सद्भावना मार्ग होते हुए बाबा मणिराम अखाड़ा पहुंचे. जहां अधिकारियों ने बाबा की समाधि पर लंगोट अर्पण किया. इस मौके पर अधिकारियों ने कहा कि बाबा मणिराम एक महान संत थे.

"देश का यह अकेला ऐसा स्थल है, जहां लोग आकर लंगोट चढ़ाते हैं. बाबा इसी स्थल पर लोगों को मलयुद्ध की शिक्षा देते थे. सूफी संतों की धरती कहे जाने वाली बिहारशरीफ में बाबा की समाधि काफी प्रसिद्ध है. बाबा मणिराम और हजरत मखदूम साहब में काफी गहरी दोस्ती थी. जो गंगा जमुनी तहजीब को दर्शाता है. जिलेवासी अमन चैन से रहें आज के दिन हमलोग बाबा से यही कामना करते हैं"- कुमार अनुराग, एसडीओ, बिहारशरीफ

समाधि पर लंगोट चढ़ाते अधिकारी
बाबा मणिराम की समाधि पर लंगोट चढ़ाते अधिकारी

मेले में अन्य राज्यों से भी पहुंचते हैं लोगः इस सात दिवसीय मेला में बिहार के अलावा यूपी, बंगाल, झारखंड और देश के अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. काफी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रह हैं. अखाड़ा न्यास समिति के सचिव अमतकांत भारती बताते हैं कि भक्तों की संख्या अभी और बढ़ेगी. बिहार ही नहीं यहां यूपी, बंगाल, झारखंड के अलावा देश के अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. भक्तों की सहूलियत के लिए न्याय समिति द्वारा काफी बेहतर इंतजाम किया गया है. पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. बच्चों के मनोरंजन के लिए तरह-तरह के झूले लगाये गये हैं. मिठाई और शृंगार की दुकानें भी सजी हुई हैं.

"शहर के दक्षिण-पूर्व में स्थित बाबा मणिराम के अखाड़ा पर लगे सात दिवसीय लंगोट मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. बढ़ती भीड़ के साथ मेले की रौनक भी बढ़ती जा रही है. दो दिनों में करीब पांच हजार श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार में हाजिरी लगायी है. समाधि स्थल पर लंगोट अर्पण कर मुरादें मांगी जाती हैं. बाबा के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता. सच्चे मन से मांगी गयी मुरादें यहां जरूर पूरी होती हैं. यही कारण है कि बाबा के प्रति श्रद्धालुओं में असीम श्रद्धाभाव है"- अमतकांत भारती, सचिव, अखाड़ा न्यास समिति

11 साल से जल रही है अखंड ज्योतिः मान्यता है कि श्रीश्री 108 श्री बाबा मणिराम का आगमन 1238 ई. में हुआ था. वे अयोध्या से चलकर यहां आएं थे. बाबा ने शहर के दक्षिणी छोर पर पंचाने नदी के पिस्ता घाट को अपना पूजा स्थल बनाया था. वर्तमान में यही स्थल ‘अखाड़ा पर के नाम से प्रसिद्ध है. बाबा के मनोकामना पुरण मंदिर में 11 साल से अनवरंत अखंड ज्योति चल रही है. साल 2012 में अयोध्या के बड़ी छावनी से अखंड ज्योति लायी गयी थी, 24 घंटे में दो बार घी डाला जाता है. बिहारशरीफ के मल्लयुद्ध सम्राट बाबा मणिराम के अखाड़े पर हर साल लंगोट मेले का आयोजन किया जाता है. जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा की समाधि पर लंगोट चढ़ाने आते हैं.

1952 में गुरु पूर्णिमा पर हुई थी मेले की शुरुआत: बाबा मणिराम अखाड़ा न्यास समिति के सचिव अमरकांत भारती बताते हैं कि 6 जुलाई 1952 को बाबा मणिराम के समाधि स्थल पर लंगोट मेले की शुरुआत हुई थी. इसके पहले रामनवमी के मौके पर श्रद्धालु बाबा की समाधि पर पूजा-अर्चना करने आते थे. बाद में आषाढ़ गुरु पूर्णिमा से मेले की शुरुआत होने लगी. बाबा के दरबार में नारायणी भोजन की परंपरा भी अनूठी है. खिचड़ी, पापड़, चोखा, अचार का प्रसाद श्रद्धालुओं को ग्रहण कराया जाता है.

बाबा के दरबार में बड़ी हस्तियों की हाजिरी: बिहार शरीफ के दक्षिण-पूर्व कोने पर स्थित पिसत्ता घाट पर बाबा मणिराम के दरबार में बिहार ही नहीं बल्कि देश की कई हस्तियां पहुंच चुकी हैं. पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, बाबू जगजीवन राम और लालकृष्ण आडवाणी के अलावे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बाबा के दरबार में आकर मन्नत मांग चुके हैं. बाबा की समाधि पर हर साल आषाढ़ गुरु पूर्णिमा के दिन से सात दिवसीय मेला लगता है. सात दिन तक दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु बाबा की समाधि पर लंगोट चढ़ाकर मन्नतें मांगते हैं.

नालंदाः दो साल कोरोना काल के बाद इस साल बिहारशरीफ के बाबा मणिराम की समाधि पर सात दिवसीय लंगोट मेला (Langot Fair In Nalanda) बुधवार से शुरू हो चुका है, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपनी मुरादें लेकर पहुंच रहे हैं. इस बीच गुरुवार को जिला और पुलिस प्रशासन (Administration reached at baba Maniram samadhi) ने भी बाबा की समाधि पर हाजिरी दी और उन्हें लंगोट अर्पण किया. इस मौके पर पुलिस अधिकारियों ने जिलावासियों के लिए सुख, समृद्धि और अमन की कामना की.

ये भी पढ़ेंः एक पैर पर खड़े होकर रमेश कर रहे तपस्या, बोले- 'जब तक लालू ठीक नहीं हो जाते ऐसे ही रहूंगा'

बाजे गाजे के साथ निकला भव्य लंगोट जुलूसः जिला और पुलिस प्रशासन के लोग बाजे गाजे के साथ भव्य लंगोट जुलूस निकालकर बाबा की समाधि पर पहुंचे. इससे पहले बिहारशरीफ अनुमंडल कार्यालय परिसर से उप विकास आयुक्त, अनुमंडल पदाधिकारी समेत अन्य अधिकारी लंगोट माथे पर रखकर बिहार थाना परिसर पहुंचे. बिहार थाना पहुंचकर परंपरा के अनुसार अधिकारियों ने यहां भी लंगोट को अपने माथे पर लेकर थाना परिसर का भ्रमण किया. इसके बाद लंगोट जुलूस अंबेर चौक, हॉस्पिटल मोड़, भरावपर, गगनदीवान सद्भावना मार्ग होते हुए बाबा मणिराम अखाड़ा पहुंचे. जहां अधिकारियों ने बाबा की समाधि पर लंगोट अर्पण किया. इस मौके पर अधिकारियों ने कहा कि बाबा मणिराम एक महान संत थे.

"देश का यह अकेला ऐसा स्थल है, जहां लोग आकर लंगोट चढ़ाते हैं. बाबा इसी स्थल पर लोगों को मलयुद्ध की शिक्षा देते थे. सूफी संतों की धरती कहे जाने वाली बिहारशरीफ में बाबा की समाधि काफी प्रसिद्ध है. बाबा मणिराम और हजरत मखदूम साहब में काफी गहरी दोस्ती थी. जो गंगा जमुनी तहजीब को दर्शाता है. जिलेवासी अमन चैन से रहें आज के दिन हमलोग बाबा से यही कामना करते हैं"- कुमार अनुराग, एसडीओ, बिहारशरीफ

समाधि पर लंगोट चढ़ाते अधिकारी
बाबा मणिराम की समाधि पर लंगोट चढ़ाते अधिकारी

मेले में अन्य राज्यों से भी पहुंचते हैं लोगः इस सात दिवसीय मेला में बिहार के अलावा यूपी, बंगाल, झारखंड और देश के अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. काफी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रह हैं. अखाड़ा न्यास समिति के सचिव अमतकांत भारती बताते हैं कि भक्तों की संख्या अभी और बढ़ेगी. बिहार ही नहीं यहां यूपी, बंगाल, झारखंड के अलावा देश के अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं. भक्तों की सहूलियत के लिए न्याय समिति द्वारा काफी बेहतर इंतजाम किया गया है. पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. बच्चों के मनोरंजन के लिए तरह-तरह के झूले लगाये गये हैं. मिठाई और शृंगार की दुकानें भी सजी हुई हैं.

"शहर के दक्षिण-पूर्व में स्थित बाबा मणिराम के अखाड़ा पर लगे सात दिवसीय लंगोट मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. बढ़ती भीड़ के साथ मेले की रौनक भी बढ़ती जा रही है. दो दिनों में करीब पांच हजार श्रद्धालुओं ने बाबा के दरबार में हाजिरी लगायी है. समाधि स्थल पर लंगोट अर्पण कर मुरादें मांगी जाती हैं. बाबा के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता. सच्चे मन से मांगी गयी मुरादें यहां जरूर पूरी होती हैं. यही कारण है कि बाबा के प्रति श्रद्धालुओं में असीम श्रद्धाभाव है"- अमतकांत भारती, सचिव, अखाड़ा न्यास समिति

11 साल से जल रही है अखंड ज्योतिः मान्यता है कि श्रीश्री 108 श्री बाबा मणिराम का आगमन 1238 ई. में हुआ था. वे अयोध्या से चलकर यहां आएं थे. बाबा ने शहर के दक्षिणी छोर पर पंचाने नदी के पिस्ता घाट को अपना पूजा स्थल बनाया था. वर्तमान में यही स्थल ‘अखाड़ा पर के नाम से प्रसिद्ध है. बाबा के मनोकामना पुरण मंदिर में 11 साल से अनवरंत अखंड ज्योति चल रही है. साल 2012 में अयोध्या के बड़ी छावनी से अखंड ज्योति लायी गयी थी, 24 घंटे में दो बार घी डाला जाता है. बिहारशरीफ के मल्लयुद्ध सम्राट बाबा मणिराम के अखाड़े पर हर साल लंगोट मेले का आयोजन किया जाता है. जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा की समाधि पर लंगोट चढ़ाने आते हैं.

1952 में गुरु पूर्णिमा पर हुई थी मेले की शुरुआत: बाबा मणिराम अखाड़ा न्यास समिति के सचिव अमरकांत भारती बताते हैं कि 6 जुलाई 1952 को बाबा मणिराम के समाधि स्थल पर लंगोट मेले की शुरुआत हुई थी. इसके पहले रामनवमी के मौके पर श्रद्धालु बाबा की समाधि पर पूजा-अर्चना करने आते थे. बाद में आषाढ़ गुरु पूर्णिमा से मेले की शुरुआत होने लगी. बाबा के दरबार में नारायणी भोजन की परंपरा भी अनूठी है. खिचड़ी, पापड़, चोखा, अचार का प्रसाद श्रद्धालुओं को ग्रहण कराया जाता है.

बाबा के दरबार में बड़ी हस्तियों की हाजिरी: बिहार शरीफ के दक्षिण-पूर्व कोने पर स्थित पिसत्ता घाट पर बाबा मणिराम के दरबार में बिहार ही नहीं बल्कि देश की कई हस्तियां पहुंच चुकी हैं. पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, बाबू जगजीवन राम और लालकृष्ण आडवाणी के अलावे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बाबा के दरबार में आकर मन्नत मांग चुके हैं. बाबा की समाधि पर हर साल आषाढ़ गुरु पूर्णिमा के दिन से सात दिवसीय मेला लगता है. सात दिन तक दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु बाबा की समाधि पर लंगोट चढ़ाकर मन्नतें मांगते हैं.

Last Updated : Jul 15, 2022, 8:47 AM IST
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