मुजफ्फरपुरः बिहार में आई बाढ़ से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया था. इसमें सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को झेलना पड़ रहा है. इसी कड़ी में बूढ़ी गंडक नदी के किनारे बसे दर्जनों गांवों के सब्जी किसान दो बार बाढ़ का दंश झेल चुके हैं. बाढ़ ने सब्जी किसानों की कमर तोड़ दी है. अब फिर से किसान सब्जी की खेती में जुटे हैं. लेकिन पूंजी के अभाव में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
बाढ़ का कहर
बूढ़ी गंडक नदी के किनारे बसे दर्जनों गांवों के किसानों का मुख्य पेशा सब्जी की खेती है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र होने के कारण इस इलाके में बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती की जाती है. लेकिन बाढ़ के कहर ने इस इलाके के किसानों को हलकान कर दिया है. दो बार बाढ़ आने की वजह से किसानों के खेत में लगे फसल नष्ट हो गए. किसानों ने खेती में जो पूंजी लगाई थी वो पूरी तरह डूब गई. इससे उन्हें आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है.
"हमलोग सब्जी की खेती करते हैं. यहां से दूर-दूर तक सब्जी बेचने के लिए भेजी जाती है. लेकिन दो बार बाढ़ आने से खेतों में लगी पूरी फसल बर्बाद हो गई."- चंदन सहनी, किसान
"बाढ़ आने से हमें काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. खेतों में लगे पौधे पूरी तरह नष्ट हो गए. जो भी पूंजी थी सब खेती में लग गई. अब हमें घर चलाने में कापी परेसानी हो रही है. सरकार की तरफ से भी किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल रही है."- मनोज सहनी, किसान
नहीं मिल रही कोई मदद
किसानों ने बताया कि जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र मीनापुर, बोचहां, मुशहरी और मुरौल क्षेत्र के बूढ़ी गंडक किनारे बसे गांवों में सब्जी की खेती की जाती है. यहीं से व्यापारी भी सभी जगह सब्जी बेचने के लिए लेकर जाते हैं. हमारी कमाई का जरिया सब्जी की खेती ही है. ऐसे में दो बार बाढ़ आने से सभी किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. उन्होंने कहा कि हमलोग फिर से सब्जी की फसल लगाने की तैयारी में जुट गए हैं. लेकिन इसमें प्रशासन या सरकार की तरफ से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल रही है.
परिवार के भरण पोषण में हो रही परेशानी
बता दें कि बाढ़ की वजह से हुई क्षति से किसानों को परिवार के भरण पोषण में काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. किसान सरकार की ओर मदद की आस लगाए हैं, हालांकि अब तक प्रशासन या सरकार की तरफ किसी ने उनकी सुध नहीं ली है. अब देखने वाली बात है कि सरकार तक किसानों की आवाज पहुंचती है या नहीं.