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कोहरे में 75km प्रति घंटे से अधिक तेज नहीं चलेगी ट्रेन, दृश्यता कम होने पर लोको पायलट तय करेंगे गति - ETV BHARAT BIHAR

Dense Fog In Bihar: कोहरे ने ट्रेन परिचालन को अस्तव्यस्त कर दिया है. ऐसे में ट्रेनों की रफ्तार 35 किमी प्रति घंटा घट गई है. यात्रियों और रेलवे की सुरक्षा को देखते हुए रेलवे बोर्ड के संरक्षा कार्यपालक निदेशक मुकुल कुमार ने कुहासे वाले इलाके में ट्रेनों की रफ्तार को सीमित कर दिया है.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 5, 2024, 1:19 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार में सर्दी के मौसम में कोहरे के कारण ट्रेनों का परिचालन रेलवे के लिए चुनौती बन जाती है. ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेलवे द्वारा कई अहम फैसले लिए जाते हैं. इसी क्रम में रेलवे ने कम होती विजिबिलिटी को देखते हुए ट्रेनों की रफ्तार को कम करने का आदेश दिया है.

विजिबिलिटी कम होने पर लिया फैसला: मिली जानकारी के अनुसार, ट्रेनों की रफ्तार 35 किमी प्रति घंटे तक घटा दी गई है. यात्रियों और रेलवे की सुरक्षा को देखते हुए रेलवे बोर्ड के संरक्षा कार्यपालक निदेशक मुकुल कुमार ने कुहासे वाले इलाके में ट्रेनों की रफ्तार को सीमित कर दिया है. लोको पायलटों को इसका विशेष निर्देश जारी कर दिया गया है. ऐसे में अब कुहासा से विजिबिलिटी कम होने पर ट्रेनों की रफ्तार 60 से 75 किमी प्रति घंटे ही रखनी होगी.

ट्रेनों के परिचालन पर ब्रेक: वहीं, 75 किमी प्रति घंटा से अधिक तेज रफ्तार में ट्रेन के परिचालन को तत्काल रोक लगा दिया है. साथ ही यह भी कहा है कि रेल रूट में अधिक कुहासा होने और दृश्यता 10 मीटर से भी कम हो तो लोको पायलट स्वत: ट्रेन की गति तय कर उसका परिचालन करेंगे. रेलवे के ऑपरेटिंग के सभी मानकों को पालन करेंगे. इसके अलावा स्टेशन पर फॉगमैन और सिग्नल पर डेटोनेटर लगाने का निर्देश भी दिया है. मालूम हो कि, सामान्य दिनों में उत्तर बिहार में ट्रेनें 110 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है.

"कुहासे की वजह से ट्रेनों का परिचालन सुरक्षित हो, इसलिए दिल्ली से उत्तर बिहार आने वाली ट्रेनों के परिचालन को 20 फीसदी घटा दिया गया है. इससे रेल रूट पर ट्रैफिक कम होगा और हादसा की संभावना भी कम होगी." - मुकुल कुमार, संरक्षा कार्यपालय निदेशक, भारतीय रेलवे

पूर्व मध्य रेलवे को मिले 1891 फॉग डिवाइस: ट्रेनों का सुरक्षित परिचालन हो, इसलिए रेलवे की ओर से सभी जोन और मंडल को फॉग डिवाइस दिया गया है. पूर्व मध्य रेलवे को अबतक 1891 फॉग डिवाइस दिया गया है. सोनपुर रेल मंडल के डीआरएम विवेश भूषण सूद ने कहा है कि बिना फॉग डिवाइस के लोको पायलट क्रू से गाड़ी पर नहीं चढ़ेंगे. ट्रेन को सुरक्षित और संरक्षित तरीके से परिचालित करना है. सभी क्रू को फॉग डिवाइस उपलब्ध करा दिया गया है.

क्या है फॉग डिवाइस: फॉग पास डिवाइस एक जीपीएस आधारित नेविगेशन डिवाइस है, जो लोको पायलट को घने कुहासा की स्थिति में नेविगेट करने में मदद करता है. यह लोको पायलटों को सिग्नल, लेवल क्रॉसिंग गेट (मानवयुक्त और मानव रहित), स्थायी गति प्रतिबंध, तटस्थ खंड आदि जैसे निश्चित स्थलों के स्थान के बारे में ऑन-बोर्ड वास्तविक समय की जानकारी (प्रदर्शन के साथ-साथ आवाज मार्गदर्शन) देता है.

इसे भी पढ़े- फॉग डिवाइस के सहारे कोहरे में ट्रेनों का हो रहा सुरक्षित परिचालन

मुजफ्फरपुर: बिहार में सर्दी के मौसम में कोहरे के कारण ट्रेनों का परिचालन रेलवे के लिए चुनौती बन जाती है. ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेलवे द्वारा कई अहम फैसले लिए जाते हैं. इसी क्रम में रेलवे ने कम होती विजिबिलिटी को देखते हुए ट्रेनों की रफ्तार को कम करने का आदेश दिया है.

विजिबिलिटी कम होने पर लिया फैसला: मिली जानकारी के अनुसार, ट्रेनों की रफ्तार 35 किमी प्रति घंटे तक घटा दी गई है. यात्रियों और रेलवे की सुरक्षा को देखते हुए रेलवे बोर्ड के संरक्षा कार्यपालक निदेशक मुकुल कुमार ने कुहासे वाले इलाके में ट्रेनों की रफ्तार को सीमित कर दिया है. लोको पायलटों को इसका विशेष निर्देश जारी कर दिया गया है. ऐसे में अब कुहासा से विजिबिलिटी कम होने पर ट्रेनों की रफ्तार 60 से 75 किमी प्रति घंटे ही रखनी होगी.

ट्रेनों के परिचालन पर ब्रेक: वहीं, 75 किमी प्रति घंटा से अधिक तेज रफ्तार में ट्रेन के परिचालन को तत्काल रोक लगा दिया है. साथ ही यह भी कहा है कि रेल रूट में अधिक कुहासा होने और दृश्यता 10 मीटर से भी कम हो तो लोको पायलट स्वत: ट्रेन की गति तय कर उसका परिचालन करेंगे. रेलवे के ऑपरेटिंग के सभी मानकों को पालन करेंगे. इसके अलावा स्टेशन पर फॉगमैन और सिग्नल पर डेटोनेटर लगाने का निर्देश भी दिया है. मालूम हो कि, सामान्य दिनों में उत्तर बिहार में ट्रेनें 110 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है.

"कुहासे की वजह से ट्रेनों का परिचालन सुरक्षित हो, इसलिए दिल्ली से उत्तर बिहार आने वाली ट्रेनों के परिचालन को 20 फीसदी घटा दिया गया है. इससे रेल रूट पर ट्रैफिक कम होगा और हादसा की संभावना भी कम होगी." - मुकुल कुमार, संरक्षा कार्यपालय निदेशक, भारतीय रेलवे

पूर्व मध्य रेलवे को मिले 1891 फॉग डिवाइस: ट्रेनों का सुरक्षित परिचालन हो, इसलिए रेलवे की ओर से सभी जोन और मंडल को फॉग डिवाइस दिया गया है. पूर्व मध्य रेलवे को अबतक 1891 फॉग डिवाइस दिया गया है. सोनपुर रेल मंडल के डीआरएम विवेश भूषण सूद ने कहा है कि बिना फॉग डिवाइस के लोको पायलट क्रू से गाड़ी पर नहीं चढ़ेंगे. ट्रेन को सुरक्षित और संरक्षित तरीके से परिचालित करना है. सभी क्रू को फॉग डिवाइस उपलब्ध करा दिया गया है.

क्या है फॉग डिवाइस: फॉग पास डिवाइस एक जीपीएस आधारित नेविगेशन डिवाइस है, जो लोको पायलट को घने कुहासा की स्थिति में नेविगेट करने में मदद करता है. यह लोको पायलटों को सिग्नल, लेवल क्रॉसिंग गेट (मानवयुक्त और मानव रहित), स्थायी गति प्रतिबंध, तटस्थ खंड आदि जैसे निश्चित स्थलों के स्थान के बारे में ऑन-बोर्ड वास्तविक समय की जानकारी (प्रदर्शन के साथ-साथ आवाज मार्गदर्शन) देता है.

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