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बिहार: बाहर से लौट रहे लोगों ने कहा, मौत दूर और गांव नजदीक होता गया

सरकारें भले ही लोगों को मदद पहुंचाने की अपील कर रही हैं. लेकिन इन ग्रामीणों को घर पहुंचने की होड़ लगी है. लोग कहते हैं कि घर पहुंचने में काफी परेशानियां आईं. लेकिन घर नहीं पहुंचता तो खाने के लाले पड़ जाते. उनका कहना है कि जैसे-जैसे आगे बढ़ता गयाबद मौत पीछे छूटती चली गई.

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Published : Apr 1, 2020, 7:10 AM IST

Updated : Apr 1, 2020, 7:34 AM IST

मुजफ्फरपुर: रोजगार की तलाश में बाहर गए लोग अब अपने गांवों में लौट रहे हैं. चूड़ा, गुड़ खाकर पीठ पर बैग लादे लोग अपने राज्य, अपने गांव पहुंच रहे हैं. अचानक कोरोना वायरस की धमक ने रोजी-रोटी के जुगाड़ में परदेस गए लोगों के लिए सब कुछ बदलकर रख दिया है.

मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर प्रखंड के विभिन्न इलाकों में पिछले दो दिनों में ढाई हजार से ज्यादा लोग वापस पहुंचे हैं. मंगलवार को बिहार के पूर्णिया, नालंदा समेत दिल्ली, यूपी और असम समेत कई जगहों से लोग करीब दो दर्जन वाहनों पर सवार होकर मुजफ्फरपुर पहुंचे.

लॉकडाउन के कारण काम बंद, ट्रेनें बंद
घर जाने के लिए लोग बसों की छत पर बैठकर यात्रा करते नजर आए. इनमें मुजफ्फरपुर के 38, बेगूसराय, कटिहार और खगड़िया के 156 यात्री पहुंचे हैं. मुजफ्फरपुर पहुंचे लोगों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गए. ट्रेनें बंद हो गईं. खाने को अधिकांश लोगों के पास पैसे नहीं थे. कई लोग पैदल ही घरों की ओर चल पड़े.

'कारखाना बंद हुआ तो पैदल घर चल दिए'
औराई प्रखंड के रहने वाले महेश दिल्ली में एक कारखाने में काम करते हैं. लॉकडाउन में कारखाना बंद हुआ, तो पैदल घर चल दिए. उन्होंने बताया, 'पैदल चलने के बाद बॉर्डर पर बस मिली, फिर बस से बिहार पहुंच गए. पटना होते हुए यहां पहुंचा.'

आर्थिक तंगी से निराश होकर गांव लौट रहे
कुढ़नी के सैकड़ों लोग बिहार लौटे हैं. उन लोगों का कहना है दिल्ली से निकलने के बाद यहां तक आने में उन्हें जो परेशानियां झेलनी पड़ीं, उसे याद कर रूह कांप जाता है. सभी लोग आर्थिक तंगी और कारोबारी के बेरुखी से निराश होकर गांव लौट रहे हैं.

'रास्ते में लोगों ने खाना खिला दिया'
कुढ़नी के रहने वाले नीरज कुमार बताते हैं, 'यहां के कई लोग दिल्ली में बेकरी फैक्ट्री में काम करते थे. अचानक फैक्ट्री में तालाबंदी हो गई. बकाया पैसे भी नहीं मिले. खाने को भी नहीं था. यह तो किस्मत थी कि रास्ते में लोगों ने खाना खिला दिया.'

'बहुत दिनों के बाद पेटभर खाना नसीब हुआ'
मुजफ्फरपुर पहुंचने के बाद इन सभी लोगों की श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में जांच की गई. दिल्ली से मुजफ्फरपुर पहुंचे मजदूर रामदीन, रामनिवास, शैलेश गरीबनाथ मंदिर के पास सामुदायिक किचेन में खाना खा रहे थे. खाना खाने के बाद उन्होंने कहा कि बहुत दिनों के बाद पेटभर खाना नसीब हुआ है. इनका कहना है, 'दिल्ली से नहीं आते तो वहां मर जाते. दिल्ली के घरों की पानी सप्लाई तक काट दी गई.

'लोग 14 दिनों तक क्वॉरंटीन रहें'
माइकिंग कर कहा गया है कि उनके घरों तक जाने के लिए बसों की व्यवस्था की गई है. लोग घरों से निकले और घर जाएं.' मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन शैलेश कुमार सिंह कहते हैं कि बाहर से आए लोगों की स्क्रीनिंग की गई है, लेकिन अपील है कि ऐसे लोग 14 दिनों तक क्वोरंटीन रहें.

कोरोना वायरस: बिहार में संख्या पहुंची 22
बता दें कि बाहर रहने वाले लोग बड़ी संख्या में रविवार और सोमवार को बिहार पहुंचे हैं. इन्हें प्रशासन की ओर से 14 दिनों के लिए गांव के बाहर सरकारी भवनों में बने क्वॉरंटीन सेंटर में रखा जा रहा है. गांव वाले भी बाहर से आने वालों को लेकर सशंकित हैं. बिहार में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 22 तक पहुंच गई है.

मुजफ्फरपुर: रोजगार की तलाश में बाहर गए लोग अब अपने गांवों में लौट रहे हैं. चूड़ा, गुड़ खाकर पीठ पर बैग लादे लोग अपने राज्य, अपने गांव पहुंच रहे हैं. अचानक कोरोना वायरस की धमक ने रोजी-रोटी के जुगाड़ में परदेस गए लोगों के लिए सब कुछ बदलकर रख दिया है.

मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर प्रखंड के विभिन्न इलाकों में पिछले दो दिनों में ढाई हजार से ज्यादा लोग वापस पहुंचे हैं. मंगलवार को बिहार के पूर्णिया, नालंदा समेत दिल्ली, यूपी और असम समेत कई जगहों से लोग करीब दो दर्जन वाहनों पर सवार होकर मुजफ्फरपुर पहुंचे.

लॉकडाउन के कारण काम बंद, ट्रेनें बंद
घर जाने के लिए लोग बसों की छत पर बैठकर यात्रा करते नजर आए. इनमें मुजफ्फरपुर के 38, बेगूसराय, कटिहार और खगड़िया के 156 यात्री पहुंचे हैं. मुजफ्फरपुर पहुंचे लोगों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गए. ट्रेनें बंद हो गईं. खाने को अधिकांश लोगों के पास पैसे नहीं थे. कई लोग पैदल ही घरों की ओर चल पड़े.

'कारखाना बंद हुआ तो पैदल घर चल दिए'
औराई प्रखंड के रहने वाले महेश दिल्ली में एक कारखाने में काम करते हैं. लॉकडाउन में कारखाना बंद हुआ, तो पैदल घर चल दिए. उन्होंने बताया, 'पैदल चलने के बाद बॉर्डर पर बस मिली, फिर बस से बिहार पहुंच गए. पटना होते हुए यहां पहुंचा.'

आर्थिक तंगी से निराश होकर गांव लौट रहे
कुढ़नी के सैकड़ों लोग बिहार लौटे हैं. उन लोगों का कहना है दिल्ली से निकलने के बाद यहां तक आने में उन्हें जो परेशानियां झेलनी पड़ीं, उसे याद कर रूह कांप जाता है. सभी लोग आर्थिक तंगी और कारोबारी के बेरुखी से निराश होकर गांव लौट रहे हैं.

'रास्ते में लोगों ने खाना खिला दिया'
कुढ़नी के रहने वाले नीरज कुमार बताते हैं, 'यहां के कई लोग दिल्ली में बेकरी फैक्ट्री में काम करते थे. अचानक फैक्ट्री में तालाबंदी हो गई. बकाया पैसे भी नहीं मिले. खाने को भी नहीं था. यह तो किस्मत थी कि रास्ते में लोगों ने खाना खिला दिया.'

'बहुत दिनों के बाद पेटभर खाना नसीब हुआ'
मुजफ्फरपुर पहुंचने के बाद इन सभी लोगों की श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) में जांच की गई. दिल्ली से मुजफ्फरपुर पहुंचे मजदूर रामदीन, रामनिवास, शैलेश गरीबनाथ मंदिर के पास सामुदायिक किचेन में खाना खा रहे थे. खाना खाने के बाद उन्होंने कहा कि बहुत दिनों के बाद पेटभर खाना नसीब हुआ है. इनका कहना है, 'दिल्ली से नहीं आते तो वहां मर जाते. दिल्ली के घरों की पानी सप्लाई तक काट दी गई.

'लोग 14 दिनों तक क्वॉरंटीन रहें'
माइकिंग कर कहा गया है कि उनके घरों तक जाने के लिए बसों की व्यवस्था की गई है. लोग घरों से निकले और घर जाएं.' मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन शैलेश कुमार सिंह कहते हैं कि बाहर से आए लोगों की स्क्रीनिंग की गई है, लेकिन अपील है कि ऐसे लोग 14 दिनों तक क्वोरंटीन रहें.

कोरोना वायरस: बिहार में संख्या पहुंची 22
बता दें कि बाहर रहने वाले लोग बड़ी संख्या में रविवार और सोमवार को बिहार पहुंचे हैं. इन्हें प्रशासन की ओर से 14 दिनों के लिए गांव के बाहर सरकारी भवनों में बने क्वॉरंटीन सेंटर में रखा जा रहा है. गांव वाले भी बाहर से आने वालों को लेकर सशंकित हैं. बिहार में अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 22 तक पहुंच गई है.

Last Updated : Apr 1, 2020, 7:34 AM IST
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