मुजफ्फरपुर: महिलाएं समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. लेकिन समय के साथ अब महिलाएं समाज और राष्ट्र का निर्माण करने में भी अहम भूमिका निभा रहीं हैं. मुजफ्फरपुर की सुदूरवर्ती इलाके सरैया की किसान चाची राजकुमारी देवी (Kisan Chachi Rajkumari Devi) ऐसी ही एक महिला हैं. उन्होंने बुलंद हौसलों के साथ सामाजिक बंधनों का विरोध किया. इतना ही नहीं अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष की बदौलत कई महिलाओं की किस्मत भी बदल कर रख दी. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (Womens Day 2022 With ETV Bharat) के मौके पर किसान चाची ने आधी आबादी को आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया है.
बोलीं किसान चाची- महिलाएं करें कुटीर उद्योग: किसान चाची ने कहा कि महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए. सरकार का प्रपोजल चला हुआ है. छोटा भी कुटीर उद्योग घर में बनाकर काम शुरू करें. छोटे छोटे ग्रुप महिलाओं का तैयार कर काम शुरू कीजिए. कंपनी का सामान हमलोग जो खाते हैं उसमें शुद्धता नहीं होती है. अगर हम घर का बना सामान मार्केट में बेचेंगे तो खरीदने के लिए भी लोग जागरुक होंगे. इससे बिक्री बढ़ेगी और महिलाओं की आय भी बढ़ेगी. हमारी अपील है कि महिलाएं छोटा कुटीर उद्योग जरूर लगाएं. लॉकडाउन में मेरे काम पर काफी असर पड़ा था. लेकिन अब सब सामान्य हो चुका है तो एक बार फिर से काम हो रहा है. जैसा काम रहता है वैसी ही महिला को रखा जाता है. जो महिलाएं खेतों में काम करने में सक्षम नहीं होती हैं वैसी महिलाओं को मैं ज्यादातर रखती हूं. ताकि ये महिलाएं भी अपना पालन पोषण कर सकें.
"पहले हमें न तो घर में और ना बाहर ही मान सम्मान था. महिला दिवस मनाए जाने से हम बहुत प्रसन्न हैं. हम महिलाओं को यही कहना चाहेंगे कि अपने मान सम्मान को आगे बढ़ाएं. अपने काम में आगे बढ़ें और व्यवहार अच्छा बनाकर रखें. ताकि हम और आगे बढ़ सकें और महिलाओं को महिला दिवस पर सम्मान मिल सके. अच्छा कर्म और अच्छा काम महिलाएं करें ताकि सभी आपकी तारीफ करे. पहले महिलाओं की हालत में सुधार नहीं था. लेकिन अब घर और बाहर में बदलाव आने से महिलाओं के हालात भी बहुत बदल गए हैं."- राजकुमारी देवी, किसान चाची
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राजकुमारी देवी से किसान चाची बनने तक की कहानी: किसान चाची राजकुमारी देवी की खेती से एक आत्मनिर्भर महिला बनने तक की कहानी पूरी संघर्ष से भरी हुई है. किसान चाची की शादी एक किसान परिवार में हुई थी उनके ससुराल में वैसे तो तंबाकू की खेती होती थी. लेकिन उन्होंने अपने प्रयासों से सब्जी और फल की खेती शुरु की. यही नहीं उन्होंने अचार और मुरब्बा बनाना शुरु किया. जिसमें उन्होंने अपने आस-पास की महिलाओं का भी सहयोग लिया. इसके बाद किसान चाची ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य शुरु किया.
साइकिल चाची ने सामाजिक बंधनों का किया था विरोध: किसान चाची इसके लिए अपने गांव के आस-पास के गांवों में महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए जाती थीं. जब उन्हें ज्यादा दूर-दराज के गांव में जाने के लिए परेशानी होती तो उन्होंने साइकिल खरीदकर उसे चलाना सीखा और दूर-दूर जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण देने का कार्य किया. जिससे उन्हें समाज में एक नई पहचान मिलने लगी. सभी उन्हें साइकिल चाची कहने लगे. धीरे-धीरे उनके प्रयासों की सराहना केवल बिहार ही नहीं बल्कि आज पूरे देश दुनिया मे की जाती है.
पद्मश्री से सम्मानित: राजकुमारी देवी के प्रयासों के चलते उन्हें बिहार सरकार द्वारा साल 2006 में किसानश्री सम्मान दिया गया. और तभी से उन्हें किसान चाची के नाम से लोग जानने लगे. भारत सरकार द्वारा भी उन्हें पद्मश्री (Padma Shri Kisan Chachi) से सम्मानित किया गया. आज राजकुमारी देवी के द्वारा चालीस से अधिक समूह बनाये जा चुके हैं. जिसके अंतर्गत महिलाएं उद्यमी बनकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हैं.
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गरीब परिवार में हुई थी शादी : मालूम हो कि मुजफ्फरपुर जिले के सरैया प्रखंड की रहने वाली राजकुमारी देवी किसान चाची का जन्म एक शिक्षक के घर में हुआ था. उस समय जल्द ही शादी कर देते थे इसलिए, मैट्रिक पास होते ही 1974 में उनकी शादी एक किसान परिवार में अवधेश कुमार चौधरी से कर दी गई. शादी के बाद वह अपने परिवार के साथ मुजफ्फरपुर जिले के आनंदपुर गांव में रहने लगी.
इलाके की महिलाओं को रोजगार से जोड़ा : 1990 से किसान चाची ने परंपरागत तरीके से खेती करते हुए बाद में वैज्ञनिक तरीके को अपनाकर अपने खेती-बाड़ी को उन्नत किया. इसके बाद वो कई तरह के अचार बनाने की शुरुआत की. साल 2000 से उन्होंने घर से ही अचार बनाना शुरू किया, जो आज किसान चाची का अचार के नाम से पूरे देश विदेशों में प्रसिद्ध हैं. शुरुआती दौर में किसान चाची ने आस-पास की महिलाओं के साथ जुड़कर खेती उपज से कई तरह के अचार जैसे मिर्च, बेल, निंबू, आम और आंवला के आचार को बाजार में बेचना शुरू किया.
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