मुजफ्फरपुर: बिहार में कोरोना महामारी के बीच आई बाढ़ जैसी विपदा में लोगों को कई तरह की समस्याएं देखने को मिल रही है. जिसे देख कर एक बार आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे. कुछ ऐसी ही तस्वीर समाने आई है. दरअसल, बिहार में किसानी संकट में है. मुजफ्फरपुर जिले के किसान हताश, निराश और परेशान है. पहले कोरोना ने खेती को चौपट किया और अब बाकी रही सही कसर जिले में आई भयावह बाढ़ ने पूरी कर दी है.
तीन नदियों ने मचाई तबाही
अच्छे मानसून की उम्मीद में इस बार जिले के किसानों ने रिकॉर्ड तोड़ एक लाख साठ हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन में धान की खेती की थी. लेकिन तीन नदियों के सैलाब ने किसानों की पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया है. जिससे यहां के किसान बर्बाद हो गए हैं. जिले में इस बार बूढ़ी गंडक, गंडक और बागमती नदी के जलधारा ने ऐसी तबाही मचाई है. जिससे जिले में पूरी कृषी संरचना गड़बड़ा गई है.
कमिटी का किया जाएगा गठन
अगर आंकड़ों की बात करें, तो जिले में बाढ़ से प्राथमिक आकलन के आधार पर एक लाख नौ हजार हेक्टेयर में लगी धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है, जबकि अभी भी कई प्रखंडों में बाढ़ का पानी मौजूद है. ऐसे में धान की फसल नष्ट होने का रकबा अभी और बढ़ सकता है. फिलहाल जिला प्रशासन बाढ़ के दौरान जिले में हुए फसल के नुकसान के आकलन के काम में जूट गया है. वहीं डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि फसल के नुकसान के आकलन के लिए जल्द ही जिले में एक कमिटी का गठन किया जाएगा.
आर्थिक मदद से मिलेगी जीवन दान
बहरहाल वर्ष 2020 मुजफ्फरपुर के किसानों के लिए बेहद बुरा गुजर रहा है, जहां कोरोना संक्रमण के कारण पहले ही किसान आर्थिक मंदी का सामना कर रहे थे, ऐसे में किसानों की मुश्किल बाढ़ ने और बढ़ा दी है, ऐसे में अन्नदाताओं की उम्मीद अब सरकार पर टिकी हुई है, जहां से मिली आर्थिक मदद ही अब किसानों को जीवन दान दे सकती है. नहीं तो जिले के किसान संसाधनों के अभाव में तिल-तिल मरने को मजबूर होंगे, इसकी सारी जवाबदेही जिला प्रशासन और राज्य सरकार की होगी.