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Anand Mohan सहित 27 के रिहाई के आदेश, मुजफ्फरपुर जेल में बन्द इस कैदी को नहीं मिली रिहाई - Anand Mohan Released in Bihar

बिहार में आनंद मोहन रिहा (Anand Mohan Released in Bihar) हो गए हैं, उनके साथ और 26 लोगों को भी रिहाई के आदेश दिए गए हैं. इस आदेश के बावजूद भी मुजफ्फरपुर जेल में बन्द एक बन्दी को रिहाई नहीं मिली है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

आनंद मोहन की रिहाई
आनंद मोहन की रिहाई
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Published : Apr 27, 2023, 3:04 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार सरकार द्वारा राज्य दंड आदेश परिहार परिषद की बैठक के बाद कानून में संशोधन किया गया. इसका लाभ बिहार के विभिन्न जिलों में कई संगीन अपराधों में सजा काट रहे 27 बंदियों को मिला है. इसके बाद देश में इन दिनों राजद के विधायक चेतन आनंद के पिता आनंद मोहन का नाम सुर्खियों में है. आनंद मोहन पर गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णय्या का हत्या करने का आरोप था. डीएम की हत्या एक तत्कालीन बाहुबली की अर्थी जुलूस के दौरान मुजफ्फरपुर के खबरा से खदेर कर गोबरसही के पास कर दी गई थी.

पढ़ें-Anand Mohan को अच्छे आचरण के लिए मिली रिहाई, लेकिन जेल में रखते थे चार-चार मोबाइल.. देखें सबूत

इस कैदी को नहीं मिली रिहाई: बिहार के विभिन्न कारागार से 27 बंदियों को रिहा करने का नोटिफिकेशन कर दिया गया लेकिन मुजफ्फरपुर के केंद्रीय कारा में सजा काट रहे विजय कुमार उर्फ मुन्ना सिंह जो मूल रूप से दरभंगा जिले का रहने वाला है. दरभंगा जिले के हायाघाट क्षेत्र में हत्या और आर्म्स एक्ट में उसे सजा हुई थी. जिसमें न्यायालय में हत्या के केस में उम्र कैद और 5000 रुपया जुर्माना और आर्म्स एक्ट में 5000 रुपया जुर्माना लगाया गया था. कुल मिलाकर जुर्माने की राशि 10000 रुपये थी सरकार द्वारा संशोधित कानून के तहत रिहा करने की सूची में शामिल विजय सिंह को फिलहाल मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारागार से रिहा नहीं किया गया है. वह सिर्फ इसलिए कि उनके द्वारा माननीय न्यायालय से सुनाई गई सजा का 10000 रुपये की आर्थिक दंड की राशि जमा नहीं की गई थी. इस बात की पुष्टि केंद्रीय कारा के सुपरिटेंडेंट बृजेश मेहता ने की और कहा कि आर्थिक दंड की राशि जमा करने के उपरांत ही उन्हें छोड़ा जाएगा.

कैसे हुई डीएम की हत्या: बता दें कि तत्कालीन गोपालगंज के डीएम किसी काम से पटना जा रहे थे उसी क्रम में अर्थी जुलूस के दौरान उग्र भीड़ ने खदेड़ना शुरू कर दिया. जिसमें वह वापस शहर की तरफ भागने लगे. इस घटना में चालक और गार्ड भी घायल हुए थे लेकिन डीएम की हत्या कर दी गई थी. इस हत्या का आरोप आनंद मोहन के साथ-साथ बाहुबली मुन्ना शुक्ला समेत कई के ऊपर लगा था. आनंद मोहन को इस केस में फांसी की सजा हो गई थी लेकिन ऊपरी न्यायालय से फांसी की सजा उम्र कैद में तब्दील कर दी गई. तब से वो उम्र कैद की सजा सहरसा जेल में काट रहे थे. सरकार के संशोधित नियम के आलोक में उन्हें भी अब फायदा मिल गया और वो रिहा हो गए.

मुजफ्फरपुर: बिहार सरकार द्वारा राज्य दंड आदेश परिहार परिषद की बैठक के बाद कानून में संशोधन किया गया. इसका लाभ बिहार के विभिन्न जिलों में कई संगीन अपराधों में सजा काट रहे 27 बंदियों को मिला है. इसके बाद देश में इन दिनों राजद के विधायक चेतन आनंद के पिता आनंद मोहन का नाम सुर्खियों में है. आनंद मोहन पर गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णय्या का हत्या करने का आरोप था. डीएम की हत्या एक तत्कालीन बाहुबली की अर्थी जुलूस के दौरान मुजफ्फरपुर के खबरा से खदेर कर गोबरसही के पास कर दी गई थी.

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इस कैदी को नहीं मिली रिहाई: बिहार के विभिन्न कारागार से 27 बंदियों को रिहा करने का नोटिफिकेशन कर दिया गया लेकिन मुजफ्फरपुर के केंद्रीय कारा में सजा काट रहे विजय कुमार उर्फ मुन्ना सिंह जो मूल रूप से दरभंगा जिले का रहने वाला है. दरभंगा जिले के हायाघाट क्षेत्र में हत्या और आर्म्स एक्ट में उसे सजा हुई थी. जिसमें न्यायालय में हत्या के केस में उम्र कैद और 5000 रुपया जुर्माना और आर्म्स एक्ट में 5000 रुपया जुर्माना लगाया गया था. कुल मिलाकर जुर्माने की राशि 10000 रुपये थी सरकार द्वारा संशोधित कानून के तहत रिहा करने की सूची में शामिल विजय सिंह को फिलहाल मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारागार से रिहा नहीं किया गया है. वह सिर्फ इसलिए कि उनके द्वारा माननीय न्यायालय से सुनाई गई सजा का 10000 रुपये की आर्थिक दंड की राशि जमा नहीं की गई थी. इस बात की पुष्टि केंद्रीय कारा के सुपरिटेंडेंट बृजेश मेहता ने की और कहा कि आर्थिक दंड की राशि जमा करने के उपरांत ही उन्हें छोड़ा जाएगा.

कैसे हुई डीएम की हत्या: बता दें कि तत्कालीन गोपालगंज के डीएम किसी काम से पटना जा रहे थे उसी क्रम में अर्थी जुलूस के दौरान उग्र भीड़ ने खदेड़ना शुरू कर दिया. जिसमें वह वापस शहर की तरफ भागने लगे. इस घटना में चालक और गार्ड भी घायल हुए थे लेकिन डीएम की हत्या कर दी गई थी. इस हत्या का आरोप आनंद मोहन के साथ-साथ बाहुबली मुन्ना शुक्ला समेत कई के ऊपर लगा था. आनंद मोहन को इस केस में फांसी की सजा हो गई थी लेकिन ऊपरी न्यायालय से फांसी की सजा उम्र कैद में तब्दील कर दी गई. तब से वो उम्र कैद की सजा सहरसा जेल में काट रहे थे. सरकार के संशोधित नियम के आलोक में उन्हें भी अब फायदा मिल गया और वो रिहा हो गए.

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