मुज़फ्फरपुर: बिहार में मानसून (Mansoon) के दस्तक देने के साथ ही नदियां उफान पर हैं. कटाव का सिलसिला एक बार फिर से शुरू हो गया है. प्रशासन दावा कर रहा था कि बाढ़ से पहले सारी तैयारियां हो जाएंगी. वहीं, ताजा तस्वीरों को देखकर लगता है कि प्रशासन एक बार फिर परिस्थिति को भांपने में नाकाम रहा.
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प्यास लगने पर कुंआ खोदने वाली हालत
मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) की ये तस्वीर, जिसमें गायघाट विधायक निरंजन राय (MLA Niranjan Rai) बागमती नदी (Bagmati River) की तेज धार के कटाव का निरीक्षण कर रहे हैं, यह प्यास लगने पर कुआं खोदने की दास्तां ही बयां करती है.
बागमती नदी का कटाव शुरू
दरअसल, पहले यास तूफान और अब मानसून के आने के बाद से ही मुजफ्फरपुर में हुई लगातार बारिश के कारण बागमती नदी का जलस्तर बढ़ा है. उफनती बागमती नदी ने अपना रौद्र रूप भी दिखाना शुरू कर दिया है.
जिसकी बानगी है कि जिले के कई तटवर्ती इलाकों में नदी ने अपने किनारों को फैलाना शुरू कर दिया है. कई जगहों पर कटाव हो रहा है. जिसके कारण लोगों के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है.
कटाव के बीच विधायक पहुंचे जायजा लेने
कटाव को लेकर गायघाट विधायक निरंजन राय ने गायघाट प्रखंड के विभिन्न पंचायतों का आज दौरा किया. इस दौरान उनके साथ अभियंताओं की टीम भी थी.
विधायक ने आज बागमती नदी के तट पर बसे केवटसा, जमालपुर कोदई, कांटा पिरौछा दक्षिणी, शिवदाहा, बलौर निधि, लदौर, सुस्ता पंचायतों के कई गांवों का दौरा किया. बागमती नदी के कटाव से बचाव को लेकर बाढ़ से पूर्व कटाव निरोधी कार्य करने को लेकर उन्होंने अधिकारियों को सुझाव भी दिए.
सरकार पर लगाया ध्यान नहीं देने का आरोप
विधायक ने पत्रकारों को बताया की बागमती नदी के कटाव से बचाव के संबंध में हमने 18 मई को जल संसाधन मंत्री, विभागीय प्रधान सचिव एवं सचिव तथा 4 जून को जिलाधिकारी एवं मुजफ्फरपुर के प्रभारी मंत्री के साथ वर्चुअल बैठक की थी. उस दौरान उन्होंने मौखिक एवं लिखित रूप से इसके बारे में जानकारी देने की बात कही थी.
विधायक ने कहा कि जानकारी देने के बाद भी आज तक कोई कार्य नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि सरकार बिल्कुल आम-आवाम को भगवान भरोसे छोड़े हुए हैं, अगर समय से काम नहीं किया गया तो लाखों लोग इससे प्रभावित होंगे.
इस साल भी लोगों के लिए भगवान सहारा!
कुल मिलाकर कहें तो हर साल की भांति इस साल भी बाढ़ दस्तक देने को है. नदियों का कटाव शुरू है, लोगों पर जान-माल गंवाने और पलायन का खतरा मंडरा रहा है.
दूसरी ओर सरकारी तंत्र उसी पुराने राग को अलाप रहा है. जनप्रतिनिधियों का एक दूसरे पर आरोप मढ़ने काम शुरू हो गया है. इन सब के बीच आमजन भगवान से आस लगाए बैठे हैं कि बाढ़ का खतरा किसी तरह टल जाए.