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मुजफ्फरपुर: खुले में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे, पढ़ाई के नाम पर होती है खानापूर्ति - muzaffarpur latest news

जिले के औराई प्रखंड के कई सरकारी स्कूल बागमती बांध परियोजना की भेंट चढ़ चुके हैं. इन स्कूलों को आज तक पुनर्वासित जमीन नहीं मिल पाई है. जिसके कारण ये भवनहीन हैं.

खुले में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे
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Published : Oct 13, 2019, 7:50 PM IST

मुजफ्फरपुर: सभी स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज की शुरूआत युद्धस्तर पर की जा रही है. लेकिन आज भी जिले के कई स्कूल भवनहीन हैं. जहां सरकार स्कूल को स्मार्ट करने के दावे कर रही है, वहीं बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं.

जिले के औराई प्रखंड के कई सरकारी स्कूल बागमती बांध परियोजना की भेंट चढ़ चुकी है. इन स्कूलों को आज तक पुनर्वासित जमीन नहीं मिल पाई है. जिससे ये भवनहीन हैं. इसका एक उदाहरण जनार स्थित बागमती उच्च विद्यालय है. इसके पास 18 एकड़ 36 कट्ठा जमीन है. जो बांध परियोजना के अंदर आ गई है.

muzaffarpur
स्कूल की बदहाल हालत

पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति
बागमती उच्च विद्यालय को अभी मध्य विद्यालय के दो कमरों में चलाया जा रहा है. यहां 468 नामांकित छात्र-छात्राएं और 15 शिक्षक हैं. भवन के अभाव में यहां पढ़ाई की केवल खानापूर्ति की जाती है. स्थानीय लोगों ने बताया कि यदि बांध से सटे हुए स्कूल की जमीन पर ही भवन बना दिया जाए तो यह समस्या खत्म हो जाएगी.

खुले में पढ़ने को मजबूर बच्चे

दुर्दशा पर आंसू बहा रहा स्कूल
जहां एक तरफ स्कूलों को स्मार्ट क्लास जैसी हाई टेक सुविधा दी जा रही है, वहीं यह स्कूल बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. स्थानीय शिक्षाविद् स्व. चंद्रनारायण मिश्र ने इसकी स्थापना की थी. यहां से कई मेधावी छात्र शीर्ष स्तर तक पहुंचे हैं. लेकिन आज यह अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है.

muzaffarpur
बागमती उच्च विद्यालय

'स्कूल के लिए मांगी जाएगी जमीन'
जिला शिक्षा पदाधिकारी विमल ठाकुर ने बताया कि स्कूल के भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया नहीं हो पाई है. जहां तक बांध के पास भवन बनाने की बात है, तो इसके लिए बागमती परियोजना और संबंधित विभाग से अनुमति मिलने पर ही कुछ हो पाएगा. शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि जिस तरह ग्रामीणों के पुनर्वास की व्यवस्था हुई है. उसी तरह अधिकारी से मांग कर स्कूल के लिए भी जमीन की व्यवस्था की जाएगी.

मुजफ्फरपुर: सभी स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज की शुरूआत युद्धस्तर पर की जा रही है. लेकिन आज भी जिले के कई स्कूल भवनहीन हैं. जहां सरकार स्कूल को स्मार्ट करने के दावे कर रही है, वहीं बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं.

जिले के औराई प्रखंड के कई सरकारी स्कूल बागमती बांध परियोजना की भेंट चढ़ चुकी है. इन स्कूलों को आज तक पुनर्वासित जमीन नहीं मिल पाई है. जिससे ये भवनहीन हैं. इसका एक उदाहरण जनार स्थित बागमती उच्च विद्यालय है. इसके पास 18 एकड़ 36 कट्ठा जमीन है. जो बांध परियोजना के अंदर आ गई है.

muzaffarpur
स्कूल की बदहाल हालत

पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति
बागमती उच्च विद्यालय को अभी मध्य विद्यालय के दो कमरों में चलाया जा रहा है. यहां 468 नामांकित छात्र-छात्राएं और 15 शिक्षक हैं. भवन के अभाव में यहां पढ़ाई की केवल खानापूर्ति की जाती है. स्थानीय लोगों ने बताया कि यदि बांध से सटे हुए स्कूल की जमीन पर ही भवन बना दिया जाए तो यह समस्या खत्म हो जाएगी.

खुले में पढ़ने को मजबूर बच्चे

दुर्दशा पर आंसू बहा रहा स्कूल
जहां एक तरफ स्कूलों को स्मार्ट क्लास जैसी हाई टेक सुविधा दी जा रही है, वहीं यह स्कूल बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. स्थानीय शिक्षाविद् स्व. चंद्रनारायण मिश्र ने इसकी स्थापना की थी. यहां से कई मेधावी छात्र शीर्ष स्तर तक पहुंचे हैं. लेकिन आज यह अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है.

muzaffarpur
बागमती उच्च विद्यालय

'स्कूल के लिए मांगी जाएगी जमीन'
जिला शिक्षा पदाधिकारी विमल ठाकुर ने बताया कि स्कूल के भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया नहीं हो पाई है. जहां तक बांध के पास भवन बनाने की बात है, तो इसके लिए बागमती परियोजना और संबंधित विभाग से अनुमति मिलने पर ही कुछ हो पाएगा. शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि जिस तरह ग्रामीणों के पुनर्वास की व्यवस्था हुई है. उसी तरह अधिकारी से मांग कर स्कूल के लिए भी जमीन की व्यवस्था की जाएगी.

Intro:मुज़फ़्फ़रपुर,भले ही सरकार स्कूल को स्मार्ट करने की दावे कर रही है।
सभी स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज की युद्ध स्तर पर सुरुआत की जा रही है
लेकिन आज भी मुज़फ़्फ़रपुर जिले के कई स्कूल ऐसे है जो भवन हीन है बच्चे खुले आसमान के निचे पढ़ने को विवश है।
तो कही बाढ़ की विभीषका से भले ही गांव को पुनर्वासित कर अलग बसा दिया गया है लेकिन उस ईलाके जे स्कूल आज भी पुनर्वास की राह देख रही है।

हम बात कर रहे है दो परियोजना बांध के बीच फंसा करीब 500 विद्यार्थियों वाला जनार उच्व विद्यालय जो लखनदेई और बागमती के बीचों बीच पर जाने के कारण स्थिति काफी गम्भीर है क्योंकि ग्रामीण उस इलाके से पलायन कर बांध के बाहर बस गए है ।लेकिन स्कूल यथावत है ऐसे में बच्चो को काफी परेसानी होती है।
का व्यथा बागमति उच्च विद्यालय ।

औराई के कई सरकारी विद्यालय बागमति परियोजना बांध की भेंट चढ चुके हैं। इन विद्यालयों को आज तक पुनर्वासित जमीन नहीं मिल पायी जिस कारण ये भवनहिन हैं। इसका जीता जागता उदाहरण जनार स्थित बागमति उच्च विद्यालय है। इस विद्यालय के पास 18 एकड 36 डि0 जमीन है जो परियोजना बांध के अंदर है। वर्तमान में उक्त विद्यालय को मध्य वि0 जनार के दो कमरों में तात्कालिक रूप से चलाया जा रहा है। विद्यालय में 468 नामांकित छात्र-छात्राएं हैं एवं 15 शिक्षक-शिक्षिकाएं ंहैं। भवन के अभाव में पढाई की केवल खानापुर्ति की जाती है।
जहां एक तरफ विभिन्न विद्यालयों में स्मार्ट क्लास जैसी हाई टेक सुविधा दी जा रही है वहां महज बुनियादी सुविधाओं से विद्यालय वंचित है। विद्यालय से प्रसिद्ध कलमकार रामवृक्ष बेनीपुरी की भी यादें जुडी हुई है। पहले विद्यालय की स्थापना से पुर्व एक कॉलेज की शुरूआत की गयी थी लेकिन कालांतर में स्थानीय शिक्षाविद् स्व0 चंद्रनारायण मिश्र ने यहां इस विद्यालय की स्थापना की।
कई मेधावी छात्र इस विद्यालय से पढाई कर शिर्ष स्तर पर पहुंचे हैं लेकिन आज विद्यालय अपनी दुर्दशा पर आशु बहा रहा है।
ग्रामीण कहते हैकि यदि बांध से सटे हुए बांध के अंदर भी विद्यालय की जमीन पर ही भवन बना दिया जाए तो समस्या का समाधान हो जायेगा।

वही जिला शिक्षा पदाधिकारी विमल ठाकुर ने बताया कि विद्यालय के भुअधिग्रहण की प्रक्रिया नहीं हो पायी है। जहां तक बांध तक भीतर बांध सटा कर भवन बनाने की बात है इसके लिए बागमति परियोजना एवं संबंधित विभाग से अनापति मिले तभी कुछ हो पायेगा। वैसे जिस तरह ग्रामीणों को पुनर्वास की व्यवस्था हुई है ।उसी तरह हम लोग भी सम्बंधित प्राधिकार से मांग करेंगे कि विद्यालय के लिए भी जमीन की व्यवस्था कराई जाय।ताकि उस पर विद्यालय की अनुसंसा की जाय।
वैसे जितने भी भवनहीन विद्यालय हैं उन सभी को आसपास के विद्यालयों में शिफ्ट किया जा रहा है।
बाइट ग्रामीण
बाइट विमल ठाकुर जिला शिक्षा पदाधिकारी।Body:NoConclusion:No
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