मुजफ्फरपुर: बिहार की आर्थिक राजधानी के तौर पर अपनी पहचान रखने वाला मुजफ्फरपुर सूबे के सियासत में भी अपना अहम स्थान रखता है. राज्य के सियासी समीकरण में यहां की कुल 11 विधानसभा सीट अहम रही है. 2015 के विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन की बात करे तो जिले में 11 में 6 सीटे महागठबंधन खेमे के कब्जे में रहा था. जबकि एनडीए ने तीन सीटों पर जीत की थी. वहीं, जिले के दो विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत का परचम लहरा कर सबको चौंका दिया था.
सीटों का सियासी गणित
सीटों के सियासी गणित के मद्देनजर अब एक बार फिर बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर नए सियासी समीकरण के अनुसार, सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. इनमें कुछ ऐसी सीटें भी हैं, जहां दोनों बड़े गठबंधनों में टिकट बंटवारे को लेकर कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. वहीं, बात अगर एनडीए खेमे की करे तो जिले में भाजपा-जदयू की पांच-पांच सीटों पर उम्मीदवारी हो सकती है, ऐसा कयास लगाए जा रहे हैं. बीजेपी अपनी सीटिंग सीट नगर, पारू और कुढ़नी पर दावेदारी बनाए हुए हैं. जहां से वर्तमान विधायक सुरेश शर्मा, अशोक कुमार सिंह और केदार प्रसाद गुप्ता प्राथमिकता में रहेंगे. बोचहां विधायक बेबी कुमारी के पार्टी में आने से यहां भी भाजपा का दावा रहेगा. औराई में भाजपा पिछले चुनाव में में दो नंबर पर रही थी, इसलिए दावेदारी औराई सीट को लेकर भी है.
विधायक महेश्वर यादव के लिए दावेदारी
जदयू खेमा गायघाट में राजद से जदयू में आए वर्तमान विधायक महेश्वर यादव के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं. वहीं, जदयू की नजर बरुराज सीट पर भी है. कांटी विधायक अशोक कुमार चौधरी सकरा से जदयू के टिकट पर लड़ना चाह रहे हैं. बरुराज में भाजपा उम्मीदवार अरुण कुमार सिंह कम अंतर से पराजित हुए थे. लेकिन जदयू के नेताओं की भी यहां तैयारी यहां चल रही. मीनापुर सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अजय कुमार राजद के राजीव कुमार उर्फ मुन्ना यादव से पराजित हुए थे. जदयू यहां पर भी अपना दावेदारी जता रहा है. कांटी विधानसभा सीट पर इस बार जदयू की दावेदारी दिख रही है. जहां से उम्मीदवारी के लिए मजफ्फरपुर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ राजीव कुमार जोर आजमाइश कर रहे हैं. पिछले चुनाव में लोजपा को बोचहां में उम्मीदवारी मिली थी. लेकिन अब दूसरी सीट का चयन इस पार्टी के लिए करना होगा. ऐसे में साहेबगंज पर भाजपा और लोजपा के बीच निर्णय लेने में मशक्कत होगी. इस तरह जिले की 11 सीटों में से भाजपा-जदयू पांच-पांच और लोजपा को एक सीट पर उम्मीदवारी मिल सकती है.
नए समीकरण बनने के आसार
वहीं, बात अगर महागठबंधन खेमे से की जाय तो राष्ट्रीय जनता दल जिले के 11 विधानसभा सीटो में से अपने सहयोगियों को चार से पांच सीटें दे सकता है. राजद ने 6 सीटें औराई, मीनापुर, सकरा, बरुराज, साहेबगंज और गायघाट जीती थी. इस बार रालोसपा और वीआइपी के राजद खेमे से अलग होने से कुछ नए समीकरण भी बन सकते हैं. ऐसे में इस बार जिले में कांग्रेस भी महागठबंधन की तरफ से दो से तीन सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. जिसमे एक सीट मुजफ्फरपुर नगर की भी है. जिस पर कांग्रेस की सबसे मजबूत दावेदारी है. वहीं, वामदल के भी इस गठबंधन में आने के बाद अब राजद को जिले के कई सीटों के तालमेल को लेकर काफी गुणा-भाग करना होगा. लेकिन इतना जरूर है कि सीटिंग सीटों पर राजद किसी से कोई समझौता शायद ही करे. सिर्फ जिले में गायघाट एक ऐसी सीट है, जहां राजद के विधायक महेश्वर यादव खेमे को छोड़कर जदयू में खेमे में जा चुके हैं. लिहाज यह सीट सहयोगियों के लिए राजद छोड़ सकता है.