मुजफ्फरपुर: एसकेएमसीएच (SKMCH) में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएससी) से पीड़ित बच्ची को भर्ती कराया गया है. मीनापुर मिथिनापुर निवासी कृष्ण सहनी की चार साल की पुत्री अंशु कुमारी को गंभीर हालत में एसकेएमसीएच लाया गया था. बच्ची की मेडिकल जांच के बाद इस बीमारी की पुष्टि हुई है.
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एमआईएससी का पहला मामला
एसकेएमसीएच के उपाधीक्षक और शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि बच्ची को फिलहाल एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में भर्ती किया गया है. जहां उसका चिकित्सकों की देखरेख में बेहतर इलाज किया जा रहा है.
'अंशु कुमारी को बुखार, शरीर में सूजन के साथ तेज सांसें चलने की शिकायत पर उसके परिजन अस्पताल लेकर आए. बच्ची के एसकेएमसीएच में भर्ती होने के बाद डी-डाइमर, सीआरपी, फेरेटिन, सीबीसी, एक्स-रे व ईसीजी किया गया. उसमें एमआईएससी की पुष्टि हुई है. उसकी हालत फिलहाल नाजुक बनी हुई है.'- डॉ.गोपाल शंकर साहनी, उपाधीक्षक ,एसकेएमसीएच
क्या हैं MIS-C के लक्षण?
बच्चों में होने वाली एमआईएससी गंभीर बीमारी है. 24 घंटे या इससे ज्यादा समय तक बुखार होना, उल्टी, दस्त, पेट में दर्द, स्किन रैशेज, थकान, दिल की धड़कन तेज होना, सांसें तेज होना, आंखों में लालपन, होठों व जीभ पर सूजन या लालिमा, हाथ या पैरों में सूजन, सिरदर्द, चक्कर आना या सिर चकराना इसके लक्षण हैं.
कोरोना वायरस की महामारी के बाद देश में ब्लैक फंगस और अब एमआईएससी बीमारी आ गई है. ये बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है. कोरोना संक्रमण से ठीक होने के दो से छह सप्ताह के बाद मुख्य रूप से 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में यह बीमारी होती है. बच्चों को तेज बुखार आ जाता है. बच्चों के शरीर का तापमान 101 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर होता है. इस बीमारी में आंखें लाल हो जाती हैं. शरीर पर दाने आना, पेट दर्द, उल्टी, हाथ पैर में सूजन और डायरिया इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं.
3 दिन से अधिक बुखार रहे तो तुरंत डॉक्टर से करें संपर्क
डॉ. गोपाल शंकर साहनी के मुताबिक एमआईएस-सी से पीड़ित बच्चे को तत्काल हॉस्पिटल में भर्ती कराना जरूरी है. जिन बच्चों में इस बीमारी के लक्षण हैं, उनके पैरेंट्स डॉक्टर को यह बताएं कि क्या बच्चा पहले कोरोना से पीड़ित रहा है. अगर बच्चे को तीन दिन से अधिक बुखार रहे तो सचेत होने की जरूरत है. कई बार बच्चों को कोरोना हो जाता है और इसका पता नहीं चलता. ऐसे में ये बीमारी और ज्यादा खतरनाक रूप ले सकती है.
'सतर्क रहें अभिभावक'
डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना से रिकवर हो चुके बच्चों के माता-पिता को अधिक सजग रहने की जरूरत है. यदि समय पर इस बीमारी का पता लग जाए तो इसका इलाज संभव है.