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मुजफ्फरपुर: चुनावी मुद्दों से अब किसानों की समस्या गायब, पानी की वजह से धान की कटनी मुश्किल

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Published : Oct 7, 2020, 10:17 PM IST

Updated : Oct 7, 2020, 11:48 PM IST

मुजफ्फरपुर में बाढ़ के कारण धान की फसल बर्बाद हो रही है. वहीं, किसानों को पानी के बीच धान की फसल काटने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है. इस बार चुनावी मुद्दों से किसान गायब हो गए हैं.

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फसल

मुजफ्फरपुर: जिले में इस साल खेती बारी पूरी तरह से संकट में है. पहले कोरोना और अब मौसम की मार ने किसानों को बेहाल कर दिया है. एक तो पहले ही जिले में आई भयावह बाढ़ से किसानों की 1 लाख 8 हजार हेक्टेयर में लगी फसल नष्ट हो गई. अब जिले में करीब 30 हजार हेक्टेयर में बची-खुची धान की फसल जो पककर तैयार हो चुकी है. वो भी खेतों में लगे पानी की वजह से नष्ट होने की कगार पर है.

फसल को खेतों से निकालकर अपने घर तक लाने में किसानों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे अफसोस की बात यह है कि आज किसानों की दर्द और तकलीफ किसी को दिखाई नहीं दे रही है. यही वजह है कि बिहार विधानसभा चुनाव के राजनीतिक एजेंडे से किसान गायब हैं. ऐसे ही मीनापुर विधानसभा क्षेत्र से किसानों की पीड़ा और दर्द को ईटीवी भारत ने अपने चौपाल के माध्यम से उठाया है.

पानी भरने से किसान परेशान
खेतों में पानी भरने से किसान परेशान

बाढ़ से धान की फसल नष्ट
दरअसल, इस बार मुजफ्फरपुर में बाढ़ के प्रकोप और अधिक बारिश की वजह से जिले में धान का उत्पादन एक तिहाई से भी कम होने का अनुमान है. खेतों में अत्यधिक जलजमाव के कारण धान की कटाई भी किसानों के लिए बड़ी मुसीबत का सबब बन गया है. जहां पांच सौ रुपये प्रतिदिन मजदूरी देने के बाद भी पानी और कीचड़ की वजह से धान को काटने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. मुजफ्फरपुर के तीन प्रखंड के खेतों में लगी धान की फसल पूरी तरह पक कर तैयार है, लेकिन मजदूर नहीं मिलने की वजह से पानी में खड़े धान को समेटने में किसानों को काफी जद्दोजहद करना पड़ रहा है.

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धान की खेत में लगा पानी

किसान परेशान
जिले में यह हालत मीनापुर, कांटी, मोतीपुर और कुढ़नी प्रखंड कमोवेश सभी जगह पर है, लेकिन यह समस्या न तो जिला प्रशासन, न तो इलाके के जनप्रतिनिधियों को और ना ही सरकार को दिख रही है. एक तरफ जहां राजनीतिक दल और जिला प्रशासन चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है. वहीं, इन तमाम बातों से बेखबर गरीब, बेबस किसान चुपचाप अपने खेतों में एक-एक दाना समेटने के लिए पसीना बहा रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मीनापुर के किसान आनंदी राय बताते हैं कि इस बार फसलों पर मौसम की मार काफी पड़ी है. पहले रबी में तैयार फसल मौसम और लॉकडाउन के कारण गोदाम और खलिहान में सड़ गए. अब बारिश से हुए जलजमाव के कारण धान की फसल नुकसान का दर्द दे रही है. अभी तक जिले में बाढ़ के कारण हुए नुकसान का सरकारी स्तर पर अभी तक कोई आकलन नहीं हो सका है. किसानों का कहना है कि उन्हें अगली फसल के लिए पूंजी और महाजन के कर्ज चुकाने की चिंता सता रही है. क्योंकि धान की फसल से अब उम्मीद खत्म हो चुकी है. वहीं, इस बार गेंहू की समय पर बुआई पर भी संशय मंडरा रहा है.

मुजफ्फरपुर: जिले में इस साल खेती बारी पूरी तरह से संकट में है. पहले कोरोना और अब मौसम की मार ने किसानों को बेहाल कर दिया है. एक तो पहले ही जिले में आई भयावह बाढ़ से किसानों की 1 लाख 8 हजार हेक्टेयर में लगी फसल नष्ट हो गई. अब जिले में करीब 30 हजार हेक्टेयर में बची-खुची धान की फसल जो पककर तैयार हो चुकी है. वो भी खेतों में लगे पानी की वजह से नष्ट होने की कगार पर है.

फसल को खेतों से निकालकर अपने घर तक लाने में किसानों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे अफसोस की बात यह है कि आज किसानों की दर्द और तकलीफ किसी को दिखाई नहीं दे रही है. यही वजह है कि बिहार विधानसभा चुनाव के राजनीतिक एजेंडे से किसान गायब हैं. ऐसे ही मीनापुर विधानसभा क्षेत्र से किसानों की पीड़ा और दर्द को ईटीवी भारत ने अपने चौपाल के माध्यम से उठाया है.

पानी भरने से किसान परेशान
खेतों में पानी भरने से किसान परेशान

बाढ़ से धान की फसल नष्ट
दरअसल, इस बार मुजफ्फरपुर में बाढ़ के प्रकोप और अधिक बारिश की वजह से जिले में धान का उत्पादन एक तिहाई से भी कम होने का अनुमान है. खेतों में अत्यधिक जलजमाव के कारण धान की कटाई भी किसानों के लिए बड़ी मुसीबत का सबब बन गया है. जहां पांच सौ रुपये प्रतिदिन मजदूरी देने के बाद भी पानी और कीचड़ की वजह से धान को काटने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. मुजफ्फरपुर के तीन प्रखंड के खेतों में लगी धान की फसल पूरी तरह पक कर तैयार है, लेकिन मजदूर नहीं मिलने की वजह से पानी में खड़े धान को समेटने में किसानों को काफी जद्दोजहद करना पड़ रहा है.

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धान की खेत में लगा पानी

किसान परेशान
जिले में यह हालत मीनापुर, कांटी, मोतीपुर और कुढ़नी प्रखंड कमोवेश सभी जगह पर है, लेकिन यह समस्या न तो जिला प्रशासन, न तो इलाके के जनप्रतिनिधियों को और ना ही सरकार को दिख रही है. एक तरफ जहां राजनीतिक दल और जिला प्रशासन चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है. वहीं, इन तमाम बातों से बेखबर गरीब, बेबस किसान चुपचाप अपने खेतों में एक-एक दाना समेटने के लिए पसीना बहा रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मीनापुर के किसान आनंदी राय बताते हैं कि इस बार फसलों पर मौसम की मार काफी पड़ी है. पहले रबी में तैयार फसल मौसम और लॉकडाउन के कारण गोदाम और खलिहान में सड़ गए. अब बारिश से हुए जलजमाव के कारण धान की फसल नुकसान का दर्द दे रही है. अभी तक जिले में बाढ़ के कारण हुए नुकसान का सरकारी स्तर पर अभी तक कोई आकलन नहीं हो सका है. किसानों का कहना है कि उन्हें अगली फसल के लिए पूंजी और महाजन के कर्ज चुकाने की चिंता सता रही है. क्योंकि धान की फसल से अब उम्मीद खत्म हो चुकी है. वहीं, इस बार गेंहू की समय पर बुआई पर भी संशय मंडरा रहा है.

Last Updated : Oct 7, 2020, 11:48 PM IST
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