मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर लीची के उत्पादन के लिए पूरी दुनिया मे मशहूर है. वहीं अब यह सब्जी के उत्पादन में भी अपनी अलग पहचान बना रहा है. जहां नई तकनीकी से सब्जियों की खेती कर किसान सामान्य से ज्यादा सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं. किसान सब्जियों की उत्पादन बढ़ाने के लिए नई तकनीक 'स्टेकिंग विधि' का सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाने में काफी मदद मिल रही है.
सबसे खास बात यह है कि जिले के किसान बगैर प्रशिक्षण के ही खेती कर रहे हैं. हालांकि किसानों का मानना है कि अगर सरकार से उन्हें उचित सहयोग और तकनीकी प्रशिक्षण मिले तो वे सब्जी उत्पादन में और बेहतर कर सकते हैं.
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जानिए कैसे की जा रही खेती
स्टेकिंग तकनीक से खेती करने के लिए खेतों में बने हुए मेड़ के आसपास लगभग 10 फीट की दूरी पर 10-10 फीट के ऊंचे बांस के डंडे खड़े कर दिए जाते हैं. उसके बाद इन डंडों पर दो फीट की ऊंचाई पर लोहे का तार बांध दिया जाता है. लोहे का तार बांधने के बाद पौधों को सुतली की सहायता से तार के साथ बांध दिया जाता है.
नए तकनीक से सब्जियों की गुणवत्ता रहती है अच्छी
खेती करने के दौरान जैसे टमाटर, शिमला मिर्च और करेला के पौधों को अत्यधिक नमी के कारण सड़ने और गलने का खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए उन्हें विशेष रूप से देखभाल की आवश्यकता होती है. इनमें पौधे के वजन की तुलना में सब्जियों का भार ज्यादा होता है. इसलिए पौधे, सब्जियों या फलों का भार सह नहीं पाते और नमी की वजह से सड़ जाते हैं या तो टूट जाते हैं. ऐसे में इस तकनीक के जरिये ये सब्जियां को बांस के डंडे और रस्सियों का सहारा मिलता है. जिससे सब्जियों की साइज और गुणवत्ता अच्छी रहती है.
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किट से प्रभावित होने का खतरा कम
इस तकनीक से फसल पर किट से प्रभावित होने का खतरा भी कम हो जाता है. लेकिन अब तकनीक का सहारा लेकर मुजफ्फरपुर के सब्जी उत्पादक सफलता की नई इबारत लिख रहे हैं. मगर जरूरत है सरकार को इन किसानों को उचित तकनीकी सहयोग और वैज्ञानिक प्रशिक्षण देने की. जिससे बिहार के अन्नदाता कृषि क्षेत्र में और बेहतर प्रदर्शन कर सकें.