मुजफ्फरपुर: कोरोना महामारी से परेशान जिले के लीची किसानों की बारिश ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. बारिश और तूफान की मार से चाइना लीची की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. पेड़ों पर लगे फलों में कीड़े मिल रहे हैं. कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले दो वर्ष से बाजार की उपलब्धता की मार से जूझ रहे किसान एवं व्यापारियों की मुसीबत इस बार और बढ़ गई है.
इसे भी पढ़ें : प्रकृति की मार झेल रहे किसान, आम और लीची हुई बर्बाद
यास तूफान ने भी पहुंचाया नुकसान
इस साल यास तूफान की वजह से लगातार तीन दिनों तक हुई भारी बारिश ने इस बार लीची उत्पादकों की कमर तोड़ दी है. लगातार बारिश से जिले में करीब 6 हजार हेक्टेयर में लगी चाइना प्रजाति की लीची को सबसे अधिक नुकसान हुआ है. जहां अत्याधिक नमी की वजह से इस बार लीची के तैयार पके फलों के पेड़ से चुने एवं फलों में कीड़े लगने की समस्या बढ़ गई है. ऐसे में पके चायनीज प्रजाति के लीची की गुणवत्ता सहीं नही रहने की वजह से अच्छी कीमत नहीं मिल पा रही है. जिस विजह से लीची किसानों व कारोबारियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.
लीची में लगे कीड़े
चाइना लीची के बगीचों की खरीददारी करने वाले व्यापारियों की माने तो लीची की हालत बहुत ही दयनीय है. पके फलों में सड़न एवं काले पड़ने की समस्या इतनी है. लीची का एक बड़ा हिस्सा वेस्ट के रूप में निकल रहा है. ऐसे में अच्छे फलों के चयन और उसके पैकेजिंग की कीमत बढ़ गई है.
'लीची के किसानों और इससे कारोबार से जुड़े लोगों को सरकार से कोई राहत नही मिल रही है. लीची के फलों को जिले से बाहर दूसरे राज्यो में भेजने के लिए रेल और उड्डयन विभाग से भी कई तरह की टैक्स वसूली जा रही है. इस वजह से इस बार इस धंधे में मुनाफा तो दूर खर्च निकलना भी मुश्किल हो रहा है.' :- नगीना प्रसाद, लीची कारोबारी
सरकार से मदद की गुहार
बता दें कि इस बार मुजफ्फरपुर में लीची के बगीचों में फल काफी कम हुआ था. इस वजह लीची के बगीचों की खरीददारी करने वाले व्यापारी पहले से ही नुकसान की आशंका से सहमे हुए थे. वहीं अब चाइना लीची की फसल के खराब होने की समस्या ने व्यापारियों की मुसीबत को और बढ़ा दिया है. ऐसे में लीची के कारोबार से जुड़े व्यापारी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.