मुजफ्फरपुर: चमकी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण के मद्देनजर जिलाधिकारी प्रणव कुमार की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समाहरणालय सभा कक्ष में बैठक आहूत की गई. जिसमें सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी, सभी प्रखंड चिकित्सा अधिकारियों के साथ-साथ सभी सीडीपीओ उपस्थित रहे. जिन्हें कई आवश्यक निर्देश जारी किया गया.
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कई कार्यों को लेकर की गई समीक्षा
इस बैठक में प्रचार प्रसार विशेषकर हैंडव्हील और पैपंलेट वितरण, दीवाल लेखन, डोर-टू-डोर भ्रमण, आशा, सेविका, सहायिका और जीविका दीदियों की सहभागिता, जनप्रतिनिधियों की सहभागिता, वाहनों की टैगिंग, पंचायतों में किये जाने वाले जागरूकता कार्यों इत्यादि की समीक्षा की गई.
अलर्ट मोड में विभाग
जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने स्पष्ट निर्देश दिया कि बढ़ते तापमान के मद्देनजर सभी विभाग अलर्ट मोड में रहे. उन्होंने निर्देश दिया कि आशा, जीविका दीदी, आंगनवाड़ी सेविका/सहायिका और टैग किए गए वाहनों के चालक का मोबाइल नम्बर हर हाल में प्रत्येक लाभुक के पास उपलब्ध कराया जाए.
व्यक्तिगत रूप से लिखा जाएगा पत्र
चमकी बुखार पर नियंत्रण को लेकर जिलाधिकारी के स्तर से सभी शिक्षकों और आंगनवाडी सेविकाओं को व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखा जाएगा. स्कूलों और केंद्रों के बच्चों के साथ-साथ आसपास के बच्चों पर सतत निगरानी रखते हुए चमकी बुखार पर प्रभावी नियंत्रण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सके.
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कार्यों का किया जाएगा अनुश्रवण
इसके साथ बैठक में सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे सतत रूप से आंगनबाड़ी सेविका /सहायिका के कार्यों का अनुश्रवण करते रहे. सभी आंगनवाड़ी सेविका/सहायिका अपने-अपने पोषक क्षेत्र के अंतर्गत सभी बच्चों विशेषकर कमजोर बच्चों का नियमित रूप से फॉलोअप करना सुनिश्चित करेंगे.
किया जाएगा औचर निरीक्षण
डीएम ने स्पष्ट कहा कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का रेंडमली निरीक्षण किया जाएगा. अनुपस्थित पाए गए पदाधिकारी पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.
लगभग एक हजार लोगों से की बात
जिलाधिकारी ने कॉन्फ्रेंस कॉल के माध्यम से जिले के लगभग 1,000 ग्रामीणों चिकित्सकों से बात की. उन्होंने कहा कि बढ़ते तापमान को देखते हुए संभावित एईएस/चमकी बुखार रूपी आपदा में सभी का सहयोग अपेक्षित है.
सहयोग करने का अनुरोध
जिलाधिकारी ने अनुरोध करते हुए कहा कि यदि किसी बच्चे में एईएस का लक्षण नजर आता है तो, बच्चे को निकट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में या एसकेएमसीएच पहुंचाने में सहयोग किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में बिना समय गवाएं बच्चे को सरकारी अस्पताल में पहुंचाना अनिवार्य है. जिससे एईएस प्रोटोकॉल के तहत संबंधित अस्पताल में विधिवत इलाज हो सके.