मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर सहित आसपास के अन्य जिलों में गर्मी शुरू होने के बाद होने वाली बीमारी एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) को लेकर जिला प्रशासन अभी से ही एहतियाती उपाय करने में जुटा हुआ है. इस साल जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने 'चमकी को धमकी' के जरिए लोगों को जागरूक कर इस बीमारी को मात देने की पहल की है. जिला प्रशासन, केयर इंडिया और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) द्वारा एक कार्यशला में चमकी को धमकी के पोस्टर का अनावरण किया गया है.
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एईएस से निपटने के लिए त्वरित गति से करना होगा काम: मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी पंकज कुमार कहते हैं कि एईएस से निपटने के लिए सारे उपाय किए जा रहे हैं. उन्होंने माना कि एईएस से निपटने के लिए त्वरित गति से काम करना हेागा. उन्होंने कहा कि इस बीमारी को लेकर जागरूकता (Awareness Campaign Being Run In Muzaffarpur) फैलाने के लिए सदर अस्पताल परिसर में एईएस से बचाव, सुझाव और मरीजों की सूचना के आदान-प्रदान के लिए कंट्रोल रूम खुलेगा.
चलाया जा रहा जागरुकता अभियान: पंकज कुमार ने कहा कि एईएस (AES) कोई रोग नहीं यह अनेक रोगों के लक्षणों का समावेश है. पिछले 10 -12 वर्षों मे जो मत बना है वह यह कि एईएस का जुड़ाव गर्मी और नमी से जरूर है. हमें एईएस से निपटने के लिए त्वरित गति से काम करना होगा. उन्होंने कहा कि विभिन्न माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. बीरेन्द्र कुमार ने बताया कि एईएस से लोगों को जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न प्रखंडों में 25 आरबीएस के वाहनों से ऐलान कराया जा रहा है. इसके अलावा पंचायत भवन, आंगनबाड़ी, सामुदायिक भवन, महादलित टोला, विद्यालयों में दीवार लेखन भी कराया गया है.
बच्चों को रात में खाना खिलाकर सुलाएं: जिला प्रशसन का मानना है कि शाम के वक्त सुस्ती होने पर पीएचसी जाना, रात में खाना खिलाकर ही बच्चों को सुलाना और एंबुलेंस या टैग वाहन का इंतजार न करते हुए किसी भी वाहन से तुरंत ही नजदीकी पीएचसी ले जाना जरूरी है. बताया कि जाता है कि देर से अस्पताल पहुंचने के कारण ही पीड़ित मरीजों को बचाना मुश्किल हो जाता है.
एसकेएमसीएच में बनाए गए एईएस वार्ड: सदर अस्पताल और एसकेएमसीएच में भी अलग से एईएस के लिए वार्ड बनाए गए हैं. अस्पतालों में ऑसीमीटर और ग्लूकोमीटर जैसे उपयोगी उपकरणों सहित आवश्यक दवाओं की व्यवस्था की जा चुकी है. जिला एवं प्रखंड स्तर पर एईएस कंट्रोल रूम स्थापित किए गए हैं. गांवों में ओआरएस पॉकेट बांटे जा रहे हैं. प्रत्येक पंचायत में आंगनबाडी सेविकाओं को एईएस के लक्षण वालों बच्चों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं. बता दें कि पिछले कुछ वर्षों से मुजफ्फरपुर सहित कई अन्य जिलों में एईएस से कई बच्चों की मौत हो गई है.
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