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बिहारः बच्चों के लिए जानलेवा बना चमकी बुखार, अब तक 21 की मौत - death of children due to spleen fever

चमकी बुखार से 12 घंटे में पांच और बच्चों की मौत हो गई. इस महीने में अब तक इस बीमारी से 21 बच्चों की मौत हो चुकी है.

अस्पताल में भर्ती बच्चे
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Published : Jun 8, 2019, 12:38 PM IST

मुजफ्फरपुर: प्रचंड गर्मी और उमस बढ़ने के साथ ही एईएस का कहर जारी है. चमकी बुखार से 12 घंटे में पांच और बच्चों की मौत हो गई. इस महीने में अब तक इस बीमारी से 21 बच्चों की मौत हो चुकी है. चमकी बुखार के कहर को देखते हुए जिले के सभी पीएचसी को हाई अलर्ट पर रखा गया है.

बता दें गुरूवार को एसकेएमसीएच के पीआईसीयू वार्ड में भर्ती चमकी बुखार से पीड़ित चार बच्चे और केजरीवाल अस्पताल में भर्ती एक बच्चे की मौत हो गई थी. वहीं, सिविल सर्जन के मुताबिक चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए समुचित व्यवस्था की गई है.

तरल पदार्थों का सेवन कराने की सलाह
वहीं डॉक्टरों ने लोगों को अपने बच्चों का खासा ख्याल रखने की अपील की है. डॉक्टरों ने उसे गर्मी से बचाने के साथ समय-समय पर तरल पदार्थों का सेवन करवाने की सलाह भी दी है. अब तक सैकड़ों बच्चों की जान जा चुकी है.

90 के दशक से है बीमारी का प्रकोप
गौरतलब है कि 90 के दशक से इस बीमारी का प्रकोप मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के कई जिलों में है. अब तक सैकड़ों बच्चों की जान अज्ञात बीमारी ने ले ली है, लेकिन सिस्टम और डॉक्टर भी इस नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं कि इस लाइलाज बीमारी से कैसे मासूम बच्चों को बचाया जाए.

मुजफ्फरपुर: प्रचंड गर्मी और उमस बढ़ने के साथ ही एईएस का कहर जारी है. चमकी बुखार से 12 घंटे में पांच और बच्चों की मौत हो गई. इस महीने में अब तक इस बीमारी से 21 बच्चों की मौत हो चुकी है. चमकी बुखार के कहर को देखते हुए जिले के सभी पीएचसी को हाई अलर्ट पर रखा गया है.

बता दें गुरूवार को एसकेएमसीएच के पीआईसीयू वार्ड में भर्ती चमकी बुखार से पीड़ित चार बच्चे और केजरीवाल अस्पताल में भर्ती एक बच्चे की मौत हो गई थी. वहीं, सिविल सर्जन के मुताबिक चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए समुचित व्यवस्था की गई है.

तरल पदार्थों का सेवन कराने की सलाह
वहीं डॉक्टरों ने लोगों को अपने बच्चों का खासा ख्याल रखने की अपील की है. डॉक्टरों ने उसे गर्मी से बचाने के साथ समय-समय पर तरल पदार्थों का सेवन करवाने की सलाह भी दी है. अब तक सैकड़ों बच्चों की जान जा चुकी है.

90 के दशक से है बीमारी का प्रकोप
गौरतलब है कि 90 के दशक से इस बीमारी का प्रकोप मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के कई जिलों में है. अब तक सैकड़ों बच्चों की जान अज्ञात बीमारी ने ले ली है, लेकिन सिस्टम और डॉक्टर भी इस नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं कि इस लाइलाज बीमारी से कैसे मासूम बच्चों को बचाया जाए.

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