मुंगेर: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों दावा किया था कि किसी भी जिले से पटना 4 से 5 घंटे में पहुंचा जा सकता है. इसके लिए सड़कों का जाल बिछाया गया है. लेकिन हकीकत यह है कि मुंगेर से पटना पहुंचने में चार चक्का वाहन से 7 से 8 घंटे लग रहे हैं. सड़कों की स्थिति ऐसी है कि पता ही नहीं चलता कि सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क.
ये भी पढ़ें..लालू यादव की सेहत को लेकर NDA नेता भी चिंतित, जल्द स्वस्थ्य होने की कामना
पटना पहुंचने में लगते हैं 7 से 8 घंटे
मुंगेर जिले के सफियाबाद रेलवे क्रॉसिंग के पास एनएच 80 पर पिछले डेढ़ साल से सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं लेकिन सड़क की अब तक मरम्मत नहीं हो पायी है. जिसके कारण यहां से गुजरने वाले वाहन हिचकोले खा कर आगे बढ़ने को मजबूर हैं. वाहन चालकों का दर्द है कि मुंगेर जिला से पटना पहुंचने में लगभग 7 से 8 घंटे लग जाते हैं.
वैकल्पिक मार्ग का उपयोग कर पटना जाने को मजबूर
बेली ब्रिज क्षतिग्रस्त रहने से भी 70 किलोमीटर से अधिक की दूरी वैकल्पिक मार्ग का उपयोग कर पटना जाने को मजबूर हैं. संग्रामपुर, तारापुर, असरगंज, गंगटा, हवेली खड़गपुर, लोहची बरियारपुर के सड़क किनारे लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है. जिसके कारण इन इलाकों से गुजरते समय वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लग जाता है.
ये भी पढ़ें..कान-नाक,आंख में फेविकॉल डालकर युवक की ससुराल में हत्या, तीन लोग गिरफ्तार
बेली ब्रिज क्षतिग्रस्त, नया पुल 14 वर्षों से है निर्माणाधीन
भागलपुर से या संग्रामपुर तारापुर या असरगंज से पटना जाने के क्रम में मुंगेर जिला के प्रवेश द्वार घोरघट के पास बेली ब्रिज पिछले 14 वर्ष से अधिक समय से क्षतिग्रस्त है. बेली ब्रिज के बगल में ही नया पुल पिछले 14 वर्षों से निर्माणाधीन ही है. पुल के निर्माण की लागत की राशि दोगुनी हो गई लेकिन नया पुल नहीं बन पाया. सरकार ने 7.61 करोड़ की राशि से बेली ब्रिज के समान समानांतर एक नया पुल बनवाने की घोषणा की थी. 14 वर्ष बीतने के बाद भी पुल बन ही रहा है. जबकि पुल की लागत राशि दोगुनी राशि से बढ़कर लगभग 16 करोड़ हो गई है.
कछुआ गति से हो रहा निर्माण
स्थानीय लोगों की मानें तो जमीन अधिग्रहण और 'कछुआ गति' से हो रहे निर्माण इसके पीछे मुख्य का मुख्य कारण है. पुल के क्षतिग्रस्त होने से बड़ी बस 70 किलोमीटर अधिक की दूरी तय कर वैकल्पिक मार्ग से पटना के लिए जाती हैं. इससे अतिरिक्त 2 घंटे का समय लगता है. वहीं, मुंगेर से अगर किसी को भागलपुर जाना होता है, उन्हें भी 70 से 80 किलोमीटर की अधिक दूरी तय कर 2 घंटे से अधिक का समय व्यतीत करना पड़ता है. ऐसे में नीतीश कुमार की घोषणा यहां हवा-हवाई साबित हो रही है.
वाहन चालकों ने सुनाया दर्द सड़कों का है खस्ताहाल
वाहन से पटना जा रहे वाहन चालकों ने बताया कि मुंगेर से पटना किसी भी सूरत में 5 घंटे में नहीं पहुंचा जा सकता है. वर्तमान समय में पटना पहुंचने में 7 से 8 घंटे का समय लगता है.
''पटना तक पहुंचने में सड़क पर लगभग 2 दर्जन से अधिक स्थानों पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं. वहीं कई किलोमीटर तक सड़क खराब है. पटना जाने के क्रम में बेली ब्रिज क्षतिग्रस्त होने के बाद, बरियारपुर, नौवागढ़ी सफियाबाद इलाके के ऐसे आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर सड़क के बीचो-बीच बड़े-बड़े गड्ढे हैं. इन गड्ढों को अब तक विभाग द्वारा नहीं भरा गया है. गाड़ियां हिचकोले खाकर आगे बढ़ती है.'' -पप्पू कुमार, वाहन चालक
''बरियारपुर, रतनपुर, हेरु दियारा में स्थानीय लोगों द्वारा सड़क पर अतिक्रमण कर सड़क पर ही अनाज सुखाते हैं. मक्के की दौनी भी सड़क पर ही करते हैं. भवन निर्माण सामग्री भी सड़क पर ही रख कर बनाते हैं. जिसके कारण कई जगह सड़क वनवे हो जाता है. इससे भी हमें पटना पहुंचने में काफी समय लगता है.'' -सुरेंद्र, वाहन चालक
सफियाबाद के पास बना बड़ा गड्ढा वाहन चालकों के लिए सिरदर्द
''सफियाबाद रेलवे क्रॉसिंग के समीप सड़क के बीचों बीचों बीच बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं. गड्ढे इतने बड़े हैं कि डर लगता है कहीं गाड़ी पलट ना जाए. गाड़ियों की रफ्तार हमें धीमी करनी पड़ती है. वाहनों को यहां सावधानी से धीरे धीरे चलाना पड़ता है. यह गड्ढा पिछले डेढ़ वर्षों से है. कई बार यहां दर्जनों वाहन पलट चूका है लेकिन विभाग किसी बड़ी दुर्घटना होने का इंतजार कर रहा है.'' -कुणाल, वाहन चालक