मुंगेर: बिहार के कई जिलों (Bihar Flood) में बाढ़ कहर बनकर टूट पड़ा है. इस वर्ष बाढ़ ने बिहार के लगभग 17 जिलों में भयंकर तबाही मचा रखी है. वहीं बिहार के मुंगेर (Munger) जिले में बाढ़ के कारण दियारा इलाका डूब जाने से हरी सब्जियों के फसलों का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. हालात यह है कि हजारों एकड़ सब्जियों की फसल बर्बाद (Crop Wasted) हो गई हैं. जिसके कारण जिले में अन्य राज्यों से सब्जियां मंगानी पड़ रही है.
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बता दें कि मुंगेर जिले से अन्य राज्यों में हरी सब्जियां (Green Vegetble) भेजी जाती थी. लेकिन इस वर्ष बाढ़ ने इस कदर कहर बरपाया कि अब जिले में अन्य राज्यों से सब्जियां मंगानी पड़ रही हैं. बाहर से सब्जियां आने के कारण काफी महंगी हो गई हैं. सब्जियों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि दर्ज की गई है. कई सब्जियां तो ऐसी हैं जिनकी कीमत लगभग दोगुनी से तिगुनी हो गई हैं.
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जिला स्कूल के मैदान में संचालित सब्जी बाजार के थोक व्यापारियों की मानें तो पिछले एक महीने से हरी सब्जियों की आवक में कमी आई है. जिसके कारण थोक मंडी में हरी सब्जियों की कीमतों में इजाफा हुआ है. यह सब्जियां खुदरा बाजार में जाते-जाते दोगुनी दाम पर बिकने लगती जाती हैं.
'इस समय तक परवल, भिंडी, परवल, हरी मिर्च, मक्का भरपूर मात्रा में मंडियों में आनी शुरू हो जाती थी. लेकिन बाढ़ के कारण यह सभी हरी सब्जियां मंडी से गायब हैं. बाहर से हरी सब्जियां मंगाकर शहर में आपूर्ति की जा रही है. मक्के की फसल को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है. वहीं हरी मिर्च मुंबई से मंगाया जा रहा है, तो रांची से मक्का. जिसके कारण इन सभी की कीमतों में बेताहशा वृद्धि देखने को मिल रही है.' -गुड्डू राइन, थोक व्यापारी
सब्जी मंडी के व्यापारियों ने बताया कि सुबह 4:00 बजे से ही मंडी में सैकड़ों खुदरा दुकानदार सब्जी खरीदने आते थे. लेकिन अब सुबह के 9:00 बजे तक मात्र 50 से 100 की संख्या में मंडी में आ रहे हैं. जहां उन्हें भी सब्जियां नहीं मिल पाती है. जब मंडी में ही सब्जी कम है, तो बाजार में निश्चित रूप से हरी सब्जी कम मिल रही है. जिसके कारण ग्राहकों को ऊंचे भाव में हरी सब्जी खरीदना पड़ रहा है.
सब्जी | कीमत (पहले) | कीमत (वर्तमान) |
परलवल | 20 रुपये/किलो | 40 रुपये/किलो |
भिंडी | 20 रुपये/किलो | 40 रुपये/किलो |
बैंगन | 20 रुपये/किलो | 40 रुपये/किलो |
कच्चू | 20 रुपये/किलो | 40 रुपये/किलो |
फूलगोभी | 40 रुपये/पीस | 50 रुपये/पीस |
हरी मिर्च | 40 रुपये/किलो | 100 रुपये/किलो |
लाला साग | 20 रुपये/किलो | 50 रुपये/किलो |
ककोरी | 20 रुपये/किलो | 40 रुपये/किलो |
मूली | 20 रुपये/किलो | 40 रुपये/किलो |
टमाटर | 30 रुपये/किलो | 60 रुपये/किलो |
'हरी सब्जियां कम आ रही हैंं. जिसके कारण हम लोग मजबूरी में अधिक कीमत में सब्जियां थोक मंडी से खरीदते हैं. जिसके कारण उसे ऊंची कीमतों में बेचने पर मजबूर हैं.' -मोहम्मद जुम्मन, दुकानदार
वहीं, सब्जियों के बढ़ते दामों को लेकर गृहणी रोनिका जैन ने कहा कि अब हालात ऐसे हो गए कि सप्ताह में 2 दिन ही हरी सब्जी खरीद रहे हैं. बाकी विकल्प के अनुसार काबली चना की सब्जी बना कर काम चल रहा है. बाढ़ का पानी उतर जाने के बाद ही सब्जियों की कीमत संतुलित हो पाएगी.