मुंगेर: कोरोना वायरस के कहर से पूरा विश्व जूझ रहा है. इस बीच मंगलवार को प्रदेश में सुतआन का पर्व बेहद सादगी से मनाया गया. इक्का-दुक्का लोग ही गंगा घाट पर नजर आए. घाट पहुंचे श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान कर घर पर आकर अपने इष्ट देवता और प्रकृति की पूजा की. इस दौरान उन्होंने गेहूं, जौ, चना, मक्के के सत्तू के साथ आम और महुआ का प्रसाद बनाकर देवता को भोग लगाया.
गौरतलब है कि सतुआन को बिसुआ पर्व भी कहा जाता है. हालांकि मंगलवार को त्योहार मनाने के दौरान लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा. घाटों पर कम हर साल के मुकाबले कम भीड़ दिखी. वहीं, स्नान करने पहुंचे लोग एक-दूसरे से दूर रह कर स्नान करते नजर आए.
इन घाटों पर पहुंचे लोग
पर्व को लेकर कस्टहरनी, बबुआ और सोझी घाट में लोगों ने स्नान किया. यह पर्व बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. अप्रैल माह में मनाए जाने वाला यह त्योहार प्रकृति के प्रति समर्पण के भाव को दर्शाता है. इस संबंध में अविनाश आचार्य ने बताया कि प्रकृति के प्रति समर्पण वाले इस त्योहार में लोग प्रकृति द्वारा उत्पन्न आम, महुआ के पहले फल सहित खेतों में तैयार फसल की पहली उपज जौ, गेहूं, मक्का से प्रसाद तैयार कर प्रकृति को अर्पण करते हैं.