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मुंगेर के पुलिसकर्मी हैं परेशान, समय पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिलने से प्रभावित हो रहा अनुसंधान

बिहार के मुंगेर में स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के बीच तालमेल बेहतर नहीं है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में देरी हो रही है. जिस कारण पुलिसकर्मियों का केस लंबित हो जाता है. केस के लंबित होने से कई बार उनकी सैलरी भी रोक ली जा रही है. पढ़ें रिपोर्ट...

मुंगेर में पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने में देरी हो रही है, जिससे पुलिसकर्मियों को परेशानी उठानी पड़ रही है...
मुंगेर में पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने में देरी हो रही है, जिससे पुलिसकर्मियों को परेशानी उठानी पड़ रही है...
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Published : Dec 14, 2021, 8:35 PM IST

मुंगेर: बिहार के मुंगेर में पोस्टमार्टम रिपोर्ट (Postmortem Report Delay in Munger) समय पर नहीं मिल रहा है. स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की बेहतर तालमेल के अभाव में मुकदमों का निपटारा समय पर नहीं हो रहा है. इंज्यूरी और बीएसटी रिपोर्ट के चलते जिले के कई थानों में अभी भी दो सौ से ज्यादा केस पेंडिंग हैं. रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने से मुकदमों का निष्पादन नहीं हो पा रहा है. घटना के बाद अस्पताल से रिपोर्ट नहीं उपलब्ध होने से केस फाइलों में उलझ कर रहा गया है. यह आंकड़ा सिर्फ छह माह का है. इस पूरे प्रकरण में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही भी साफ दिख रही है.

यह भी पढ़ें- मुंगेर में हाईटेक होगी स्वास्थ्य व्यवस्था, इन योजनाओं को मिली मंजूरी

संबंधित रिपोर्ट पर समय पर चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों के हस्ताक्षर नहीं होने से जांच में विलंब हो रहा है. दरअसल, किसी घटना की जांच अस्पताल की रिपोर्ट पर निर्भर है. जिले के थानों से जारी होने वाली एमएलसी सहित उससे जुड़े दस्तावेज प्राप्त करने में पुलिसकर्मियों के पसीने छूट रहे हैं. उन्हें लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है. नतीजतन इसका असर थानों में दर्ज मामलों पर पड़ रहा है.

मुंगेर में पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने में देरी हो रही है, जिससे पुलिसकर्मियों को परेशानी उठानी पड़ रही है...

सदर अस्पताल और जिला के विभिन्न प्रखंडों में संचालित अनुमंडल और पीएससी में आने वाले मेडिकल जांच पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेना पुलिस के लिए आसान नहीं है. हर दिन मारपीट, सड़क दुर्घटना, जहरखुरानी सहित अन्य मामलों में पीड़ित अस्पताल पहुंचते हैं. यह मामले तो थानों में दर्ज हो जाते हैं. इसके बाद इन मामलों से जुड़े दस्तावेज जुटाने में पुलिस को महीनों चक्कर काटना पड़ता है. रिपोर्ट के लिए पुलिसकर्मियों को दो से तीन महीने तक चक्कर काटना पड़ता है.

'2019 के एक केस का पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब तक नहीं मिला है. जिसके कारण वह केस 2 सालों से लंबित है. अधिक समय पर एक केस अगर लंबित रहता है तो वरीय पदाधिकारी वेतन तक हम लोगों का रोक देते हैं. ऐसे में अनुसंधान भी प्रभावित होता है और हमलोगों पर कार्रवाई भी होती है. लेकिन इसका जिम्मेवार तो स्वास्थ्य विभाग है, जो समय पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट हम लोगों को नहीं देता. मैं खुद एक केस का पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने के लिए 2 साल से चक्कर लगा रहा हूं.' -राम किशोर महतो, पुलिसकर्मी, बासुदेवपुर ओपी

पहला मामला: मुफसिल थाना क्षेत्र के नौवागढ़ी के पुलिस मंडल की पत्नी दाना देवी के साथ पड़ोसी ने मारपीट की थी, इसकी रिपोर्ट अब तक थाना तक नहीं पहुंच सकी है.

दूसरा मामला: कोतवाली थाना क्षेत्र में एक वर्ष पहले पुलिस ने अज्ञात शव बरामद किया था. पोस्टमार्टम होने के बाद शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. अब तक इसकी रिपोर्ट थाना तक नहीं पहुंची.

तीसरा मामला: बासुदेवपुर ओपी क्षेत्र के माधोपुर में मारपीट की घटना 2019 से पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अभाव में लंबित.

'जब भी कोई अनुसंधानकर्ता हमारे पास आते हैं, तो संबंधित डॉक्टर को बुलाते हैं. लेकिन डॉक्टर समय के अभाव के कारण समय पर नहीं आ पाते हैं. पिछले 1 माह से एक सौ से अधिक केस हमारे कार्यालय में लंबित है. इस संबंध में मैंने सदर अस्पताल उपाधीक्षक को भी सूचित किया है.' -संतोष कुमार, डाटा एंट्री ऑपरेटर, पोस्टमार्टम कार्यालय

'यह मामला हमारे संज्ञान में नहीं था कि कितने केस लंबित हैं. आपने मुझे संज्ञान में दिया है. हम संबंधित पदाधिकारी को निर्देशित कर रहे हैं कि वे अविलंब इसका समाधान कराएं.' -हरेंद्र कुमार आलोक, सिविल सर्जन

यह भी पढ़ें- पटना: परसा स्वास्थ केंद्र... मरहम पट्टी के अलावा यहां कुछ नहीं होता!

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मुंगेर: बिहार के मुंगेर में पोस्टमार्टम रिपोर्ट (Postmortem Report Delay in Munger) समय पर नहीं मिल रहा है. स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की बेहतर तालमेल के अभाव में मुकदमों का निपटारा समय पर नहीं हो रहा है. इंज्यूरी और बीएसटी रिपोर्ट के चलते जिले के कई थानों में अभी भी दो सौ से ज्यादा केस पेंडिंग हैं. रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने से मुकदमों का निष्पादन नहीं हो पा रहा है. घटना के बाद अस्पताल से रिपोर्ट नहीं उपलब्ध होने से केस फाइलों में उलझ कर रहा गया है. यह आंकड़ा सिर्फ छह माह का है. इस पूरे प्रकरण में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही भी साफ दिख रही है.

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संबंधित रिपोर्ट पर समय पर चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों के हस्ताक्षर नहीं होने से जांच में विलंब हो रहा है. दरअसल, किसी घटना की जांच अस्पताल की रिपोर्ट पर निर्भर है. जिले के थानों से जारी होने वाली एमएलसी सहित उससे जुड़े दस्तावेज प्राप्त करने में पुलिसकर्मियों के पसीने छूट रहे हैं. उन्हें लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है. नतीजतन इसका असर थानों में दर्ज मामलों पर पड़ रहा है.

मुंगेर में पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने में देरी हो रही है, जिससे पुलिसकर्मियों को परेशानी उठानी पड़ रही है...

सदर अस्पताल और जिला के विभिन्न प्रखंडों में संचालित अनुमंडल और पीएससी में आने वाले मेडिकल जांच पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेना पुलिस के लिए आसान नहीं है. हर दिन मारपीट, सड़क दुर्घटना, जहरखुरानी सहित अन्य मामलों में पीड़ित अस्पताल पहुंचते हैं. यह मामले तो थानों में दर्ज हो जाते हैं. इसके बाद इन मामलों से जुड़े दस्तावेज जुटाने में पुलिस को महीनों चक्कर काटना पड़ता है. रिपोर्ट के लिए पुलिसकर्मियों को दो से तीन महीने तक चक्कर काटना पड़ता है.

'2019 के एक केस का पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब तक नहीं मिला है. जिसके कारण वह केस 2 सालों से लंबित है. अधिक समय पर एक केस अगर लंबित रहता है तो वरीय पदाधिकारी वेतन तक हम लोगों का रोक देते हैं. ऐसे में अनुसंधान भी प्रभावित होता है और हमलोगों पर कार्रवाई भी होती है. लेकिन इसका जिम्मेवार तो स्वास्थ्य विभाग है, जो समय पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट हम लोगों को नहीं देता. मैं खुद एक केस का पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने के लिए 2 साल से चक्कर लगा रहा हूं.' -राम किशोर महतो, पुलिसकर्मी, बासुदेवपुर ओपी

पहला मामला: मुफसिल थाना क्षेत्र के नौवागढ़ी के पुलिस मंडल की पत्नी दाना देवी के साथ पड़ोसी ने मारपीट की थी, इसकी रिपोर्ट अब तक थाना तक नहीं पहुंच सकी है.

दूसरा मामला: कोतवाली थाना क्षेत्र में एक वर्ष पहले पुलिस ने अज्ञात शव बरामद किया था. पोस्टमार्टम होने के बाद शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. अब तक इसकी रिपोर्ट थाना तक नहीं पहुंची.

तीसरा मामला: बासुदेवपुर ओपी क्षेत्र के माधोपुर में मारपीट की घटना 2019 से पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अभाव में लंबित.

'जब भी कोई अनुसंधानकर्ता हमारे पास आते हैं, तो संबंधित डॉक्टर को बुलाते हैं. लेकिन डॉक्टर समय के अभाव के कारण समय पर नहीं आ पाते हैं. पिछले 1 माह से एक सौ से अधिक केस हमारे कार्यालय में लंबित है. इस संबंध में मैंने सदर अस्पताल उपाधीक्षक को भी सूचित किया है.' -संतोष कुमार, डाटा एंट्री ऑपरेटर, पोस्टमार्टम कार्यालय

'यह मामला हमारे संज्ञान में नहीं था कि कितने केस लंबित हैं. आपने मुझे संज्ञान में दिया है. हम संबंधित पदाधिकारी को निर्देशित कर रहे हैं कि वे अविलंब इसका समाधान कराएं.' -हरेंद्र कुमार आलोक, सिविल सर्जन

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