मुंगेर: उत्तरवाहिनी गंगा तट पर बसे मुंगेर शहर के लोग पानी के लिए काफी परेशान है. सरकार पानी की जरूरत पूरा करने के लिए पानी की तरह रुपये बहा रही है. लेकिन गलत व्यवस्था के कारण लोग आज भी पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. जद्दोजहद ऐसी कि गंदे पानी के बीच लीकेज वाली पाइप से लोग अपनी प्यास बुझा रहे हैं. ये कोई एक या दो दिन की बात नहीं है. लोग ऐसा 20 सालों से कर रहे हैं.
पानी इंसान की जिंदगी और मौत से जुड़ा हुआ है. मुंगेर नगर परिषद से नगर निगम हो गया लेकिन लोग आज भी जल संकट से जूझ रहे हैं. मुंगेर में शहरी जलापूर्ति योजना के तहत पानी पर लगभग 74 करोड़ से अधिक राशि खर्च की. पीएचईडी विभाग में चापाकल लगाने में करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए. प्याऊ के नाम पर विभिन्न मदों से अरबों रुपए खर्च किए गए. फिर भी गंगा तट पर बसे मुंगेर शहरी क्षेत्र के लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है.
सुबह होते ही पानी के लिए जद्दोजहद
मुंगेर में सुबह होते ही लोग पानी के लिए डब्बा लेकर दौड़ लगाते नजर आएंगे. शहर के तीन नंबर गुमटी के इलाके की स्थिति तो काफी दयनीय है. यहां गंदे नाले के बीच लीकेज वाली पाइप से पानी निकालकर इसकी कमी पूरी कर रहे हैं. साइकिल, ठेला और रिक्शा पर डब्बा रखकर पानी लेने के लिए इसी लीकेज के पास आते हैं.
यही हाल मक्ससपुर, मुगल बाजार, कौड़ा मैदान, बड़ी बाजार, प्रेम नीति बाग, रायसर, पूरब सराय का भी है. अमूमन हर वार्ड के एक या दो मोहल्ले में इसी तरह की मारामारी पानी के लिए होती है. लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि पानी पर इतनी राशि खर्च होने के बाद भी इसकी किल्लत क्यों है.
जल आपूर्ति के लिए उठाए गए कदम
मुंगेर शहर वासियों को कस्तूरबा वाटर वर्क्स गंगा नदी के जल को शुद्ध कर शहरवासियों को पाइप से जल उपलब्ध करा रहा था. उस समय शहर में जलापूर्ति के लिए 6 वाटर वर्क कार्यरत थे. वर्तमान समय में इनकी संख्या सिर्फ दो बची है. काफी समय तक मुंगेर शहरी क्षेत्र में पानी आपूर्ति ठप रही, जिसके बाद शहरी जलापूर्ति को सुदृढ़ करने की योजना बनी और नगर विकास विभाग ने सुदृढ़ जलापूर्ति व्यवस्था के लिए 2007 में शहरी जलापूर्ति योजना शुरू किया. इसके लिए 74 करोड़ से अधिक की राशि खर्च गई. पीएचईडी की देखरेख में जिंदल ने अक्टूबर 2018 में कार्य पूर्ण भी कर लिया लेकिन नगर विकास विभाग ने 45 वार्डों में से मात्र 20 वार्ड में ही काम कराया.
300 से अधिक है प्याऊ, लेकिन नहीं बुझ रही प्यास
मुंगेर नगर निगम में कुल 45 वार्ड हैं. जिसमें विभिन्न सांसद, विधायक, एमएलसी, नगर एवं आवास विभाग की ओर से 300 से अधिक प्याऊ लगाए गए हैं. इसपर भी करोड़ों रुपये खर्च हो गए. 80 से 90 प्याऊ ठेकेदारी प्रथा के कारण दम तोड़ चुके हैं, तो 30 से 40 किसी न किसी कारण हमेशा खराब ही रहते है. इतना ही नहीं, कई पर तो दबंगों का कब्जा है.
- वर्ष 2018-19 में शहरी क्षेत्र में सैकड़ों जीपीटी चापाकल लगाया गया. लेकिन उसमें 90 प्रतिशत चापाकलों पर दबंगों का कब्जा है. अधिकारियों से सेटिंग कर लोगों ने घरों में चापाकल लगवा लिए.
- वर्ष 2019 में नगर निगम ने हर वार्ड में दो-दो समरसेबल व टंकी लगवाकर पानी की व्यवस्था की. लेकिन ये व्यवस्था भी जल संकट को दूर करने के लिए पर्याप्त नहीं रही.
हर घर जल नल योजना
मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत हर घर नल योजना में बिहार राज्य जल परिषद ने डीपीआर तैयार किया, जिसके तहत जिले में 198 करोड रुपये खर्च किये गए. शहर के 32 हजार 891 घरों में पानी पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया. जल पार्षद ने काम को छीनकर बिहार शहरी आधारभूत संरचना बुडको को दे दिया. लेकिन शहर में आज तक हर घर नल का जल योजना का कार्य प्रारंभ तक नहीं हो पाया.
ट्रायल और मेंटेनेंस का काम पूरा
पीएचईडी के पदाधिकारी अजीत कुमार ने कहा कि शहरी जलापूर्ति का कार्य अक्टूबर 2018 में ही जिंदल ने विभागीय देखरेख में पूरा कर लिया गया है. 3 महीने ट्रायल और 6 महीने के मेंटेनेंस का काम पूरा कर लिया है. नगर निगम को हैंड ओवर करने के लिए पत्राचार भी किया जा रहा है. जल्द ही पानी की आपूर्ति की जाएगी.
वाटर टैंकर से जल आपूर्ति
शहरी जलापूर्ति के जलकल विभाग के सहायक गोपाल राम ने बताया कि जिंदल ने निगम के आधे वार्ड में ट्रायल के लिए वाटर सप्लाई की है. निगम के शेष बचे वार्ड में कस्तूरबा वाटर वर्क्स पानी की सप्लाई कर रहा है. उन्होंने कहा कि जिले में जहां वाटर लेवल गिरा है, वहां वहां टैंकरों के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा है. मुंगेर के मक्ससपुर, नीति बात, बड़ी बाजार इलाके में टैंकर के माध्यम से जलापूर्ति किया जा रहा है.