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आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस बनी मुसीबत, कोरोना जांच के अभाव में डायलिसिस प्रभावित - Dialysis affected due to lack of corona test

आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस (ICMR New Guidelines) में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि कोरोना जांच के अभाव में कोई भी इमर्जेंसी प्रक्रिया यहां तक कि सर्जरी और डिलिवरी में देरी नहीं होनी चाहिए, इसके बावजूद मुंगेर में डायलिसिस कराने में परेशानी हो रही ही. साथ ही ऑपरेशन भी नहीं हो पा रहा है. जिस वजह से मरीज और परिजन बेहद चिंतित हैं.

कोरोना जांच के अभाव में डायलिसिस प्रभावित
कोरोना जांच के अभाव में डायलिसिस प्रभावित
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Published : Jan 18, 2022, 10:32 PM IST

मुंगेर: आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस (ICMR New Guidelines) के कारण बिहार के मुंगेर में गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज काफी परेशान हैं. दरअसल नई गाइडलाइन के अनुसार एसिंप्टोमेटिक मरीजों की कोरोना जांच बंज कर दी गई है. जिसे सर्दी, खांसी या बुखार के लक्षण हैं, उसी की कोरोना जांच हो रही है. ऐसे में अगर कोई मरीज डायलिसिस कराना चाहता है और उसे सर्दी, खांसी या बुखार नहीं है तो उसकी कोरोना जांच नहीं हो पा रही है. इससे मरीज के परिजन काफी परेशान है. वहीं किसी को इंटरव्यू के लिए जाना है और उन्हें कोरोना रिपोर्ट अनिवार्य है तो उसकी भी जांच नहीं हो पा रही है. इस नई गाइडलाइंस से लोग काफी परेशान हैं, वहीं स्वास्थ्य विभाग भी काफी कंफ्यूजन में है.

ये भी पढ़ें: 10 दिनों बाद कोरोना निगेटिव हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, कल से निपटायेंगे फाइल

मुंगेर के कोतवाली थाना क्षेत्र के नयागांव निवासी राजकुमारी देवी अपनी 23 वर्षीय बेटी प्रीति का डायलिसिस सदर अस्पताल परिसर में बने नेफ्रोप्लस डायलिसिस सेंटर (Nephroplus Dialysis Center) में पिछले कई महीने से करवा रही है लेकिन उसे अब आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस आने से काफी परेशानी हो रही है. राजकुमारी कहती हैं कि अब डायलिसिस सेंटर वाले कोरोना जांच रिपोर्ट लाने के लिए बोल रहे हैं, जबकि कोरोना जांच करने वाले कर्मी बताते हैं कि आपके मरीज को सर्दी, खासी या बुखार नहीं है. ऐसे में हम जांच नहीं करेंगे. वो कहती हैं कि जब जांच नहीं होगी तो हम अपनी बच्ची का डायलिसिस कैसे कराएंगे.

वहीं, डायलेसिस सेंटर के इंचार्ज अमित कुमार ने बताया कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मरीज की कोरोना जांच रिपोर्ट अनिवार्य है, क्योंकि संक्रमित मरीज अगर यहां डायलिसिस कराते हैं तो उससे दूसरे संक्रमित हो सकते हैं. हमारे कर्मचारियों के भी संक्रमित होने का खतरा बना रहता है. इसलिए निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य है. उधर, जीएनएम अस्पताल पूरब सराय में बने कोरोना जांच सेंटर में मंगल बाजार के रहने वाले गोविंद कुमार ने बताया कि हमें निजी कंपनी में इंटरव्यू के लिए जाना है. वहां के मैनेजमेंट ने कोरोना रिपोर्ट मांगी है लेकिन यहां के कर्मी कह रहे हैं कि आपको सर्दी, खांसी या बुखार नहीं है तो हम आपकी जांच नहीं करेंगे. ऐसे में भला मैं इंटरव्यू देने कैसे जाऊंगा.

ये भी पढ़ें: बिहार में फूटा ओमीक्रोन 'बम', एक साथ मिले 40 केस, CM नीतीश भी हुए थे संक्रमित

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर जहां पहले टेस्टिंग बढ़ाने की बात हो रही थी, वहीं अब टेस्टिंग सेंटर कम करने की बात सामने आई है. नई गाइडलाइन लागू होते ही मुंगेर जिले के रेलवे स्टेशन, बस अड्डा सार्वजनिक स्थान, सदर अस्पताल का मुख्य द्वार ,सदर पीएचसी सेंटर में जांच सेंटर बंद कर दिए गए हैं. सदर अस्पताल में पहले जहां ओपीडी में डॉक्टर से दिखाने से पहले रजिस्ट्रेशन कराने के साथ ही सभी मरीज की कोरोना जांच होती थी. इस कारण प्रतिदिन सदर अस्पताल में ही लगभग 500 से 600 लोगों की कोरोना जांच होती थी. वहीं, अब यह सेंटर बंद कर दिया गया है. सेंटर बंद होने के कारण कोई भी मरीज रजिस्ट्रेशन कराकर डॉक्टर से सीधे दिखा सकता है .

इस संबंध में सदर अस्पताल के डॉक्टर विश्वकर्मा ने कहा कि मरीज को फिल्टर होकर दिखाना चाहिए. इससे अन्य मरीज भी सुरक्षित रहेंगे और डॉक्टर भी सुरक्षित रहेंगे लेकिन यह विभाग का निर्णय है, हम लोग क्या कर सकते हैं. वहीं, इस बारे में मुंगेर सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार आलोक ने बताया कि आईसीएमआर की नई गाइडलाइन के अनुसार सर्दी, खांसी या बुखार वाले मरीजों की ही कोरोना जांच होनी है. हालांकि विशेष परिस्थिति में जांच का प्रावधान है. अगर किसी मरीज को डायलिसिस कराना है तो उसकी कोरोना जांच जरूर होगी. वे साफ कहते हैं कि कोरोना जांच के अभाव में डायलिसिस प्रभावित नहीं होना चाहिए.

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मुंगेर के कोतवाली थाना क्षेत्र के नयागांव निवासी राजकुमारी देवी अपनी 23 वर्षीय बेटी प्रीति का डायलिसिस सदर अस्पताल परिसर में बने नेफ्रोप्लस डायलिसिस सेंटर (Nephroplus Dialysis Center) में पिछले कई महीने से करवा रही है लेकिन उसे अब आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस आने से काफी परेशानी हो रही है. राजकुमारी कहती हैं कि अब डायलिसिस सेंटर वाले कोरोना जांच रिपोर्ट लाने के लिए बोल रहे हैं, जबकि कोरोना जांच करने वाले कर्मी बताते हैं कि आपके मरीज को सर्दी, खासी या बुखार नहीं है. ऐसे में हम जांच नहीं करेंगे. वो कहती हैं कि जब जांच नहीं होगी तो हम अपनी बच्ची का डायलिसिस कैसे कराएंगे.

वहीं, डायलेसिस सेंटर के इंचार्ज अमित कुमार ने बताया कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए मरीज की कोरोना जांच रिपोर्ट अनिवार्य है, क्योंकि संक्रमित मरीज अगर यहां डायलिसिस कराते हैं तो उससे दूसरे संक्रमित हो सकते हैं. हमारे कर्मचारियों के भी संक्रमित होने का खतरा बना रहता है. इसलिए निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य है. उधर, जीएनएम अस्पताल पूरब सराय में बने कोरोना जांच सेंटर में मंगल बाजार के रहने वाले गोविंद कुमार ने बताया कि हमें निजी कंपनी में इंटरव्यू के लिए जाना है. वहां के मैनेजमेंट ने कोरोना रिपोर्ट मांगी है लेकिन यहां के कर्मी कह रहे हैं कि आपको सर्दी, खांसी या बुखार नहीं है तो हम आपकी जांच नहीं करेंगे. ऐसे में भला मैं इंटरव्यू देने कैसे जाऊंगा.

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इस संबंध में सदर अस्पताल के डॉक्टर विश्वकर्मा ने कहा कि मरीज को फिल्टर होकर दिखाना चाहिए. इससे अन्य मरीज भी सुरक्षित रहेंगे और डॉक्टर भी सुरक्षित रहेंगे लेकिन यह विभाग का निर्णय है, हम लोग क्या कर सकते हैं. वहीं, इस बारे में मुंगेर सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार आलोक ने बताया कि आईसीएमआर की नई गाइडलाइन के अनुसार सर्दी, खांसी या बुखार वाले मरीजों की ही कोरोना जांच होनी है. हालांकि विशेष परिस्थिति में जांच का प्रावधान है. अगर किसी मरीज को डायलिसिस कराना है तो उसकी कोरोना जांच जरूर होगी. वे साफ कहते हैं कि कोरोना जांच के अभाव में डायलिसिस प्रभावित नहीं होना चाहिए.

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