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मुंगेर: दुर्गा प्रतिमा विसर्जन गोलीकांड में CID ने पटना HC को सौंपी जांच रिपोर्ट

अनुराग पोद्दार हत्याकांड मामले में CID ने हाई कोर्ट में जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में सौंप दी है. मृतक के माता पिता को सीआईडी जांच पर विश्वास नहीं है. मृतक के पिता ने आरोप लगाया है कि सीआईडी गवाहों से बार-बार पूछताछ कर परेशान कर रही है.

अनुराग पोद्दार हत्याकांड में नहीं हुई किसी की गिरफ्तारी
अनुराग पोद्दार हत्याकांड में नहीं हुई किसी की गिरफ्तारी
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Published : Aug 27, 2021, 4:18 AM IST

मुंगेर: बिहार के मुंगेर जिले में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन (Durga Idol Immersion) गोली कांड मामले में पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को सीआईडी (CID) ने पिछले 2 महीने में किए गए कार्य से संबंधित जांच रिपोर्ट (Investigation Report) बंद लिफाफे में सौंप दिया है. कोर्ट ने अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को निर्धारित की है. मुंगेर में अनुराग पोद्दार (Anurag Poddar ) के मामले को देख रहे अधिवक्ता ओमप्रकाश पोद्दार (Advocate Omprakash Poddar) ने कहा कि सीआईडी ने बंद लिफाफे में 40 गवाहों से लिया गया बयान से संबंधित जांच रिपोर्ट सौंपा है.

ये भी पढ़ें- मुंगेर गोलीकांड: पुलिस की गोली से मरा था अनुराग, आज 10 लाख मुआवजा देगी बिहार सरकार

उन्होंने कहा कि सीआईडी की कार्यप्रणाली सही नहीं है. वे गवाह को परेशान कर रहे हैं. मुंगेर में भी जब चश्मदीदों से गवाही लिया गया तब फिर मुख्यालय बुलाकर उनसे 7 घंटे तक पूछताछ करना कहां तक उचित है. इस केस के गवाह को अनावश्यक रूप से सीआईडी परेशान कर रही है. घटना के 10 माह बीतने के बाद भी इस केस के एक भी आरोपी की गिरफ्तार नहीं हुई है.

इस केस में कई पुलिसकर्मी भी नामजद अभियुक्त बनाए गए हैं. ऐसे में सीआईडी के कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है. इस संबंध में मृतक अनुराग पोद्दार के पिता अमरनाथ पोद्दार ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अनुराग हत्या प्रकरण से जुड़े दो मामलों की जांच सीआईडी टीम कर रही है. एक मामले में सूचक मैं खुद हूं जिसका कोतवाली कांड संख्या 311/20 है.

ये भी पढ़ें- मुंगेर गोलीकांड में पुलिस की 'हार', बड़ी दुर्गा प्रतिमा विसर्जन समिति के 3 सदस्यों को जमानत

दूसरे मामले में कोतवाली कांड संख्या 298 /20 के सूचक तत्कालीन मुफस्सिल थाना अध्यक्ष बृजेश सिंह है, जो अन्य मामलों में नामजद अभियुक्त भी हैं. दुर्गा प्रतिमा विसर्जन गोलीकांड मामले और श्रद्धालु अनुराग हत्या प्रकरण में घटना के चश्मदीद गवाह संगठन कुमार उर्फ राजू से सीआईडी पुलिस कई बार बयान लेने के बाद भी उसे गवाही देने के लिए पटना बुला लिया गया.

जहां पर सीआईडी टीम 7 घंटे तक पूछताछ की. अनुराग के दोस्तों को भी कई बार पूछताछ के लिए पटना बुला चुकी है. इससे गवाह मानसिक दबाव में आ गए हैं. अनुराग के पिता ने बताया की सीआईडी की जांच टीम पर विश्वास नहीं है . हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी कांड प्राथमिक अभियुक्त तत्कालीन बासुदेवपुर ओपी प्रभारी सुशील कुमार को सीआईडी टीम गिरफ्तार नहीं कर सकी है.

ये भी पढ़ें- मुंगेर हिंसा: HC के फैसले को मृतक के पिता ने बताया आंशिक जीत, बहन को लिपि पर कार्रवाई नहीं होने का मलाल

जिस कारण सीआईडी की जांच पर सवाल उठ रहे हैं. मृतक के पिता ने कहा कि जिस टीम में दागी भी हाई प्रोफाइल अधिकारी हो तो जांच प्रभावित होगी ही. हम लोगों को हाईकोर्ट पर भरोसा है कि अनुराग को न्याय अवश्य मिलेगा. जो इसमें शामिल हो उसे कड़ी सजा दी जाए. हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा है.

बता दें कि मामला 26 अक्टूबर 2020 का है. मुंगेर में दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान घटना हुई थी. जुलूस के दौरान कानून व्यवस्था बिगड़ी और गैर कानूनी गतिविधियां जैसे पुलिस पर पत्थरबाजी और गोलियां चलाई गई. गोलीकांड के बाद एसपी के नेतृत्व वाली मुंगेर पुलिस ने घटना के समय कोई प्रक्रिया को फॉलो नहीं किया और भक्तों पर बर्बर तरीके से फायरिंग की.

मामले में हुई जांच में भी पाया गया कि दुर्गा पूजा में हुई फायरिंग के दौरान 18 वर्षीय अनुराग बिल्कुल निहत्था था और उस पर किसी प्रकार की कोई गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप नहीं थे. इसलिए कोर्ट ने बिहार सरकार को मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था.

ये भी पढ़ें- अनुराग पोद्दार हत्याकांड: इंसाफ की मांग को लेकर मुंगेर बंद, SP लिपि सिंह पर कार्रवाई की मांग

ये भी पढ़ें- अनुराग पोद्दार की मौत पर परिजन ने तेजस्वी यादव से की मुलाकात, इंसाफ की लगाई गुहार

मुंगेर: बिहार के मुंगेर जिले में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन (Durga Idol Immersion) गोली कांड मामले में पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को सीआईडी (CID) ने पिछले 2 महीने में किए गए कार्य से संबंधित जांच रिपोर्ट (Investigation Report) बंद लिफाफे में सौंप दिया है. कोर्ट ने अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को निर्धारित की है. मुंगेर में अनुराग पोद्दार (Anurag Poddar ) के मामले को देख रहे अधिवक्ता ओमप्रकाश पोद्दार (Advocate Omprakash Poddar) ने कहा कि सीआईडी ने बंद लिफाफे में 40 गवाहों से लिया गया बयान से संबंधित जांच रिपोर्ट सौंपा है.

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उन्होंने कहा कि सीआईडी की कार्यप्रणाली सही नहीं है. वे गवाह को परेशान कर रहे हैं. मुंगेर में भी जब चश्मदीदों से गवाही लिया गया तब फिर मुख्यालय बुलाकर उनसे 7 घंटे तक पूछताछ करना कहां तक उचित है. इस केस के गवाह को अनावश्यक रूप से सीआईडी परेशान कर रही है. घटना के 10 माह बीतने के बाद भी इस केस के एक भी आरोपी की गिरफ्तार नहीं हुई है.

इस केस में कई पुलिसकर्मी भी नामजद अभियुक्त बनाए गए हैं. ऐसे में सीआईडी के कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है. इस संबंध में मृतक अनुराग पोद्दार के पिता अमरनाथ पोद्दार ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अनुराग हत्या प्रकरण से जुड़े दो मामलों की जांच सीआईडी टीम कर रही है. एक मामले में सूचक मैं खुद हूं जिसका कोतवाली कांड संख्या 311/20 है.

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दूसरे मामले में कोतवाली कांड संख्या 298 /20 के सूचक तत्कालीन मुफस्सिल थाना अध्यक्ष बृजेश सिंह है, जो अन्य मामलों में नामजद अभियुक्त भी हैं. दुर्गा प्रतिमा विसर्जन गोलीकांड मामले और श्रद्धालु अनुराग हत्या प्रकरण में घटना के चश्मदीद गवाह संगठन कुमार उर्फ राजू से सीआईडी पुलिस कई बार बयान लेने के बाद भी उसे गवाही देने के लिए पटना बुला लिया गया.

जहां पर सीआईडी टीम 7 घंटे तक पूछताछ की. अनुराग के दोस्तों को भी कई बार पूछताछ के लिए पटना बुला चुकी है. इससे गवाह मानसिक दबाव में आ गए हैं. अनुराग के पिता ने बताया की सीआईडी की जांच टीम पर विश्वास नहीं है . हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी कांड प्राथमिक अभियुक्त तत्कालीन बासुदेवपुर ओपी प्रभारी सुशील कुमार को सीआईडी टीम गिरफ्तार नहीं कर सकी है.

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जिस कारण सीआईडी की जांच पर सवाल उठ रहे हैं. मृतक के पिता ने कहा कि जिस टीम में दागी भी हाई प्रोफाइल अधिकारी हो तो जांच प्रभावित होगी ही. हम लोगों को हाईकोर्ट पर भरोसा है कि अनुराग को न्याय अवश्य मिलेगा. जो इसमें शामिल हो उसे कड़ी सजा दी जाए. हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा है.

बता दें कि मामला 26 अक्टूबर 2020 का है. मुंगेर में दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान घटना हुई थी. जुलूस के दौरान कानून व्यवस्था बिगड़ी और गैर कानूनी गतिविधियां जैसे पुलिस पर पत्थरबाजी और गोलियां चलाई गई. गोलीकांड के बाद एसपी के नेतृत्व वाली मुंगेर पुलिस ने घटना के समय कोई प्रक्रिया को फॉलो नहीं किया और भक्तों पर बर्बर तरीके से फायरिंग की.

मामले में हुई जांच में भी पाया गया कि दुर्गा पूजा में हुई फायरिंग के दौरान 18 वर्षीय अनुराग बिल्कुल निहत्था था और उस पर किसी प्रकार की कोई गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप नहीं थे. इसलिए कोर्ट ने बिहार सरकार को मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था.

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