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महिला दिवस स्पेशल: कमरे में मशरूम उगाने से लेकर 'नारी शक्ति सम्मान' तक का सफर, पढ़िए 'बिहार की मशरूम लेडी' की कहानी

राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित भारत की मशरूम लेडी बीना देवी अब हाथों में फावड़ा लेकर खेतों में खुद कुदाल चलाकर जैविक खेती कर रही हैं. आज बीना देवी कई महिलाओं के लिए प्रेरणा (Bina Devi inspiration for women) हैं. बीना देवी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Womens Day 2022) के मौके पर सभी महिलाओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ''महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं, इसलिए महिलाएं घर से बाहर निकले और काम करें. घर में काम करने वाले लोगों की अगर संख्या बढ़ेगी तो घर की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी.''

Mushroom Lady of India
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Published : Mar 7, 2022, 8:03 AM IST

मुंगेर: मशरूम लेडी ऑफ इंडिया (Mushroom Lady of India) के नाम से प्रसिद्ध बिहार के मुंगेर की रहने वाली बीना देवी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है. 2013 में आर्थिक तंगी से उबरने के लिए 1 किलो बीज लेकर पलंग के नीचे मशरूम उगाने वाली बीना देवी अपने मेहनत के बल से मशरूम की खेती में आर्थिक रूप से सुदृढ़ हुई हैं. इनसे प्रभावित होकर आसपास के लगभग 3000 से अधिक परिवार भी मशरूम की खेती कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (Womens Day 2022 With ETV Bharat) के मौके पर मशरूम लेडी (Mushroom Lady Bina Devi) ने आधी आबादी को आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया है.

ये भी पढ़ें- महिला दिवस स्पेशल : पगडंडियों पर चलकर 'पद्मश्री' सम्मान तक पहुंची किसान चाची, हजारों महिलाओं की बदल रहीं तकदीर

मशरूम लेडी ऑफ इंडिया: बीना देवी मशरूम उत्पादन में इतनी चर्चित हुई कि इनकी पहचान थोड़े ही दिनों में पूरे राज्य में होने लगी. तभी तो कभी स्कॉर्पियो पर चढ़ने को सपना मानने वाली बीना देवी मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो स्कॉर्पियो पर चढ़कर गई. बीना देवी के कार्य को देखने कई विश्वविद्यालय की टीम इनके घर पहुंचकर शोध कर चुकी हैं. 2020 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बीना देवी को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन्हें सम्मानित करते हुए अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर 1 दिन का समय इसे दिया था. साथ ही उन्होंने बीना देवी को 'मशरूम लेडी ऑफ इंडिया' कहकर पुकारा था, तभी से बीना देवी को पूरे देश में मशरूम लेडी ऑफ इंडिया के नाम से जाना जा रहा है.

मशरूम के बाद अब जैविक खेती: बीना देवी मुंगेर जिले के नक्सल प्रभावित प्रखंड टेटिया बंबर गांव के तीलकारी गांव से आती हैं. गांव में परंपरागत तरीके से खेती होती चली आ रही है. बीना देवी अब मशरूम उत्पादन के साथ-साथ महिला होते हुए खेती किसानी के लिए आगे आई हैं. वह जैविक विधि से खेती करने लगी हैं. इस संबंध में बीना देवी ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सूबे के मुखिया नीतीश कुमार हमेशा जैविक विधि से खेती करने पर जोर देते हैं, इसलिए मैंने जैविक खेती शुरू की. महिला होने के बावजूद हाथों में फावड़ा लेकर खेतों में कुदाल चलाई. घर की दहलीज से बाहर निकलकर खेतों में पसीना बहाया. उन्होंने कहा कि खेती करने के लिए महिलाओं को हमारे गांव में इजाजत नहीं थी. हमने इस परंपरा को भी तोड़ने के लिए खुद खेत में उतरी.

''जैविक विधि से खेती करने के कारण मुझे कम लागत में अधिक मुनाफा होने लगा. मेरी आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ हो गई. मैं मशरूम की खेती और जैविक खेती कर नोएडा में बड़े बेटे को इंजीनियरिंग की पढ़ाई और पटना में छोटे बेटे की पढ़ाई करवा रही हूं. यह सब मशरूम और खेत में जैविक विधि से खेती के कारण संभव हुआ है. बीना देवी को देख गांव की महिलाएं भी घर की दहलीज पार कर खेतों में पसीना बहा रही हैं.''- बीना देवी, मशरूम लेडी ऑफ इंडिया


महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं बीना देवी: महिला होकर भी बीना देवी खेती कर रही हैं. जैविक विधि से खेती करने पर उनके घर की स्थिति सुधरी है. बीना देवी की बेहतर स्थिति को देखकर पड़ोस की अन्य महिलाएं भी घर की दहलीज से निकलकर खेतों में कदम रख रही हैं. अब इलाके की सैकड़ों महिलाएं भी सुबह खेतों में कुदाल चलाते दिख जाएंगी. खेतों में अनाज काटते नजर आएंगी, जो मंडी में भी अनाज को ले जाकर बेचने का काम कर रही हैं.

''पहले मेरे पति ही अकेले काम करते थे, जिससे घर की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी. बच्चे अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ पा रहे थे. जब मैंने बीना दीदी को खेतों में काम करते देखा, कंधे पर कुदाल लेकर खेतों में फावड़ा चलाना शुरू किया. अब मैं भी जैविक विधि से खेती करती हूं, अब घर की आमदनी बढ़ गई है. अभी मेरे बच्चे अच्छे विद्यालय में पढ़ाई करने जाते है, घर की स्थिति भी सुधरी है.''- बचिया देवी, स्थानीय महिला

जैविक खेती से पैदावार हुई दोगुनी: इस संबंध में बीना देवी ने कहा कि परंपरागत खेती से अगर प्रति कट्ठा एक मन अनाज की उपज होती है तो जैविक विधि से खेती करने से प्रति कट्ठा दो मन यानी दोगुना अनाज की पैदावार होगी. जैविक विधि से उगाई गई सब्जी और अनाज को ग्राहक हाथों-हाथ लेते हैं, क्योंकि इनके सेवन से सेहत पर किसी तरह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है. बीना देवी ने कहा कि हमारे जैविक विधि द्वारा खेती के उत्पाद से लोग काफी प्रभावित हैं. हमारे यहां सब्जियों में भिंडी, परवल, करेला, परवल आदि जैविक विधि से उगाते हैं. मंडी में जैसे ही हमारी सब्जियां पहुंचती है, हाथों हाथ बिक जाती है.

''पुरुषों की अपनी पहचान होती है, लेकिन मेरी पत्नी ने यह साबित कर दिया कि महिलाओं से भी पुरुषों की पहचान हो सकती है. मैं जब भी कहीं जाता हूं तो लोग मुझे कहते हैं यह देखो बीना देवी के पति आए हैं. महिला पुरुष से भी कहीं अधिक कार्य कर सकती हैं. उसमें सहनशक्ति अधिक होती है. वह विपरीत परिस्थितियों में बेहतर कर सकती हैं. मुझे नाज है कि मैं बीना देवी के पति के नाम से जाना जा रहा हूं.''- कृष्ण कांत सिंह, बीना देवी के पति

मशरूम लेडी ऑफ इंडिया बीना देवी ने कहा कि 8 मार्च को महिलाओं के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इस दिवस में महिलाओं को यह संकल्प लेना चाहिए कि वे पुरुषों के बराबर कदम ताल मिलाकर चल सकती हैं. महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं, इसलिए महिलाएं घर से बाहर निकले और काम करें. घर में काम करने वाले लोगों की अगर संख्या बढ़ेगी तो घर की आर्थिक स्थिति सुधरेगी.

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मुंगेर: मशरूम लेडी ऑफ इंडिया (Mushroom Lady of India) के नाम से प्रसिद्ध बिहार के मुंगेर की रहने वाली बीना देवी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है. 2013 में आर्थिक तंगी से उबरने के लिए 1 किलो बीज लेकर पलंग के नीचे मशरूम उगाने वाली बीना देवी अपने मेहनत के बल से मशरूम की खेती में आर्थिक रूप से सुदृढ़ हुई हैं. इनसे प्रभावित होकर आसपास के लगभग 3000 से अधिक परिवार भी मशरूम की खेती कर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (Womens Day 2022 With ETV Bharat) के मौके पर मशरूम लेडी (Mushroom Lady Bina Devi) ने आधी आबादी को आत्मनिर्भर बनने का संदेश दिया है.

ये भी पढ़ें- महिला दिवस स्पेशल : पगडंडियों पर चलकर 'पद्मश्री' सम्मान तक पहुंची किसान चाची, हजारों महिलाओं की बदल रहीं तकदीर

मशरूम लेडी ऑफ इंडिया: बीना देवी मशरूम उत्पादन में इतनी चर्चित हुई कि इनकी पहचान थोड़े ही दिनों में पूरे राज्य में होने लगी. तभी तो कभी स्कॉर्पियो पर चढ़ने को सपना मानने वाली बीना देवी मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची तो स्कॉर्पियो पर चढ़कर गई. बीना देवी के कार्य को देखने कई विश्वविद्यालय की टीम इनके घर पहुंचकर शोध कर चुकी हैं. 2020 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बीना देवी को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन्हें सम्मानित करते हुए अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर 1 दिन का समय इसे दिया था. साथ ही उन्होंने बीना देवी को 'मशरूम लेडी ऑफ इंडिया' कहकर पुकारा था, तभी से बीना देवी को पूरे देश में मशरूम लेडी ऑफ इंडिया के नाम से जाना जा रहा है.

मशरूम के बाद अब जैविक खेती: बीना देवी मुंगेर जिले के नक्सल प्रभावित प्रखंड टेटिया बंबर गांव के तीलकारी गांव से आती हैं. गांव में परंपरागत तरीके से खेती होती चली आ रही है. बीना देवी अब मशरूम उत्पादन के साथ-साथ महिला होते हुए खेती किसानी के लिए आगे आई हैं. वह जैविक विधि से खेती करने लगी हैं. इस संबंध में बीना देवी ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सूबे के मुखिया नीतीश कुमार हमेशा जैविक विधि से खेती करने पर जोर देते हैं, इसलिए मैंने जैविक खेती शुरू की. महिला होने के बावजूद हाथों में फावड़ा लेकर खेतों में कुदाल चलाई. घर की दहलीज से बाहर निकलकर खेतों में पसीना बहाया. उन्होंने कहा कि खेती करने के लिए महिलाओं को हमारे गांव में इजाजत नहीं थी. हमने इस परंपरा को भी तोड़ने के लिए खुद खेत में उतरी.

''जैविक विधि से खेती करने के कारण मुझे कम लागत में अधिक मुनाफा होने लगा. मेरी आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ हो गई. मैं मशरूम की खेती और जैविक खेती कर नोएडा में बड़े बेटे को इंजीनियरिंग की पढ़ाई और पटना में छोटे बेटे की पढ़ाई करवा रही हूं. यह सब मशरूम और खेत में जैविक विधि से खेती के कारण संभव हुआ है. बीना देवी को देख गांव की महिलाएं भी घर की दहलीज पार कर खेतों में पसीना बहा रही हैं.''- बीना देवी, मशरूम लेडी ऑफ इंडिया


महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं बीना देवी: महिला होकर भी बीना देवी खेती कर रही हैं. जैविक विधि से खेती करने पर उनके घर की स्थिति सुधरी है. बीना देवी की बेहतर स्थिति को देखकर पड़ोस की अन्य महिलाएं भी घर की दहलीज से निकलकर खेतों में कदम रख रही हैं. अब इलाके की सैकड़ों महिलाएं भी सुबह खेतों में कुदाल चलाते दिख जाएंगी. खेतों में अनाज काटते नजर आएंगी, जो मंडी में भी अनाज को ले जाकर बेचने का काम कर रही हैं.

''पहले मेरे पति ही अकेले काम करते थे, जिससे घर की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी. बच्चे अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ पा रहे थे. जब मैंने बीना दीदी को खेतों में काम करते देखा, कंधे पर कुदाल लेकर खेतों में फावड़ा चलाना शुरू किया. अब मैं भी जैविक विधि से खेती करती हूं, अब घर की आमदनी बढ़ गई है. अभी मेरे बच्चे अच्छे विद्यालय में पढ़ाई करने जाते है, घर की स्थिति भी सुधरी है.''- बचिया देवी, स्थानीय महिला

जैविक खेती से पैदावार हुई दोगुनी: इस संबंध में बीना देवी ने कहा कि परंपरागत खेती से अगर प्रति कट्ठा एक मन अनाज की उपज होती है तो जैविक विधि से खेती करने से प्रति कट्ठा दो मन यानी दोगुना अनाज की पैदावार होगी. जैविक विधि से उगाई गई सब्जी और अनाज को ग्राहक हाथों-हाथ लेते हैं, क्योंकि इनके सेवन से सेहत पर किसी तरह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है. बीना देवी ने कहा कि हमारे जैविक विधि द्वारा खेती के उत्पाद से लोग काफी प्रभावित हैं. हमारे यहां सब्जियों में भिंडी, परवल, करेला, परवल आदि जैविक विधि से उगाते हैं. मंडी में जैसे ही हमारी सब्जियां पहुंचती है, हाथों हाथ बिक जाती है.

''पुरुषों की अपनी पहचान होती है, लेकिन मेरी पत्नी ने यह साबित कर दिया कि महिलाओं से भी पुरुषों की पहचान हो सकती है. मैं जब भी कहीं जाता हूं तो लोग मुझे कहते हैं यह देखो बीना देवी के पति आए हैं. महिला पुरुष से भी कहीं अधिक कार्य कर सकती हैं. उसमें सहनशक्ति अधिक होती है. वह विपरीत परिस्थितियों में बेहतर कर सकती हैं. मुझे नाज है कि मैं बीना देवी के पति के नाम से जाना जा रहा हूं.''- कृष्ण कांत सिंह, बीना देवी के पति

मशरूम लेडी ऑफ इंडिया बीना देवी ने कहा कि 8 मार्च को महिलाओं के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इस दिवस में महिलाओं को यह संकल्प लेना चाहिए कि वे पुरुषों के बराबर कदम ताल मिलाकर चल सकती हैं. महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं, इसलिए महिलाएं घर से बाहर निकले और काम करें. घर में काम करने वाले लोगों की अगर संख्या बढ़ेगी तो घर की आर्थिक स्थिति सुधरेगी.

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