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प्रवासी मजदूरों ने मुंगेर पहुंचते ही मातृभूमि को किया प्रणाम, कहा- अब नहीं जाएंगे परदेस

प्रवासी मजदूर दूसरे प्रदेश में काफी कठिनाईयों का सामना करते हुए लॉकडाउन के दौरान रह रहे थे. जब यह मजदूर मुंगेर की धरती पर अपने कदम रखें, तो सहसा ही ये लोग झुककर धरती माता को प्रणाम करना नहीं भूले. मुंगेर जिले के राजेश कुमार जमालपुर जंक्शन से जैसे ही बाहर निकले अपना बैग सड़क पर रखकर झुककर धरती माता को दोनों हाथों से प्रणाम किया.

मुंगेर
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Published : May 26, 2020, 9:09 PM IST

मुंगेर: 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी' अर्थात जन्मभूमि जन्म देने वाली मां से भी श्रेष्ठ होती है. इसी को चरितार्थ करते हुए लॉकडाउन में लंबे समय से फंसे हुए प्रवासी जैसे ही अपने जन्मभूमि पहुंचे तब धरती माता को चूमकर प्रणाम किया. हम बात कर रहे हैं मंगलवार को दिल्ली से मुंगेर जिले के जमालपुर जंक्शन पहुंचे प्रवासियों की. जैसे ही प्रवासी मजदूर जंक्शन से बाहर निकले धरती को झुककर प्रणाम किया.

दिल्ली से मुंगेर पहुंचे प्रवासी मजदूरों ने कहा कि हम अपनी जन्मभूमि पर अंतत: लौट आए हैं. दिल्ली से आए लोगों ने बताया कि बहुत कठिनाईयों के साथ हम दूसरे प्रदेश में रह रहे थे. अब वापस आ गए हैं, तो दोबारा नहीं जाएंगे. भले ही नमक रोटी खाना पड़े, लेकिन अपने प्रदेश और अपने गांव में ही रहेंगे. बता दें कि अब तक मुंगेर जिले में 10 हजार से ज्यादा प्रवासी मजदूर विभिन्न ट्रेन और बसों से आ चुके हैं.

मुंगेर
मातृभूमि को धन्यवाद देता प्रवासी

'मातृभूमि पर लौट कर मैं बहुत खुश हूं'
प्रवासी मजदूर दूसरे प्रदेश में काफी कठिनाइयों का सामना करते हुए लॉकडाउन के दौरान रह रहे थे. जब यह मजदूर मुंगेर की धरती पर अपने कदम रखें, तो सहसा ही ये लोग झुककर धरती माता को प्रणाम करना नहीं भूले. मुंगेर जिले के राजेश कुमार जमालपुर जंक्शन से जैसे ही बाहर निकले अपना बैग सड़क पर रखकर झुककर धरती माता को दोनों हाथों से प्रणाम किया. उन्होंने कहा कि यह हमारी धरती मां है. मैंने यहां जन्म लिया है. अपनी मातृभूमि पर लौट कर मैं बहुत खुश हूं.

मुंगेर
मुंगेर पहुंचते ही मातृभूमि को नमन करता प्रवासी

'नमक रोटी खा लेंगे लेकिन नहीं जाएंगे दूसरे प्रदेश'
हवेली खड़गपुर के रहने वाले आशीष कुमार पिछले 5 सालों से दिल्ली में रह रहे थे. वो बताते हैं कि लॉकडाउन ने सिखा दिया कि परदेस क्या होता है और अपना देश क्या होता है. पिछले तीन महीनों काम-धंधे बंद हो गए. खाने के लाले पड़ गए किसी ने मदद नहीं की. बड़ी मुश्किल से ट्रेन से मैं जमालपुर लौटा. बता दें कि जमालपुर स्टेशन से बाहर निकलते ही आशीष घुटने टेककर धरती माता को प्रणाम कर आशीर्वाद लिया. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार हम लोगों के लिए यहीं रोजगार उपलब्ध करा दें. नमक रोटी खा लेंगे लेकिन बाहर कमाने नहीं जाएंगे.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'दूसरे प्रदेश में होती है परेशानी
आशीष ने बताया कि बिहार को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए. हम 40 लाख बिहारी बाहर जाकर काम करते हैं. सरकार यहां उद्योग-धंधा स्थापित कर दें. जिससे हमलोग क्या दूसरे प्रदेश के लोग भी यहां काम-धंधे के लिए आएंगे. बिहार को आत्मनिर्भर बनाना होगा. मजदूरों को दूसरे प्रदेश में बहुत परेशानी होती है. गौरतलब है कि बिहार सरकार भी कह रही है कि अब मजदूरों को बाहर नहीं जाना होगा. हम रोजगार के अवसर यहीं उपलब्ध करा रहे हैं.

मुंगेर: 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी' अर्थात जन्मभूमि जन्म देने वाली मां से भी श्रेष्ठ होती है. इसी को चरितार्थ करते हुए लॉकडाउन में लंबे समय से फंसे हुए प्रवासी जैसे ही अपने जन्मभूमि पहुंचे तब धरती माता को चूमकर प्रणाम किया. हम बात कर रहे हैं मंगलवार को दिल्ली से मुंगेर जिले के जमालपुर जंक्शन पहुंचे प्रवासियों की. जैसे ही प्रवासी मजदूर जंक्शन से बाहर निकले धरती को झुककर प्रणाम किया.

दिल्ली से मुंगेर पहुंचे प्रवासी मजदूरों ने कहा कि हम अपनी जन्मभूमि पर अंतत: लौट आए हैं. दिल्ली से आए लोगों ने बताया कि बहुत कठिनाईयों के साथ हम दूसरे प्रदेश में रह रहे थे. अब वापस आ गए हैं, तो दोबारा नहीं जाएंगे. भले ही नमक रोटी खाना पड़े, लेकिन अपने प्रदेश और अपने गांव में ही रहेंगे. बता दें कि अब तक मुंगेर जिले में 10 हजार से ज्यादा प्रवासी मजदूर विभिन्न ट्रेन और बसों से आ चुके हैं.

मुंगेर
मातृभूमि को धन्यवाद देता प्रवासी

'मातृभूमि पर लौट कर मैं बहुत खुश हूं'
प्रवासी मजदूर दूसरे प्रदेश में काफी कठिनाइयों का सामना करते हुए लॉकडाउन के दौरान रह रहे थे. जब यह मजदूर मुंगेर की धरती पर अपने कदम रखें, तो सहसा ही ये लोग झुककर धरती माता को प्रणाम करना नहीं भूले. मुंगेर जिले के राजेश कुमार जमालपुर जंक्शन से जैसे ही बाहर निकले अपना बैग सड़क पर रखकर झुककर धरती माता को दोनों हाथों से प्रणाम किया. उन्होंने कहा कि यह हमारी धरती मां है. मैंने यहां जन्म लिया है. अपनी मातृभूमि पर लौट कर मैं बहुत खुश हूं.

मुंगेर
मुंगेर पहुंचते ही मातृभूमि को नमन करता प्रवासी

'नमक रोटी खा लेंगे लेकिन नहीं जाएंगे दूसरे प्रदेश'
हवेली खड़गपुर के रहने वाले आशीष कुमार पिछले 5 सालों से दिल्ली में रह रहे थे. वो बताते हैं कि लॉकडाउन ने सिखा दिया कि परदेस क्या होता है और अपना देश क्या होता है. पिछले तीन महीनों काम-धंधे बंद हो गए. खाने के लाले पड़ गए किसी ने मदद नहीं की. बड़ी मुश्किल से ट्रेन से मैं जमालपुर लौटा. बता दें कि जमालपुर स्टेशन से बाहर निकलते ही आशीष घुटने टेककर धरती माता को प्रणाम कर आशीर्वाद लिया. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार हम लोगों के लिए यहीं रोजगार उपलब्ध करा दें. नमक रोटी खा लेंगे लेकिन बाहर कमाने नहीं जाएंगे.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'दूसरे प्रदेश में होती है परेशानी
आशीष ने बताया कि बिहार को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए. हम 40 लाख बिहारी बाहर जाकर काम करते हैं. सरकार यहां उद्योग-धंधा स्थापित कर दें. जिससे हमलोग क्या दूसरे प्रदेश के लोग भी यहां काम-धंधे के लिए आएंगे. बिहार को आत्मनिर्भर बनाना होगा. मजदूरों को दूसरे प्रदेश में बहुत परेशानी होती है. गौरतलब है कि बिहार सरकार भी कह रही है कि अब मजदूरों को बाहर नहीं जाना होगा. हम रोजगार के अवसर यहीं उपलब्ध करा रहे हैं.

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