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आदिवासी इलाके में विकास की नई ज्योति जला रही है ग्रीन लेडी, जीत चुकी है कई पुरस्कार - Agriculture

ग्रीन लेडी के नाम से मशहूर जया देवी आज महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं. जया देवी ने जल संचयन योजना के साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं को कृषि और अन्य कार्यो में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता है.

जया देवी उर्फ ग्रीन लेडी
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Published : Feb 24, 2019, 6:14 PM IST

मुंगेर: जिले के नक्सल प्रभावित इलाके के धरहरा प्रखंड में ग्रीन लेडी की अगुवाई में वाटर शेड बनाए जा रहे हैं. ऐसे में अब इस इलाके की महिलाएं खेती करके तरक्की में चार चांद लगा रही हैं. क्रैडल संस्था की ओर से यह पहल की गई.

मुंगेर का धरहरा इलाका

जीते कई पुरस्कार
ग्रीन लेडी के नाम से मशहूर जया देवी आज महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं. जया देवी ने जल संचयन योजना के साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं को कृषि और अन्य कार्यो में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता है. ग्रीन लेडी जया की इस मुहिम में हजारों महिलायें जुड़कर स्वाबलंबी बन रही हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रही हैं.

कोल क्षेत्र में वाटर शेड की पहल
ग्रीन लेडी ने इलाके में पानी संकट से जूझ रहे लालगढ़ के नाम से कोल क्षेत्र में वाटर शेड बनाने की पहल शुरू की. धरहरा में जल विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए नाबार्ड और क्रैडल संस्था ने अपने हाथ आगे बढ़ाये. जिसकी मदद से नक्सल प्रभावित गांव में जल संचयन योजना की शुरुआत की गई.

आदिवासी क्षेत्र में विकास की नई किरण
संस्था की ओर से अब तक दस वाटर शेड का निर्माण आसपास के गांव में किया जा चुका है. पानी को सुरक्षित कर खेती करने की योजना ने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में विकास की एक नई किरण जगाई है. साथ ही जल संरक्षण के बाद क्षेत्र में ग्राउंड वॉटर लेबल भी तेजी से ऊपर आया. जो भूमि को कृषि योग्य बनाने में वरदान साबित हुआ.

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हजारों पौधों से हरियाली
वाटर शेड का निर्माण होने से अब बरसात के दिनों में भी कुआं नहीं सूखता. इसी से उत्साहित होकर ग्रामीणों ने कोल क्षेत्र में हजारों की संख्या में पौधे भी लगाए. जो आज हरियाली से लहलहा रहे हैं. वहीं विकसित कृषि प्रणाली के तहत किसानों को आधुनिक खेती की जानकारी भी दी जा रही है.

क्या बोली ग्रीन लेडी
ग्रीन लेडी ने बताया कि क्षेत्र की 40% भूमि संचित की जा रही है. जो समाज की मुख्य धारा से भटके लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है. गांव में ज्यादातर महिलाएं खेती की ओर आकर्षित हैं.

ग्रीन लेडी को मिले यह पुरस्कार

  • 2016-17 का नेशनल लीडरशिप पुरस्कार.
  • 2010 में पर्यावरण संरक्षण एवं वर्षा जल संरक्षण के लिए भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय युवा पुरस्कार.
  • 2009 में टाटा नेशनल वर्चुअल एकेडमी की ओर से उत्कृष्ट कार्य के लिए चेन्नई में पुरस्कृत किया गया.
  • 2012 में रिलायंस फाउंडेशन की ओर से रियल हीरो पुरस्कार से नवाजा गया.
  • 25 अक्टूबर 2010 को भारत सरकार की ओर से जया देवी को 25 दिवसीय एशियन भूत वर्क्स ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए दक्षिण कोरिया भेजा गया.
  • वापस लौटने के बाद वह मीडिया में वह ग्रीन लेडी के नाम से मशहूर हो गई.
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मुंगेर: जिले के नक्सल प्रभावित इलाके के धरहरा प्रखंड में ग्रीन लेडी की अगुवाई में वाटर शेड बनाए जा रहे हैं. ऐसे में अब इस इलाके की महिलाएं खेती करके तरक्की में चार चांद लगा रही हैं. क्रैडल संस्था की ओर से यह पहल की गई.

मुंगेर का धरहरा इलाका

जीते कई पुरस्कार
ग्रीन लेडी के नाम से मशहूर जया देवी आज महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं. जया देवी ने जल संचयन योजना के साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं को कृषि और अन्य कार्यो में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य कर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता है. ग्रीन लेडी जया की इस मुहिम में हजारों महिलायें जुड़कर स्वाबलंबी बन रही हैं और अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रही हैं.

कोल क्षेत्र में वाटर शेड की पहल
ग्रीन लेडी ने इलाके में पानी संकट से जूझ रहे लालगढ़ के नाम से कोल क्षेत्र में वाटर शेड बनाने की पहल शुरू की. धरहरा में जल विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए नाबार्ड और क्रैडल संस्था ने अपने हाथ आगे बढ़ाये. जिसकी मदद से नक्सल प्रभावित गांव में जल संचयन योजना की शुरुआत की गई.

आदिवासी क्षेत्र में विकास की नई किरण
संस्था की ओर से अब तक दस वाटर शेड का निर्माण आसपास के गांव में किया जा चुका है. पानी को सुरक्षित कर खेती करने की योजना ने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में विकास की एक नई किरण जगाई है. साथ ही जल संरक्षण के बाद क्षेत्र में ग्राउंड वॉटर लेबल भी तेजी से ऊपर आया. जो भूमि को कृषि योग्य बनाने में वरदान साबित हुआ.

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हजारों पौधों से हरियाली
वाटर शेड का निर्माण होने से अब बरसात के दिनों में भी कुआं नहीं सूखता. इसी से उत्साहित होकर ग्रामीणों ने कोल क्षेत्र में हजारों की संख्या में पौधे भी लगाए. जो आज हरियाली से लहलहा रहे हैं. वहीं विकसित कृषि प्रणाली के तहत किसानों को आधुनिक खेती की जानकारी भी दी जा रही है.

क्या बोली ग्रीन लेडी
ग्रीन लेडी ने बताया कि क्षेत्र की 40% भूमि संचित की जा रही है. जो समाज की मुख्य धारा से भटके लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है. गांव में ज्यादातर महिलाएं खेती की ओर आकर्षित हैं.

ग्रीन लेडी को मिले यह पुरस्कार

  • 2016-17 का नेशनल लीडरशिप पुरस्कार.
  • 2010 में पर्यावरण संरक्षण एवं वर्षा जल संरक्षण के लिए भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय युवा पुरस्कार.
  • 2009 में टाटा नेशनल वर्चुअल एकेडमी की ओर से उत्कृष्ट कार्य के लिए चेन्नई में पुरस्कृत किया गया.
  • 2012 में रिलायंस फाउंडेशन की ओर से रियल हीरो पुरस्कार से नवाजा गया.
  • 25 अक्टूबर 2010 को भारत सरकार की ओर से जया देवी को 25 दिवसीय एशियन भूत वर्क्स ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए दक्षिण कोरिया भेजा गया.
  • वापस लौटने के बाद वह मीडिया में वह ग्रीन लेडी के नाम से मशहूर हो गई.
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Intro:मुंगेर-- जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र धहरारा प्रखंड में नाबार्ड के सहभागी प्रबंधन से बनने वाले वाटर शेड ने जल संरक्षण की ऐसी मिसाल पेश की वह देश दुनिया के लिए अनुकरणीय बन गई। क्रैडल संस्था की ओर से यह पहल की गई और उससे जुड़ी ग्रीन लेडी के नाम से मशहूर जया देवी आज महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है। जया देवी जल संचयन योजना के साथ साथ ग्रामीण महिलाओं को कृषि एवं अन्य कार्यो में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उलेखनीय कार्य कर रही है। जया देवी ने अपने संघर्ष के बलबूते पर ही दर्जनों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी अर्जित किया है। ग्रीन लेडी जया की इस मुहिम में हज़ारों महिलायें जुड़ स्वाबलंबी बन रही है और अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर रही है।


Body:ग्रीन लेडी के नाम से मशहूर जया देवी ने क्षेत्र में पानी संकट से जूझ रहे लालगढ़ के नाम से मशहूर नक्सल प्रभावित क्षेत्र धरहरा के कोल क्षेत्र में वाटर शेड बनाने की पहल शुरू की।
धरहरा में जल विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए नाबार्ड और क्रैडल संस्था ने अपना हाथ आगे बढ़ाया। जिसकी मदद से नक्सल प्रभावित गांव में जल संचयन योजना की शुरुवात की गई। संस्था की ओर से अब तक दस वाटर शेड का निर्माण आसपास के गांव में किया गया। पानी को सुरक्षित कर खेती करने की योजना ने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में विकास की एक नई किरण जगाई। साथ ही जल संरक्षण के बाद क्षेत्र में ग्राउंड वाटर लेबल भी तेज़ी से ऊपर आया। जो भूमि को कृषि योग्य बनाने में वरदान साबित हुआ।
वाटर शेड का निर्माण होने से अब बरसात के दिनों में भी कुआं नहीं सूखते हैं। इसी से उत्साहित होकर ग्रामीणों ने कोल क्षेत्र में हजारों की संख्या में पौधे भी लगाए। जो आज हरियाली से लहलहा रहे हैं। वहीं विकसित कृषि प्रणाली के तहत किसानों को आधुनिक खेती की जानकारी भी दी जा रही है। ग्रीन लेडी ने बताया कि आज कुल क्षेत्र की 40% भूमि संचित की जा रही है। जो समाज की मुख्य धारा से भटके लोगो के लिए वरदान साबित हो रही है। गांव में ज्यादातर महिलाएं खेती की ओर आकर्षित है।


Conclusion:कई पुरस्कारों से सम्मानित होने के बाद जया देवी बिहार की ग्रीन लेडी बन गयी। सर्वश्रेष्ठ खेती करने को लेकर जया देवी को राष्ट्रपति सहित कई जानी-मानी हस्तियों ने अवार्ड से सम्मानित किया है। जिसमें कई फिल्म स्टार और जमशेदजी टाटा जैसे लोग भी शामिल हैं।
2016-17 का नेशनल लीडरशिप पुरस्कार।
2010 में पर्यावरण संरक्षण एवं वर्षा जल संरक्षण के लिए भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय युवा पुरस्कार।
2009 में टाटा नेशनल वर्चुअल एकेडमी की ओर से उत्कृष्ट कार्य के लिए चेन्नई में पुरस्कृत किया गया।
2012 में रिलायंस फाउंडेशन की ओर से रियल हीरो पुरस्कार से नवाजा गया।
25 अक्टूबर 2010 को भारत सरकार की ओर से जया देवी को 25 दिवसीय एशियन भूत वर्क्स ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए दक्षिण कोरिया भेजा गया। जहां से लौटने के बाद वह मीडिया में वह ग्रीन लेडी के नाम से मशहूर हो गई।
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