मुंगेर: क्वारंटाइन सेंटर में समय अवधि पूरी होने के बाद लोग अपने घर तो जा रहे हैं लेकिन उन्हें खास हिदायत पर शर्त और नियमों के साथ छोड़ा जा रहा है. ऐसे ही सोमवार को जिले के एक दिव्यांग को क्वारंटाइन सेंटर से मुक्त किया गया. तारापुर स्थित आदर्श उच्च विद्यालय में रह रहे 40 प्रवासियों में से एक लौना गांव निवासी दिव्यांग गुरुदेव साह भी 14 दिनों तक क्वारंटाइन में रहे. क्वारंटाइन सेंटर से निकलने के बाद उन्हें सात दिनों तक और होम क्वारंटाइन में रहना है.
दिव्यांग को ट्राई साइकिल प्रदान कर किया सम्मानित
क्वारंटाइन की अवधि के दौरान ही दिव्यांग गुरुदेव साह की बैसाखी टूट गई थी, जिसके कारण वो असहाय हो गए थे. ऐसे में जिला पार्षद मंटू यादव ने दिव्यांग को बैसाखी उपलब्ध कराया. क्वारंटाइन सेंटर से मुक्त होने के बाद तारापुर के अनुमंडल पदाधिकारी उपेन्द्र सिंह, वरीय अनुमंडल पदाधिकारी मो. वसीम अकरम, डीसीएलआर मो. इस्तेयाक अली अंसारी, अंचलाधिकारी अजय कुमार सरकार, प्रखंड विकास पदाधिकारी श्याम कुमार, प्रभारी उपाधीक्षक अनुमंडल अस्पताल तारापुर डॉ बी एन सिंह के द्वारा संयुक्त रुप से दिव्यांग को ट्राई साइकिल प्रदान किया गया. दिव्यांग गुरुदेव साह को क्वारंटाइन सेंटर से विदाई के वक्त वहां मौजूद जिला प्रशासन की टीम ने माला पहनाने के साथ हाथ में मिठाई देते हुए ताली बजाकर हौसला अफजाई की.
'दिव्यांग लोगों को भी मनरेगा में जॉब कार्ड बनाकर दिया जाएगा कार्य'
इस मौके पर एसडीओ ने बताया कि दिव्यांग लोगों को भी मनरेगा में जॉब कार्ड बनाकर कार्य दिया जाएगा, ताकि उन्हें प्रदेश से बाहर जाने की जरुरत न पड़े. प्रशासनिक महकमे के अधिकारियों द्वारा दिये गये इस सम्मान से गुरुदेव साह की आंखे छलक आई. उन्होंने बताया कि इस प्रकार से अनुमंडल पदाधिकारी और अन्य पदाधिकारीयों का प्यार पाकर गदगद हो गया हूं. अब मैं दिल्ली नहीं जाकर अपने प्रदेश में ही रहकर अपनी जीविका चलाऊंगा. साथ ही उन्होंने रेड जोन और बाहर से आने वाले लोगों के लिए अपने संदेश में कहा कि क्वारंटाइन सेंटर में चिकित्सक की सलाह को मानें और सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए खुद को और अपने परिवार को भी सुरक्षित रखें. जिससे देश में कोरोना जैसी महामारी से निजात पाया जा सके.
वहीं, गुरुदेव साह ने अपने क्वारंटाइन सेंटर में रह रहे साथियों से कहा कि आप सब भी अपने क्वारंटाइन समय को समाप्त कर अपने-अपने घरों में नियमपूर्वक रहें और अपने प्रदेश में ही रहकर अपने रोजगार को पैदा करें क्योंकि घर की सूखी रोटी भी भली होती है. इस कोरोना ने हमलोगों को समझा दिया है.